लेखन मेरा शौक ही नहीं,मेरी पहचान भी है।
"तेरी मम्मी के तो भाग फूट गए, किसके सहारे जियेगी बेचारी।" "तेरी मम्मी के तो भाग फूट गए, किसके सहारे जियेगी बेचारी।"
आंटी, सब ऐसे ही कह देते हैं। पर हमें सब काम आता है। हमें रख लो न आंटी। आंटी, सब ऐसे ही कह देते हैं। पर हमें सब काम आता है। हमें रख लो न आंटी।
उसके सपने इतने ऊँचे नहीं थे, जिन्हें उसका इंजीनियर पति प्रशान्त पूरे न कर पाए। उसके सपने इतने ऊँचे नहीं थे, जिन्हें उसका इंजीनियर पति प्रशान्त पूरे न कर पाए।
समय के साथ कदम मिलाकर चलें तो ज़िन्दगी ख़ूबसूरत नज़र आती है। समय के साथ कदम मिलाकर चलें तो ज़िन्दगी ख़ूबसूरत नज़र आती है।
फिर कहीं और काम की तलाश में समय निकलता चला गया। फिर कहीं और काम की तलाश में समय निकलता चला गया।
क्या दुनिया इतनी बदल गयी है कि हमें इसके साथ तालमेल बिठाना दूभर हो रहा है? क्या क्या दुनिया इतनी बदल गयी है कि हमें इसके साथ तालमेल बिठाना दूभर हो रहा है? क्या