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Savita Gupta

Inspirational

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Savita Gupta

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दुग्ध दान

दुग्ध दान

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 चैत्र मास नवरात्र का प्रथम दिन था।सुबह के दिनचर्या से निवृत्त होकर स्नान ध्यान माँ शैलपुत्रीभगवती की पूजा ,अर्चना,आराधना ,दूर्गाशप्तशती का पाठ कर मन कुछ शांत लग रहा था।हिन्दु नववर्ष का आरंभ भी आजसे हुआ ;अपनों को बधाई देकर जय माता !जय श्री राम !का संदेश दे तो दिया लेकिन अनुचित सालगा क्योंकि चारो तरफ विश्व में ‘कोरोना वायरस ‘रक्तबीज ‘की तरह पूरी दुनिया में तांडव कररहा है।पूरे विश्व को अपने गिरफ़्त में ले कर भय ,आतंक का माहौल खड़ा कर दिया है,तो कैसा नववर्ष ? कैसी ख़ुशी? क्या तेरा क्या मेरा नया साल।

सभी को अभी माता महिषासुर मर्दिनी के आशीर्वाद और संजीवनी बूटी का इंतज़ार है ,जिससे कोरोना जैसे महामारी को रोका जा सके।न जाने कब तक लोगों को घरों में क़ैद रहना होगा ...हरतरफ़ सन्नाटा पसरा हुआ ...किसी को कुछ नहीं पता...बस कैसे बचे..?क्या उपाय करें...?इसी उधेड़बुन में हर पल सभी...।

पूजा करके उठी कामवाली को भी छुट्टी दे दी थी ,घर का काम निपटा कर।चाय लेकर बरामदे में झूले पर आकर बैठ गई। टुन से आवाज़ आई मोबाइल के मैसेज पर ध्यान गया ;पढ़ा तो लगामहत्वपूर्ण मैसेज है ,किसी ग्रुप के साथी ने अपने किसी साथी का मैसेज फ़ॉरवर्ड किया था।उस साथी को मैं व्यक्तिगत रूप से तो नहीं जानती थी लेकिन मैसेज में सच्चाई नज़र आईं जिसमें एकमाँ को अपने नवजात शिशु के लिए,जो समय से पहले इस दुनिया में आ गई थी ,किसी माँ के दुध की ज़रूरत थी।बच्ची की माँ का दूध नहीं उतर पाया था।डॉ ने हिदायत दी कि बच्ची को किसी माँ का दूध ही बचा सकता है।उस मैसेज को पढ़ कर पहले तो मैं अनदेखी कर दी फिर अनमने ढंग से दूसरे ग्रुप में फ़ॉरवर्ड कर दिया।जिसका सकारात्मक रूप सामने आया जो मेरे लिए सुखद अनुभूति दे गया।तीन घंटे बाद यूँ ही मोबाइल उठाया तो देखा ;मेरे मैसेज भेजने के दस मिनट के अंदर ही किसी महिला ने मदद करने की पेशकश की थी।मैंने भी उत्तर भेज दिया बड़ी मेहरबानी होगी-“प्लीज़ हेल्प!”


दूसरे दिन सुबह उत्सुकता वश मैसेज देखा तो कुछ और लोग हेल्प लाइन का नंबर आदि दिए हुए थे...फिर रहा नहीं गया तो पहले ग्रुप के साथी से मदद करने के लिए उस माँ का नंबर लिया और दूसरे ग्रुप में मददगार महीला को नंबर भेजा।तुरंत जवाब आता है।

मददगार महिला का -‘हमने मदद कर दी है।’मैडम!

मेरी ख़ुशी का ठीकाना नहीं रहा।उस महीला को ढेरों धन्यवाद दिया कि “आपने इस बंदी के माहौल में भी नेक काम किया “आज भी इंसानियत ज़िंदा है...”

उस महिला ने जवाब दिया- "इसमें धन्यवाद की कोई बात नहीं “इंसान ही इंसान के काम आता है।”


माँ भवानी ने मुझे ज़रिया बनाकर घर बैठे ही एक माँ की मदद दुग्ध दान कर किया।एक माँ ने एक माँ की नवजात को अपना दूध पिलाकर उसकी जीवन की रक्षा की।

कैसे बिना देखे जाने पहचाने शोसल मीडिया के ज़रिए इस विषम परिस्थिति में माँ का दूध दान जोमहादान होता है ,हो पाया।वाकई इंसानियत आज भी ज़िंदा है।



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