कलमकार सत्येन्द्र सिंह

Tragedy Abstract Drama Others

4.6  

कलमकार सत्येन्द्र सिंह

Tragedy Abstract Drama Others

दक्षिणा

दक्षिणा

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घर से अभी शव निकला भी न था कि क्या पंडित...क्या नाऊ...सबकी मांग की लिस्ट बनती जा रही थी...बढ़ती जा रही थी.सीमा का अब पारा बढ़ता जा रहा था किन्तु चुपचाप सारी क्रियाएं करती जा रही थी.

यथासंभव दान दक्षिणा के बाद भी जब वे सब संतुष्ट न हुए तो उससे रहा न गया.वह अन्दर जा कर रोने लगी.शायद अपनी बेबसी पर वह अपने वैधव्य से ज्यादा रो रही थी.वे सब लालची, सीमा द्वारा दिए दक्षिणा में उसकी आह भी बटोर चुके थे।


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