चटर्ज़ी मोशाय एवं डॉक्टरनी साहिबा
चटर्ज़ी मोशाय एवं डॉक्टरनी साहिबा
(26)" चटर्ज़ी मोशाय...! अब मेरा आपसे मिलना जुलना बहुत कम हो जाएगा। क्या आप मेरे बिना रहने की आदत डाल पाओगे...? "
एक शाम सत्यभामा अपने भाइयों से अपनी सहेली रमा के घर जाने का बहाना करके और अपनी माँ से आभास से मिलने का परमिशन लेकर आभास एक एक्स्ट्रा में मिली.
सत्यभामा अपनी मां से कोई बात नहीं छुपाती थी मन से उसका रिश्ता एक सहेली जैसा रिश्ता था और उसकी मां भी अपनी बेटी की हर बात समझती थी वह जानती थी कि सत्यभामा और आभास के रिश्ते में कुछ भी गलत नहीं है इसलिए उन्होंने सत्यभामा को आभास से मिलने की इजाजत दे दी थी उन्हें अपनी बेटी पर पूरा विश्वास था और आभास को भी वह बहुत ज्यादा विश्वास करती थी।
रमा वहां पहले से मौजूद थी ताकि कोई प्रॉब्लम हो तो संभाल सके।
थोड़ी देर उनके साथ रहकर रमा एक कोने में खड़ी हो गई ताकि...
सत्यभामा और आभास अपनी बात कर सके.
सत्यभामा को आज पता नहीं क्या हुआ कि...
जैसे ही उसने आभास को देखा वह उसके गले लग गई और ज़ब आभास उसे चौंक कर उसके देखने लगा तो वह उससे अलग हो गई।
और इसी हडबड़ाहट में सत्यभामा की नजर ज़ब आभास से मिली तो दोनों ही शर्मा गए.
आज सत्यभामा के अंदर एक चंचल कमनीय स्त्री का रूप देखकर आभास देखता रह गया।
" क्यों डॉक्टरनी साहिबा...! आज अपना यह कौन सा रूप दिखा रही हो...? "
आभास ने मन ही मन में सोचा क्योंकि वह सत्यभामा की हर अदा पर घायल हो रहा था।
उनके मध्य कुछ बातें अनकही थी जो आंखों ने एक दूसरे तक पहुंचा दी थी.
" आए... हाए...तुम दोनों यूं ही एक दूसरे को टुकुर-टुकुर देखते रहोगे...?
या कोई बात भी करोगे...?
भाई...मुझे भी जल्दी घर जाना है...!"
रमा ने आकर उन दोनों को छेड़ा तो दोनों को समझ में आया कि वह दोनों यहां पर एक बात करने के लिए जमा हुए थे।
सत्यभामा ने कहा...
" चलो मैं ही बात शुरू करती हूं …सुनो चटर्जी मुशाई... अब हम नहीं मिलेंगे और अपने-अपने करियर की तरफ ध्यान देंगे. मेरे घर वालों ने जरा भी तुम्हारे साथ मिलते जुलते देखा तो समझ जाएंगे कि मैं उनकी बात नहीं मान रही हूं… और जो पहला लड़का मिलेगा उसी से मेरी शादी कर देंगे। और तुम फिर अकेले रह जाओगे। और मेरा क्या होगा यह तो भगवान ही जाने !"
सत्यभामा ने यह बात इतनी मासूमियत से कही थी की आभास को भी हंसी आ गई।
रमा भी उन दोनों का प्यार देखकर बलईयाँ ले रही थी और उसे भी हंसी आ रही थी।
सत्यभामा और आभास देर तक एक दूसरे का हाथ पकड़े बैठे रहे.
और एक दूसरे से मिलने के बाद जैसे उन्हें आपस में शब्दों से बात करने की जरूरत ही नहीं पड़ी.
आंखों ही आँखों में और भाव भंगीमाओं मन से उन दोनों ने अपनी सारी बातें एक दूसरे तक पहुंचा दी थी.
प्यार इतना सुहाना होता है और प्रेमी का साथ दुनिया में सबसे ज्यादा प्यार होता है.
यह तथ्य सत्यभामा और आभास अब धीरे-धीरे समझ रहे थे कि क्यों प्यार में पड़ने के बाद लोग एक दूसरे पर जान देने को तैयार हो जाते हैं...और प्रेम इतना खूबसूरत एहसास होता है कि जिंदगी कितनी रंगीन और प्यारी लगने लग जाती है।
उसे दिन की छोटी सी मुलाकात के बाद...
सत्यभामा एवं आभास अब अपने रिश्ते के प्रति गंभीर हो चुके थे…!
सत्यभामा अब जीवन के अगले पड़ाव और अपने करियर के लिए प्रतिबद्ध हैं .
आभास समझ चुका है कि... ज़ब तक वह अच्छे पोस्ट पर ना पहुंचे सत्यभामा को अपनी जीवन संगिनी नहीं बना सकता है.
इधर सत्यभामा भी समझ चुकी थी कि...
वह आभास के बिना अपनी कल्पना भी नहीं कर सकती.
पर...
वह दोनों कदाचित इस बात से बिल्कुल अनभिज्ञ के थे कि सत्यभामा का छोटा भाई एक तरह से आभास का दुश्मन बना हुआ बैठा था।
वैसे तो सत्यभामा के तीनों भाई उन दोनों की दोस्ती के एकदम खिलाफ थे और यहां तो दोस्ती से आगे रिश्ता बढ़ चुका था। सत्यभामा हमेशा यही सोचती थी कि...ऐसा क्या करे कि उसकी शादी कुछ सालों के लिए टल जाए और इस बीच वह और आभास दोनों अपने पैरों पर खड़े हो जाएं.
उलझने बहुत थी प्यार भी बहुत था और दुश्वारियां भी बहुत थी देखते हैं आगे सत्यभामा और आभास का प्यार कौन सा रूप लेता है और उनकी जिंदगी की अडचनों को वह एक साथ कैसे आसान बनाते हैं।
प्यार है तो अडचने आएंगे और अगर सच्चा प्यार है तो अर्जुन के बाद भी वह प्यार अपनी जगह से नहीं मिलेगा यह बात शायद सत्यभामा और आभास अभी तक नहीं जान पाए थे और ना ही उन्हें अपने प्यार की गहराई को का पता था बस वही इतना समझ चुके थे कि वह दोनों एक दूसरे के लिए बने हैं.
लेकिन सत्यभामा के तीनों भाई या नहीं जानते थे कि वह यह दोनों इतने करीब आ चुके हैं तीनों भाई तो इस गुस्से और जलन में थे कि सत्यभामा की इतनी हिम्मत कैसे पड़ी कि वह किसी लड़के को प्यार कर सके और यह आभास एक मामूली इंजीनियर का बेटा हमारे घर की बेटी से प्यार करने की जरूरत कैसे कर सकता है...?
एक दिन आभास जब हॉस्टल से आया तब उसे शाम को वह सत्यभामा के घर मिलने आया तभी उसके बड़े भाई ने... आभास को सत्यभामा से दूर कहीं रहने के लिए कह दिया.
