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VanyA V@idehi

Tragedy

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VanyA V@idehi

Tragedy

उसका दिल

उसका दिल

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आवृत्ति और अनुज की कहानी एक साधारण से कस्बे में शुरू होती है, जहाँ दोनों का जन्म और पालन-पोषण हुआ था। आवृत्ति एक खुशमिजाज, हंसमुख और दूसरों की मदद करने वाली लड़की थी। वह हमेशा दूसरों के चेहरे पर मुस्कान लाने की कोशिश करती, चाहे उसके खुद के जीवन में कितनी भी परेशानियाँ क्यों न हों। उसकी हँसी उसकी पहचान बन गई थी। दूसरी ओर, अनुज एक शांत, गंभीर और जिम्मेदार युवक था, जिसे अपनी किताबों और पढ़ाई से बेहद लगाव था। दोनों की मुलाकात स्कूल के दिनों में हुई थी और समय के साथ उनकी दोस्ती गहरी हो गई थी।


आवृत्ति के जीवन में अनगिनत सपने थे। वह चाहती थी कि वह एक दिन अपने परिवार का नाम रोशन करे, लेकिन उसकी सबसे बड़ी ख्वाहिश थी कि वह हमेशा सबके लिए कुछ ऐसा कर जाए, जिससे लोग उसे याद रखें। अनुज की ख्वाहिशें थोड़ी अलग थीं। वह एक अच्छा डॉक्टर बनना चाहता था ताकि वह अपने परिवार और समाज की सेवा कर सके। आवृत्ति हमेशा कहती थी, "अनुज, तुम्हारे हाथों में जादू है। एक दिन तुम बहुत बड़े डॉक्टर बनोगे।"


समय बीतता गया। आवृत्ति और अनुज ने अपनी-अपनी पढ़ाई पूरी की और अपने-अपने रास्तों पर चल पड़े। अनुज ने मेडिकल कॉलेज में दाखिला ले लिया और आवृत्ति ने स्थानीय समाजसेवा संगठन के साथ काम करना शुरू कर दिया। दोनों की बातचीत कम हो गई थी, पर उनकी दोस्ती की बुनियाद इतनी मजबूत थी कि वक्त और दूरी भी उसे कमजोर नहीं कर सके।


एक दिन आवृत्ति शहर से घर लौट रही थी, जब एक भयानक दुर्घटना घटी। उसकी कार को एक तेज रफ्तार ट्रक ने टक्कर मार दी। घटना इतनी गंभीर थी कि आवृत्ति को तुरंत अस्पताल ले जाया गया। डॉक्टरों ने उसे बचाने की बहुत कोशिश की, लेकिन उसका शरीर जवाब दे गया। डॉक्टरों ने उसके परिवार से कहा कि आवृत्ति का ब्रेन डेड हो चुका है और उसके अंगों का प्रत्यारोपण किया जा सकता है।


उस समय, उसी अस्पताल में अनुज भी था। वह एक दुर्लभ बीमारी से जूझ रहा था, जिसकी वजह से उसका दिल कमजोर हो गया था। उसकी जिंदगी अब सिर्फ एक हृदय प्रत्यारोपण पर निर्भर थी। डॉक्टरों ने आवृत्ति के परिवार को अनुज के बारे में बताया और उनसे अनुमति मांगी कि आवृत्ति का दिल अनुज को दिया जा सके। आवृत्ति के माता-पिता ने भारी मन से सहमति दी, क्योंकि वे जानते थे कि आवृत्ति भी यही चाहती—किसी की जिंदगी बचाना।


अगले दिन, डॉक्टरों ने आवृत्ति का दिल अनुज को प्रत्यारोपित कर दिया। ऑपरेशन सफल रहा। अनुज की जान बच गई, लेकिन आवृत्ति की कमी उसके दिल में हमेशा बनी रही। जब उसे पता चला कि उसे जो दिल मिला है, वह आवृत्ति का है, तो उसकी आँखों में आँसू आ गए। वह अंदर से टूट गया, पर उसके दिल में आवृत्ति के लिए एक नई भावना जाग उठी—कृतज्ञता।


अनुज के स्वास्थ्य में धीरे-धीरे सुधार होने लगा। वह जब भी अपने सीने पर हाथ रखता, उसे ऐसा लगता कि आवृत्ति का दिल अब भी धड़क रहा है। उसे याद आता कि कैसे आवृत्ति ने उसे हमेशा जीवन जीने की प्रेरणा दी थी। अब, वह हर पल महसूस करता था कि आवृत्ति उसके साथ है, उसकी हर धड़कन में, उसकी हर सांस में। अनुज ने खुद से वादा किया कि वह आवृत्ति के इस अनमोल उपहार को व्यर्थ नहीं जाने देगा।


