दुल्हन अनचाही
दुल्हन अनचाही
" मुझे पता है कि... सुनील शायद तुम्हें पसंद ना भी करे। या यह भी हो सकता है कि आगे चलकर तुम दोनों की शादीशुदा जिंदगी बहुत खुशहाल हो। लेकिन मैं तुम्हें एक ही बात कहूंगा कि... अभी मौजूदा स्थिति में जो तुम्हारी परेशानी है उसका एक ही हल है, और तुम्हारे लिए सबसे अच्छा यही रहेगा कि तुम मेरे बेटे से शादी कर लो !"
" अभी आप एक अलग ही बात कह रहे हो अंकल ! मजबूरी भी कह रहे हो और कह रहे हो खुशहाल जिंदगी भी। अब आप ही बताओ एक मजबूर इंसान खुश कैसे रह सकता है...? और मजबूरी में लिया और फैसला खुशी कैसे दे सकता है...? "
सिमोना का बहुत ही सीधा और मासूम सा सवाल था जिसका उत्तर रविंद्र अंकल दे नहीं सके थे।
वैसे भी... जिस तरह
सिमोना की ज़िंदगी अचानक बदल गई थी। इसमें कुछ भी हो सकता था। कुछ भी ऐसा जो सिमोन को पसंद ना हो.। कुछ भी ऐसा जो सिमोना मजबूरी में करे। उसी में से यह निर्णय भी हो सकता है कि उसे एक ऐसे व्यक्ति से विवाह करना पड़े।
क्यूंकि
पिता की आकस्मिक मृत्यु ने न केवल उनके परिवार को भावनात्मक रूप से तोड़ा, बल्कि आर्थिक समस्याओं का एक बड़ा पहाड़ भी खड़ा कर दिया। सिमोना के पिता, अमित, जो जीवन भर संघर्ष करते रहे, अपने परिवार के लिए एक सुरक्षित भविष्य बनाने की कोशिश में कई कर्ज़ और लोन ले बैठे थे। उनकी मृत्यु के बाद, सिमोना पर घर संभालने और जिम्मेदारियों का बोझ आ गया।
उनका छोटा सा घर, जो कभी प्यार और हंसी से गूंजता था, अब उदासी और चिंता का अड्डा बन चुका था। सिमोना की मां, सुमित्रा, गंभीर बीमारी से जूझ रही थीं। छोटी बहनें मोना और सोना अपनी पढ़ाई में लगी थीं, और भाई ओंकार स्कूल में था। इन सबके बीच, सिमोना ने एक मामूली नौकरी पकड़ ली थी, जो उनके ग्रेजुएशन के तुरंत बाद बड़ी मुश्किल से मिली थी। पर यह नौकरी नाकाफी थी।
रात के समय, जब सब सो जाते, सिमोना अकेले बैठकर आँसू बहाती। उसे अपने पिता की यादें झकझोर देतीं, और उनके द्वारा छोड़े गए कर्ज़ की परछाईं उसे हर पल डराती।
ऐसे में, एक दिन अमित के पुराने दोस्त, रविंद्र जी, उनके घर आए। उन्होंने सिमोना की हालत देखी। कुछ देर चुप्पी के बाद, उन्होंने प्रस्ताव रखा:
“सिमोना, अगर तुम मेरे बेटे सुनील से शादी कर लो, तो मैं तुम्हें अपने बिजनेस में शामिल कर लूंगा। तुम अपने पिता का कर्ज़ चुका सकोगी, अपनी बहनों मोना और सोना की शादी कर सकोगी, अपने भाई रोहित की पढ़ाई का खर्च उठा सकोगी। तुम्हारी मां का इलाज भी हो जाएगा। सोचो बेटा, तुम्हारे लिए यह एक अच्छा मौका है।”
सिमोना के लिए यह प्रस्ताव सुनना आसान नहीं था। उसने अपने भीतर तूफान उठते महसूस किया। क्या वह अपने सपनों और चाहतों को कुर्बान कर सकती है? क्या वह एक ऐसे लड़के से शादी कर सकती है जिसे वह जानती तक नहीं?
