STORYMIRROR

Nandini Upadhyay

Tragedy

3  

Nandini Upadhyay

Tragedy

दो चेहरे

दो चेहरे

2 mins
347

सवीता देवी ,लीडिंग पार्टी की मंत्री, लाल बत्ती वाली मंच पर भाषण दे रही थीं-

" बेटियां हमारे जीवन का उजाला हैं। बेटियों से ही हमारा जीवन है। बेटी है तो कल है। हमें अपनी बेटियों को आगे बढ़ाना चाहिए, आगे पढ़ाना चाहिए। उन्हें अपने पैरों पर खड़ा करना चाहिए , क्योंकि अपने पैरों पर खड़े होकर खुद का पालन करने लायक बने। किसी के आगे मजबूर ना बने। बेटियां वह हैं जो एक नहीं दो-दो घर बनाती हैं । हमें अपनी बेटियों पर नाज होना चाहिए । हमारी बेटी आज क्या नहीं बन रही है, कलेक्टर बन रही है, डॉक्टर बन रही है, इंजीनियर बन रही है, साइंटिस्ट है, एस्ट्रोनॉट बनकर आसमान में जा रही है । ऐसी कौन सी जगह है जहां पर हमारी बेटियां नहीं हैं ।"

चारों ओर से तालियों की गड़गड़ाहट चालू हो गई। सभी लोग कह रहे थे " सविता देवी कितनी अच्छी हैं ,कितने उच्च विचार हैं उनके, उन्होंने खुद ने भी कभी बेटे बेटी में फर्क नहीं किया, और हमारे समाज को भी बहुत अच्छे विचार दे रही हैं । हमारे समाज के लोगों को आगे बढ़ने के लिए ऐसे ही लोगों की बहुत सख्त जरूरत है "।


दूसरा सीन सविता देवी घर पर 

"बहू ओ बहू कहां मर गई जल्दी पानी लेकर आओ।

बहू पानी लाती है..

"क्यों आज गई थी कि नहीं डॉक्टर पास"?

बहू - "जी माँजी मैं गई थी।"

सविता देवी- "क्यों क्या बोला। "

बहू :- "उन्होंने आपके लिए पर्चा दिया है ।"

(सरिता देवी ने प्रिस्क्रिप्शन देखा उनके सिर पर बल पड़ने लगे)

उन्होंने कहा "चलो ठीक है कल हम चलेंगे डॉक्टर पास।"

जब उन्होंने पर्चा टेबल पर रखा तो उस पर कैपिटल में F लिखा हुआ था।

और बहू सोच रही थी, अब वही होगा जो तीन बार पहले भी हो चुका है।



Rate this content
Log in

Similar hindi story from Tragedy