Turn the Page, Turn the Life | A Writer’s Battle for Survival | Help Her Win
Turn the Page, Turn the Life | A Writer’s Battle for Survival | Help Her Win

Shubham rawat

Drama Tragedy Crime

4.3  

Shubham rawat

Drama Tragedy Crime

दर्द

दर्द

3 mins
244


सुनसान बाजार चारों तरफ चाँद अपनी चांदनी बिखेर रहा था। अपनी धुन में मस्त-मगन शराबी झूमता हुआ बाजार से गली की तरफ मुड़ा और उसने देखा की एक औरत दुकान की फर्श पे सोए हुई है। चांदनी की कुछ किरणें सामने बिजली के पोल से टकराकर उसके चेहरे पे पड़ रही थी और वह हद से ज्यादा ही हसीं नजर आने लगी थी। शराबी गुनगुनाता हुआ उसके नज़दीक गया और अपनी उँगलियों को उसके गौरे-गौरे गालों पे फेरने लगा और किसी भूखे भेड़िये की तरह उस सोती हुई औरत पे टूट पड़ा। 

     औरत दिन भर इधर-उधर भटकते रहती, कुछ लोग उसे खाने को भी दे दिया करते। रात होते ही वह फिर से उस दुकान की फर्श पे सोने आ जाया करती। उस पागल के लिए वह उसका घर बन चुका था। छह महीने बीत जाने के बाद उस औरत का पेट आदमी की तोद के सामान हो गया था। उसके कपड़े उसको परेशान करने लगे थे जिस वजह से उसने अपने कुर्ते को दाये-बाये से फाड़ दिया था। उसका गोरा बदन फटे हुऐ कुर्ते से झांकने लगा था। वो औरत पागल ज़रूर थी पर उसका गोरा बदन उन सब आदमियों के चेहरे पे एक अलग ही अहसास पैदा कर रहा था जिन्हे औरत की भूख थी और उन लड़कों के बदन में भी जिन्हे जवानी चढ़ रही थी। उनकी आँखें बोलती थी, अगर यहाँ पे कोई न होता तो, मैं इस औरत को खा जाता। उसी मोहल्ले की एक औरत ने उसे एक नया कुर्ता दिया जो उसके बढ़े हुए पेट को ढक सके। उस औरत को उस पागल पे बड़ा ही तरस आ रहा था। वो अपने आप से कहती, 'ना जाने किस हैवान ने इस पागल की ज़िन्दगी के साथ खिलवाड़ किया। ना जाने ये पागल कैसे इस पाप को धरती पे लाएगी!'

     एक दिन वो पागल अपना घर छोड़ के कहीं दूर निकल जाती है। सड़क के किनारे वो लेटे-लेटे दर्द से कराह रही होती है। तभी सड़क से गुजरने वाली एक कार उसके सामने रूकती है। उस कार में से दो जन फटाफट बाहर उतरते है और उस औरत के सामने जाकर उसे देखते है और उसके कहते है, 'हम आपकी मदद करते है आपको अस्पताल ले चलते है!' थोड़े ही देर बाद वो समझ जाते है कि ये औरत दिमागी तौर पे ठीक नहीं है और फिर उसे कार के पीछे वाली सीट पे लेटा कर उसे अस्पताल ले जाते है।

     पागल ने एक सुन्दर से लड़के को जन्म दिया। दोनों पति-पत्नी राहत की सांस लेते है और कहते है, 'चलो ऊपर वाले का शुक्र है!' थोड़े देर तक वो दोनों शांत, कुर्सी पे बैठे रहते है। फिर कुछ देर बाद आदमी अपनी पत्नी से कहता है, 'अगर ये बच्चा हम रख ले?' पत्नी जवाब देती है, 'क्यों नहीं वैसे भी ये पागल इस बच्चे को कैसे पाल पायेगी और हमारी भी तो कोई औलाद नहीं है, शायद ऊपर वाले की भी यही मंजूरी है।' वो दोनों उस बच्चे को अपने साथ ले जा है और अस्पताल के डॉक्टर को कुछ हज़ार रुपये देते है और जाते-जाते कहते है, 'जब ये औरत अच्छे से ठीक हो जाये तो इसे डिस्चार्ज कर देना और इसकी फीस हम काउंटर पे जमा कर जायेंगे।' वो दोनों बड़े खुश होते है कि ऊपर वाले ने आखिरकार उन्हें औलाद दे ही दी। 

     कुछ दिन बाद पागल वापस अपने घर लौट जाती है। वो अपने आप को बहुत हल्का-हल्का महसूस करने लगी थी, पर उसे कुछ दर्द का अहसास हो रहा था। वो समझ नहीं पा रही थी की वो दर्द क्यों हो रहा है। वो अपना सर दीवार से टकराकर अपने दोनों हाथ अपनी छाती पे रखती है और चिल्लाते हुऐ बोलती है, 'मेरी छाती! आह! मेरी छाती पे दर्द हो रहा है!'


Rate this content
Log in

More hindi story from Shubham rawat

Similar hindi story from Drama