दूसरी तरफ, सुनील भी इस शादी से खुश नहीं था। वह एक पढ़ा-लिखा, आधुनिक सोच वाला इंजीनियर था। उसकी ज़िंदगी में पहले से ही कोई था—प्रियांशी। दोनों ने साथ काम करते हुए प्यार किया था, और सुनील उसे अपना जीवनसाथी बनाना चाहता था।
जब रविंद्र जी ने सुनील को सिमोना से शादी के लिए मजबूर किया, तो उसने साफ मना कर दिया।
“पापा, मैं किसी और से प्यार करता हूं। यह शादी मेरे लिए संभव नहीं है।”
पर रविंद्र जी अपने फैसले पर अडिग थे। “सुनील, यह शादी सिर्फ तुम्हारी खुशी के लिए नहीं है। अमित मेरे सबसे पुराने दोस्त थे। उनके परिवार की मदद करना मेरा फर्ज़ है। और तुम्हारे इंकार से मैं किसी और के सामने अपना सिर झुका नहीं सकता।”
सुनील को समझ आ गया कि वह इस लड़ाई को जीत नहीं सकता। मजबूरी में उसने हामी भर दी।
शादी के पहले, सिमोना और सुनील की मुलाकात हुई। दोनों ही इस शादी को लेकर असमंजस और उदासी से भरे हुए थे।
“मैं जानती हूं, आप इस शादी के लिए मजबूर हैं,” सिमोना ने गंभीरता से कहा।
“और मैं भी,” सुनील ने ठंडी आवाज़ में जवाब दिया।
“फिर हम दोनों क्यों कर रहे हैं यह शादी?” सिमोना की आंखों में सवाल था।
“मेरे पास कोई चारा नहीं है,”
सुनील ने सीधे कहा। “पापा की बात माननी पड़ रही है। लेकिन मैं यह साफ कर दूं कि मैं किसी और से प्यार करता हूं। मैं आपके साथ ईमानदार रहूंगा।”
सिमोना ने गहरी सांस ली।
“मैं भी मजबूर हूं। मेरे परिवार की ज़िम्मेदारियां मुझसे यह शादी करवाने पर मजबूर कर रही हैं। लेकिन मैं एक बात कह सकती हूं—मैं आपके लिए कभी कोई बोझ नहीं बनूंगी।”
दोनों के बीच यह बातचीत किसी सहमति की तरह थी। एक ऐसा समझौता, जो उनकी अनचाही शादी का आधार बन गया।
शादी की तैयारियां शुरू हो गईं। रविंद्र जी ने हर चीज़ का ध्यान रखा। लेकिन सिमोना और सुनील दोनों इस शादी को अपने लिए किसी सज़ा की तरह महसूस कर रहे थे।
सिमोना के मन में सवाल थे—क्या वह इस शादी के बाद अपने सपनों को पूरी तरह भूल जाएगी? क्या वह कभी खुद को इस रिश्ते में ढाल पाएगी?
सुनील के मन में एक और डर था। क्या वह प्रियांशी से अपने रिश्ते को भुला पाएगा? क्या वह सिमोना के साथ न्याय कर सकेगा?
दोनों का जीवन ऐसे मोड़ पर खड़ा था, जहां हर कदम अनिश्चितता और पीड़ा से भरा हुआ था।
क्या सिमोना और सुनील इस बेमेल शादी में एक दूसरे को समझने और स्वीकार करने का रास्ता ढूंढ पाएंगे?
क्या उनके रास्ते अलग-अलग प्यार और जिम्मेदारियों के बावजूद कहीं मिलेंगे?
इस अनचाही शादी से सिमोना खुश रह पाएगी...?
इस कहानी की अगली कड़ी में, इन दोनों के संघर्ष, समझ और रिश्ते की नई शुरुआत की झलक मिलेगी।
कृपया...मेरे अन्य धारावाहिक की तरह इस धारावाहिक को भी पढ़े और खूब सारा प्यार लुटा है और अपनी निष्पक्ष प्रतिक्रिया दे क्योंकि आप जब इस धारावाहिक को पढ़ते हैं उसे पर अपनी प्रतिक्रिया देते हैं उससे मुझे और भी अच्छा लिखने की प्रेरणा मिलती है।
धन्यवाद

