STORYMIRROR

Sumita Sharma

Tragedy Inspirational

2  

Sumita Sharma

Tragedy Inspirational

द्रौपदी कृष्ण और शस्त्र निकाल

द्रौपदी कृष्ण और शस्त्र निकाल

4 mins
624


दो किशोर बेटियों रिया और ऋचा की माँ पूजा आज बच्चियों को अकेले भेजने में आज थोड़ा हिचकिचा रही थी। अभी तक बेटी बारहवीं कक्षा में पढ़ रही थी। घर से स्कूल का सफर सुरक्षित था।

पर आज बेटी को आगे की पढ़ाई के लिए एडमिशन लेने कॉलेज में जाना था, पूजा ने बहन के साथ रिया को घर से कैब की बजाय पब्लिक ट्रांसपोर्ट से सिटी बस या ऑटो रिक्शा से जाने को कहा, और उनके बैग में कुछ ज़रूरी चीज़े उनकी सुरक्षा के लिए रख दीं।

पूजा के पति प्रमोद का भी यही कहना था कि बच्चों को सीखने दो कब तक आँचल में छुपा कर रखोगी। उसने एक चीज़ समझा दी कि अगर कोई आपको खराब ढंग से छुए तो तुरंत विरोध करना। आस पास बैठे लोग तुम्हें मदद ज़रूर करेंगे।


यूँ तो बेटियों के बैग में लाल मिर्च पाउडर सेफ़्टी पिन रहते थे, पर एक दिन बच्चों का ऐसी घटना से सामना हो ही गया। दोनों बहनें ही उस अधेड़ व्यक्ति से लड़ती रहीं। पर न ऑटो रिक्शा चालक और न साथ बैठी महिलाओं ने उनकी मदद की। परेशान रिया और ऋचा जब घर लौटीं तो, आत्मविश्वास के साथ उनकी आँखों में आँसू और तकलीफ़ भी थी कि मम्मी साथ बैठी आँटी ने भी कुछ नहीं कहा उस व्यक्ति को ।

पूजा ने बेटियों को शाबाशी दी और दुनिया के बुरे रूप का भी परिचय कराया कि तुम्हें अपनी लड़ाई खुद ही लड़नी होती है।

एक दिन पूजा शाम को दवा लेकर घर लौट रही थी तो एक शराबी ने उसका हाथ पकड़ लिया। उसने मदद की दृष्टि से इधर उधर देखा व्यस्त सड़क पड़ोस में लेडी कॉन्स्टेबल पर सब बेखबर और मौन। उसने एक पल को अपनी घबराहट पर काबू पाया और चप्पल उतार कर उक्त व्यक्ति को पीटना शुरू किया पर किसी को भी न फ़र्क़ था न पूछने की ज़रुरत।

वह घर तो आ गयी, पर दिल में गुस्सा भी था और क्षोभ भी कि प्रदेश की राजधानी और दिन दहाड़े भी अगर महिलाओं के साथ या बेटीयों के साथ अगर ऐसी हरकतें होती हैं। तो ज़िम्मेदारों के साथ महिलाएं भी मौन रहतीं है और पीड़ित महिला का मज़ाक चटखारे लेकर बनातीं हैं। उसने जब अपनी सहेली रचना से बात की तो उसने भी यही सलाह दी कि अपनी शिकायत वीमेन हेल्पलाइन और एस एस पी ऑफ़िस में करो। पर पुलिस वालों के उल्टे सीधे सवाल हिम्मत तोड़ देते है रचना ! उसने दुःखी हो कर कहा और बदनामी होती है सो अलग । अरे! तो तुमने कौन सा कोई गलत काम किया है जो बदनामी होगी तुम्हारी। बदनामी गलत काम करने वाले कि होती है, इस बात की शिकायत ट्विटर एकाउंट पर भी सी एम से और लोकल अखबार में अपनी शिकायत ज़रूर दर्ज़ कराओ।

रचना "आज के दौर में भृष्टाचार और स्वार्थ इतना बढ़ गया है कि जब तक खुद पर न बीते कोई परवाह नहीं करता। पुलिस तो अपने आराम का इतना ख्याल रखती है कि पूछो ही मत क्या सैनिकों को अपनी या परिवार की परवाह नहीं होती। किसी घटना के हो जाने पर लोग अब घर से ही अफ़सोस और एक फेसबुक पर कमेंट या वीडियो डाल कर इति श्री कर देते है। पुलिस चौकी का पास होना और कोई कदम न उठाना क्या जनता के साथ धोखा नहीं है। दुःख तो यही है, अब डिजिटल संवेदना का युग है पीड़ित का साथ कोई नहीं देता बस घटनाओं का इंतजार और पाँच दस रुपये की मोमबत्ती के साथ कैंडल मार्च। क्या महिलाओं को एक बहन या बेटी का साथ नहीं देना चाहिए या फिर जब तक खुद पर न बीते। क्योंकि बचपन से सिखाया जाता है पुरूष के पीछे छुपना।"

पूजा बोली "पता नहीं कहाँ से इतनी हिम्मत आ गयी जो मैंने उस व्यक्ति का विरोध कर पाया। लेकिन एक सबक मिल गया कि शस्त्र खुद ही उठाना पड़ता है और अब दौर कृष्णा को पुकारने का नहीं अपने अंदर उभार कर साथ रखने का है।"

किसी ने कहा है "उठो द्रौपदी शस्त्र उठा लो अब गोविंद न आयेंगे।"

हमारी शिक्षा व्यवस्था में भी आत्म रक्षा को एक अनिवार्य विषय के रूप में कर देना चाहिए। बच्चियों को फिर से सिंड्रेला छोड़कर दुर्गा, रानी लक्ष्मीबाई की जीवनी पढ़ाई जाए। हम महिलाओं ने भी किस्से की बजाय भीड़ का हिस्सा होने का स्वभाव बना रखा है। मुझे भी दुख और गुस्सा आता है उन औरतों पर जो खुद माँ होकर उन बच्चियों की मदद न कर के चुप बैठी रहीं।



Rate this content
Log in

Similar hindi story from Tragedy