आईना
आईना
राजा अक्सर अपनी प्रजा का हाल – चाल जानने के लिए वेश बदलकर जाया करते थे। एक बार राजा गाँव से होकर जा रहे थे।
तभी सामने उन्हें एक बूढ़ा आदमी दिखाई देता है। राजा उसके पास जाकर कहते है – तुम इतने बूढ़े होकर इन लकड़ियों का बोझ क्यों उठा रहे हो ?
बूढ़ा आदमी कहता है – मैं एक गरीब आदमी हूँ। इसलिए यह काम कर रहा हूँ।
राजा कहते है – क्या तुम्हें पता नहीं कि, यहाँ के राजा गरीब और बेसहारा लोगों को धन देकर मदद करते है।
बूढ़ा आदमी कहता है – अच्छी तरह मालूम है। परंतु जब तक मेरे हाथों में जान है। मेरे शरीर में शक्ति है, तो फिर मैं दूसरों पर निर्भर क्यों रहूं।
राजा यह सुनकर बहुत खुश हो जाते है और कहते है – काश, तुम्हारी तरह और भी लोग होते तो राजा की आधी चिंता दूर हो जाती। जिससे हमारा राज्य निश्चित ही तरक्की करता।