दुनिया गोल है
दुनिया गोल है
शादी के बाद मैंने और मेरे पति ने कभी बच्चे के लिए सोचा ही नहीं। हम अपनी ज़िन्दगी में बगैर बच्चे के भी खुश और संतुष्ट थे। बच्चा करना है या नहीं ,ये सबका अपना निजी फैसला होना चाहिए। क्यूंकि दोनों ही स्थिति के अपने अपने परिणाम होते हैं। निर्णय लेते समय व्यक्ति परिणामों को सोचकर ही निर्णय लेता है। अतः उसके निर्णय का सम्मान करना चाहिए।
लेकिन हम जिस समाज में रहते हैं ,उसने आपका जीवन कैसे चलना चाहिए ;उसके कुछ मानक ,माइलस्टोन बना दिए हैं। उनमें ज़रा सा भी परिवर्तन लोगों को खटकने लगता है।
शादी के बाद एक निश्चित समय तक अगर आपके बच्चा नहीं है तो लोग आपको पहले तो बच्चा जल्दी से करने के लिए सलाह देने लग जाएंगे। समय पर बच्चा होने के फायदे या नहीं होने पर क्या नुकसान हो सकता है ,ये भी बताएँगे। लेकिन उन्होंने सही 'समय' कैसे तय किया है यह मुझे आज तक समझ नहीं आया।
जैसे जैसे हमारी विवाहित ज़िन्दगी के वर्षों में वृद्धि हो रही थी ,वैसे वैसे बच्चे के लिए दबाव भी बढ़ रहा था। ऐसे में ही मेरे पति एक बार अपनी बुआजी के घर गए। बुआ जी ने मौका देखकर वही बच्चा पुराण शुरू कर दिया ," तेरी बीवी करियर के पीछे ऐसी क्या पागल है ?अब तो शादी के तीन साल हो गए ,अब तो बच्चा कर लो। मैं भी बैंक में अधिकारी बन जाती लेकिन मैंने अपने परिवार को महत्व दिया। बीएसएनएल में लिपिक की नौकरी तो कर ही रही हूँ। "
मेरे पति ने तो बुआजी को कुछ नहीं बोला। लेकिन बुआजी ने मुझे जाने बिना एक तो मुझे जज कर लिया। दूसरा आपकी जो प्राथमिकता रही हो ,वह सबके लिए समान हो जरूरी तो नहीं। क्या पता यह उनकी मेरे प्रति जलन थी या उनकी कुण्ठा कि वह बैंक अधिकारी क्यों नहीं बनी ? खैर उनकी लीला तो वही जाने । और अगर एक महिला की प्रथम प्राथमिकता करियर हो तो उसमें क्या बुराई है। अगर पुरुष महत्वाकांक्षी हो तो उसका बड़ा गुण माना जाता है ,वही महत्वाकांक्षी महिला को वैम्प बना दिया जाता है।
धीरे धीरे वक़्त के साथ लोगों ने हमें विभिन्न डॉक्टर्स के एड्रेस और फ़ोन नंबर भी देने शुरू कर दिए। भई ,'हमें थोड़ा समय दो ',हमें कोई मेडिकल प्रॉब्लम नहीं है।
कुछ लोगों ने बाबा ,पूजा पाठ ,हवन आदि के बारे में बताना शुरू कर दिया। सबसे मजेदार बात हमने कभी किसी को बोला तक नहीं कि ," हमारे बच्चा नहीं हो रहा। कोई उपाय बता दो। " हमने बच्चे बारे में कभी सोचा नहीं था ,हमें कभी लगा नहीं था कि हमारे बच्चा हो। इसलिए बच्चा नहीं था।
हम भारतीय लोगों को दूसरे की समस्याएं ढूंढ़ने ,चाहे वह हो या न हो ,का बहुत शौक होता है। समस्या ढूंढ़कर उसके समाधान के लिए ऐसे ऐसे आइडियाज देते हैं ;पूछिए मत। एक दूसरा शौक और है ,लोगों की निजता में उनकी इच्छा के बिना प्रवेश करना।
शादी के आठ साल बाद जब हमें लगा कि अब बच्चा होना चाहिए। तब हमने बच्चा प्लान किया और आज मैं एक बेटे की मां हूँ। वहीँ दूसरी तरफ मेरे बुआजी के बेटे की शादी को भी ५ साल हो गए है ,बुआजी के हिसाब से तो बच्चा २साल पहले ही हो जाना चाहिए था। लेकिन उनके बेटे के अभी तक कोई बच्चा नहीं हुआ है। ऑफ़कोर्से ,यह उनके बेटे बहू का निजी मामला है ;फिर भी मैं कहना चाहती हूँ ,"बुआजी ;दुनिया गोल है। "