अनुज ने अपने डॉक्टर बनने के सपने को पूरा किया और अपने पेशे में खूब नाम कमाया। लेकिन उसके हर सफल कदम के पीछे आवृत्ति की यादें शामिल रहतीं। वह हर दिन उस अस्पताल में जाता, जहाँ आवृत्ति की आखिरी साँसे ली गई थीं, और उसकी याद में फूल चढ़ाता। उसे लगता था जैसे आवृत्ति उसे देख रही है और उसकी उपलब्धियों पर गर्व कर रही है।


समय के साथ अनुज ने आवृत्ति के परिवार के साथ भी एक गहरा संबंध बना लिया। वह उनकी हर संभव मदद करता और हमेशा उनके साथ खड़ा रहता। आवृत्ति के माता-पिता भी अनुज को अपने बेटे की तरह मानने लगे थे। अनुज उनके लिए वह कड़ी बन गया था, जो उन्हें उनकी बेटी की याद दिलाता था।


आवृत्ति के जाने के बाद भी अनुज ने उसे कभी भुलाया नहीं। वह उसके लिए एक डायरी लिखने लगा, जिसमें वह अपने दिल की हर बात लिखता। वह लिखता कि कैसे आवृत्ति की हंसी अब उसकी धड़कनों में बसती है, कैसे उसकी यादें उसे हर कदम पर प्रेरणा देती हैं। हर बार जब वह किसी मरीज की जान बचाता, उसे लगता जैसे आवृत्ति भी उसकी मदद कर रही है। वह आवृत्ति का आभारी था, क्योंकि उसने उसे न केवल जीवन दिया था, बल्कि उसे एक नया दृष्टिकोण भी दिया था—जीवन को जीने का, उसे समझने का।


अनुज के लिए आवृत्ति सिर्फ एक दोस्त नहीं, बल्कि उसकी जिंदगी का एक अभिन्न हिस्सा बन चुकी थी। वह जानता था कि उसका दिल अब भी धड़क रहा है, लेकिन उस धड़कन में आवृत्ति की आत्मा समाई हुई है। वह हमेशा उसके दिल से कहता, "आवृत्ति, तुमने मुझे सिर्फ एक दिल नहीं दिया, बल्कि जीने का एक मकसद भी दिया है। मैं तुम्हारा कर्जदार हूँ, हमेशा रहूँगा।"


कई साल बीत गए। अनुज की जिंदगी ने कई उतार-चढ़ाव देखे, लेकिन आवृत्ति की यादें उसके दिल में हमेशा ताजा रहीं। वह हर साल आवृत्ति की पुण्यतिथि पर एक छोटा सा आयोजन करता, जिसमें वह उन लोगों को आमंत्रित करता, जिनकी जिंदगी में आवृत्ति ने किसी न किसी रूप में खुशी दी थी। इस आयोजन का उद्देश्य आवृत्ति की यादों को जीवित रखना था और लोगों को यह संदेश देना था कि एक इंसान का दिल सिर्फ शरीर का हिस्सा नहीं, बल्कि उसकी आत्मा का प्रतिबिंब होता है।


आखिर में, अनुज ने अपने दिल की गहराई से एक आखिरी वादा किया—वह आवृत्ति की यादों को अपने आखिरी सांस तक संजोए रखेगा। उसने अपनी जिंदगी में जो भी पाया, जो भी सीखा, वह सब आवृत्ति की वजह से था। उसने अपने दिल में बस एक ही ख्वाहिश रखी—कि एक दिन जब उसकी अपनी यात्रा खत्म होगी, तब आवृत्ति को बता सकेगा कि उसने उसके दिल की हर धड़कन को संजो कर रखा।


आवृत्ति के बिना जीवन कठिन था, लेकिन उसकी उपस्थिति अनुज की हर धड़कन में महसूस होती थी। वह जानता था कि आवृत्ति ने उसे दूसरी जिंदगी दी थी, और उसने उसे पूरी शिद्दत से जीने का वादा निभाया। अनुज के लिए, आवृत्ति एक नाम नहीं, बल्कि उसके जीवन की धड़कन थी—एक धड़कन जो उसके दिल के साथ हमेशा जीवित रहेगी।



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