दो जान
दो जान
जब कोई इंसान बीमार होता है तो उसे अस्पताल ले जाया जाता है। और परिस्थिति के अनुसार कभी - कभार इमरजेंसी वार्ड में भी ले जाया जाता है।
हमें वहाँ अपना दिन गुजरना पड़ता है जो हमारे जिंदगी में एक अनुभव के तौर गुजरता है। लेकिन कभी किसी जानवर को देखा है जो किसी जानवर के लिए वार्ड में बैठा हो।
मैं सुनाता हूँ एक कहानी -
गर्मियों की छुट्टियाँ थी।
"हमारे घर में मेरे छोटे भाई को बिल्ली पालने का बड़ा शौक है। कहीं भी हो बिल्ली को वो घर ले ही आता था। आज भी ले आता है, लेकिन बचपन में काफी होशियार था। एक बार हमारे घर में मकान बना रहे थे। मकान के लिए जो नींव खोदी जाती है वो नींव खोद रहे थे। तो थोड़ी सी खोदी थी कि एक जानवर की आवाज़ आई। एक बेजान और ना के बराबर जान वाली एक छोटी - सी बिल्ली थी। देखने में लग रहा था कि किसी कुत्ते ने नोच कर दबा दी हो।
मेरा छोटा भाई बोला - " ये देखो बिल्ली "
हमने निकाली, उसे पानी पिलाया। मेरे छोटे भाई ने उसकी काफी सेवा की तब जाकर वो मरियल - सी बिल्ली खड़ी हो पाई।
थोड़ी देर बाद वो गुनगुना रहा था - कैसी है अब मेरी "निमी "
मैंने पूछा - अरे क्या हुआ कब से लगा रखा है निमी, निमी
"भैयाजी इसका नाम है आज से निमी"
तू बड़ा नाम निकलने लगा है।
उसी दिन मेरे मझले भाई को एक कुत्ता मिला वो उसे ले आया।
एक कुत्ता और एक बिल्ली का एक जगह ठहरना मुश्किल था।
इसीलिए दोनों को अगर अपनी पसंद का जानवर रखना है तो उसका पूरा खयाल रखना पड़ेगा। मेरा छोटा भाई थोड़ा जिद्दी था, इसीलिए वो कुत्ते को बाहर निकालना चाहता था। लेकिन अब दोनों को अपना जानवर रखना था।
हालात ये गए कि एक भाई बिल्ली को कुत्ते से बचाता और दूसरा कुत्ते को मेरे भाई से।
कुत्ते को चिढ़ाने के लिए मेरे छोटे भाई ने उसका नाम रखा - मेन्टल लेकिन दो दिन बाद ही मेन्टल से मोंटी हो गया।
काफी दिनों तक यही चलता रहा कि मोन्टी और निमी कम लड़ेंगे और मेरे भाई आपस में ज्यादा। लेकिन उनकी आदत बन चुकी थी। दिन में जो कुछ भी होता शाम तक सब भूल जाते थे।
एक दिन अचानक मोन्टी बाहर से कुछ खाकर आया कि
पता नहीं लेकिन नशीली दवा में सेवन की तरह व्यवहार करने लगा और जो कुछ भी दिखाई देने लगा उसे नोचने लगा। मेरे छोटे भाई की निमी उसके हाथ लग गयी और वो उसे नोचने लगा लेकिन मैंने उसे बचा लिया।
अब मोन्टी डॉक्टर को दिखाया गया तो डॉक्टर ने कहा कि -
" इसने एक्सपायर दवाई की गोलियाँ खा ली थी अब ठीक हो जायेगा "
और निमी को भी दिखाया गया और वो भी अब ठीक थी।
अब गर्मियों की छुट्टियों का अंत था। अब स्कूल खुल चुके थे और उन दोनों को स्कूल जाना था। इसीलिए जो भी घर से थोड़ा पहले निकलता दूसरे को चेतावनी देकर जाता की मेरे निमी को या मोन्टी को अगर कुछ भी हुआ तो ठीक नही होगा। और इसी तरह सबकुछ चलता रहा।
एक दूसरे की जान के दुश्मन देखते ही देखते अच्छे दोस्त बन गए। और यहाँ तक कि एक - दूसरे के साथ खाना खाते और सोते भी साथ में और शाम के समय में निमी - मोन्टी की पीठ पर बैठकर हिंडोले लेती हैं।
एक दिन बिल्ली की तबियत ज्यादा ही खराब हुई डॉक्टर को दिखया तो बताया कि -
"इसने कुछ नुकीली चीज अपने अंदर डाल ली है। और वो ना निकलने की वजह से ये कुछ ही दिन जिंदा रह पायेगी। अगर आप चाहे तो इसे हमारे पास छोड़ सकते है। "
लेकिन मेरे भाई की जिद्द की वजह से हम उसे वहाँ से घर ले आये।
अगले दो महीनों तक देखते ही देखते वो पीली पड़ने लगी। हिम्मत खत्म हो चुकी थी। एक दम मरियल सी हो गयी।
फिर अचानक मोन्टी को किसी ट्रक ने टक्कर मार दी जिससे उसकी हालत बहुत ही गम्भीर हो गयी। जब उसे अस्पताल ले जाया जा रहा था तब काफी दिनों से जो निमी हिली तक नहीं सकती थी वो भागकर गाड़ी में चढ़ गई।
उसे उतारा किसी ने नहीं क्योंकि शायद यही लिखा था। मोन्टी को इमरजेंसी वार्ड ले गये।
हमें बाहर खड़े रहने को कहा गया।
निमी की हालत देखकर डॉक्टर ने कहा - " मैं डॉक्टर तो डॉग्स का हूँ लेकिन शायद इस कैट को बचा सकता हूँ। दोनों को एक ही वार्ड में ले गये।
दो दिनों उनका इलाज चला और तीसरे दिन सुबह डॉक्टर ने बताया कि आज एक वार्ड में दो जान गई।
हम सब स्तब्ध रह गए।