दुख
दुख
नीना को अचानक अपने पापा के स्वर्गवास की सूचना मिली, तो वह तुरन्त अगली गाड़ी पकड़कर मायके पहुँच गई। तब तक बहुत से जानने वाले इस दुख को बाँटने वहाँ इकट्ठे हो चुके थे। नीना मम्मी के गले लगकर रोये जा रही थी। एक पड़ोसन ने सहानुभूति दिखाते हुए कहा "अब तो रोना ही रह गया है भाग में। कब तक रोयेगी।"
दूसरी बोली,"भाग तो कोई अपने आप नहीं लिख सकता। जो सिर पर पड़ा है दुख वह झेलना ही पड़ेगा।
तीसरी बोली,
"तेरी मम्मी के तो भाग फूट गए, किसके सहारे जियेगी बेचारी।"
नीना एक बार को अपना रोना भूलकर दुख बाँटने वालियों का मुँह ताकने लगी।