Rajesh Chandrani Madanlal Jain

Fantasy

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Rajesh Chandrani Madanlal Jain

Fantasy

दिव्य शक्ति (9)

दिव्य शक्ति (9)

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(भाग 8 के आगे … ) 

अनन्या एवं मेरी आँखों के मिलने से, उत्सर्जित हुई इंद्रधनुषी किरणें, हमें दिखाई ही नहीं दे रही थी अपितु स्क्रीन से उभरकर बाहर हमारी (अर्थात वीडियो देखने वाले की) आँखों में प्रविष्ट हो रहीं थीं। 

अनन्या ने अब यह नोट कर लिया था। उसे मेरे एक्साइटमेंट का कारण स्पष्ट हो गया था। 

हमारी #केदारनाथ से वापसी अगली दोपहर होनी थी। संध्याकाल हमने भ्रमण कर, वहां की अत्यंत #नयनाभिराम प्राकृतिक छटाओं का आनंद लिया था। फिर भोजन उपरांत कुछ देर वार्तालाप करते हम सो गए थे। 

प्रातः काल, अनन्या उदास सी मेरे सामने आई, उसने मुझसे कहा - अभी नींद खुलने के पहले मैं, एक सपना देख रही थी। 

मैंने हैरत से कहा - एक सपना तो आज, मुझे भी आया है। तब अनन्या ने पूछा, बताइये आप, क्या था, आपका सपना?   

मैंने कहा - लेडीज फर्स्ट, पहले आप कहो, अपना सपना। 

अनन्या गंभीर होकर बताने लगी - 

अपने सपने में, मैंने देखा कि - एक #सूर्य_सा_प्रखर_प्रकाश_स्रोत था। जिस के सामने मेरी आंखे चौंधिया जाने से अधखुली से रह गईं थीं। उसमें से निकलती एक #दिव्य_वाणी, मुझे सुनाई पड़ रही थी -

“अनन्या, इस विषम काल में नारी की दशा सुधारने के लिए, पिछले नौ से अधिक वर्षों से, मैं तुम्हारे साथ हूँ। मैं, किसी के साथ, दस वर्ष से ज्यादा नहीं हो सकती। अतः कुछ महीनों में मुझे, तुम्हारा साथ छोड़ना होगा। 

यद्यपि तुमने मेरे प्रयोग से, नारी दशा सुधारने की दिशा में #उत्तम कार्य कर दिखाया है। मगर किया जाना अब भी पर्याप्त नहीं हो पाया है। बचे समय के लिए मैं, तुम्हें अधिकतम संभव, शक्ति दे रही हूँ। जितना चाहो तुम इस दिशा में और कार्य करो। कुछ महीने में मुझे, तुम्हारा साथ छोड़ना होगा। (तब मुझे, #आशीर्वाद प्रदान करता #दिव्य_हस्त दिखाई दिया) सदा खुश रहो। “

इतने के बाद मैं, नींद से जाग गई थी। 

तब मैंने पूछा - यह तो अच्छा सपना है, तुम उदास और डरी हुई सी क्यों हो? 

अनन्या ने कहा - 

दिव्य शक्ति के साथ छोड़ जाने के विचार से, मुझे अवसाद घेर रहा है। खैर छोड़िये इसे, अब आप, अपना सपना बताइये। 

मैंने बताया - अनन्या, दिव्य शक्ति ने ऐसा ही अपना #दिव्य_दर्शन , सपने में मुझे भी दिया है। ऐसा ही मुझे भी संबोधित किया है। जिसमें आपके सपने के अतिरिक्त, दिव्य शक्ति के #मुखारविंद से दो और बातें मुझे सुनाई दी हैं - 

“पहली यह कि :-

बचे समय में #नारी_उत्थान के लिए शेष रहा कार्य तुम्हें, अनन्या को साथ लेकर करना है। 

और दूसरी :-

जब मैं, साथ छोड़ जाऊँ तब तुम्हें, अनन्या से #विवाह कर, उसका साथ देना है।“

अनन्या मेरा बताया अंतिम वाक्य सुन, प्रसन्न हुई। उसने कहा - 

दिव्य शक्ति, अत्यंत भली है। दिव्य शक्ति ने, मेरा साथ छोड़कर जाने के बाद, आपको आदेशित कर मेरे लिए, उत्तम साथ #सुनिश्चित कर दिया है। 

इसके तीन दिन बाद जब, अपने क्लीनिक में काम पूरा कर चुके तब, हम दोनों आपस में वार्तालाप कर रहे थे। 

बात शुरू करते हुए, अनन्या ने चिंतित हो पूछा - इतनी बड़ी दुनिया में कुछ माह में, हम इतना बड़ा शेष कार्य कैसे पूरा कर सकेंगे? 

मैंने उत्तर देते हुए कहा - अनन्या, इसके लिए संकेत (हिंट), दिव्य शक्ति हमें #केदारनाथ_धाम में दे चुकी है। 

अनन्या ने पूछा - वह क्या?

मैंने बताया - 

वहां लिए गए वीडियो प्ले करने से, हमने की जा रही आरती के बीच, अपनी आँखों से उत्सर्जित इंद्रधनुषी किरणों को, स्क्रीन से बाहर आते देखा है। यह होने से, ऐसे रिकार्डेड वीडियो प्ले करने पर ये किरणें, वीडियो, देखने वाले की आँखों में प्रविष्ट हो जाती हैं। 

सपने में दिव्य शक्ति द्वारा कहे गए शब्द “अधिकतम संभव शक्ति” हमें प्रदान कर दिए गए, इसी #सामर्थ्य के लिए प्रयुक्त किये गए हैं। 

अनन्या खुश होते हुए बोली - मैं, समझ गई, अपने लक्ष्य की पूर्ति के लिए अब हमें, अपना एक वीडियो बनाकर नेट पर अपलोड करना होगा। 

मैंने कहा - (बिल्कुल) एक्जेक्टली, अनन्या! 

फिर हमने अपने क्लीनिक के कर्तव्य निभाने के साथ इस दिशा में भी बढ़ना आरंभ किया था। 

पहले #विचार_मंथन करके हमने, 10 दिनों में वीडियो के लिए एक स्क्रिप्ट तैयार की थी। तब अपना एक वीडियो शूट किया था। वीडियो को हमने #शीर्षक दिया था - 

“निर्मल प्यार”, 

इसमें अनन्या और मैं, आपस में बात करते हुए, क्या और कैसा होता है, #निर्मल_प्यार यह बताते हुए दिखाई दे रहे थे। तैयार वीडियो देखने वालों को यूँ दिखाई देने वाला था -

प्रारंभ में अनन्या मेरे तरफ इशारा करते हुए यह कहती है - 

लगभग नौ वर्ष पूर्व, मेरे साथ एक दुर्घटना हुई थी। तब मैं, पंद्रह वर्ष की भी नहीं हुई थी। दुर्धटना में मुझे सिर पर चोट लगी थी। मैं, अचेत हो गई थी। तब इन्होंने मुझे, लहूलुहान, अचेत अवस्था में अस्पताल पहुंचाया था। इस बारे में मेरे मम्मी-पापा ने, मेरे स्वस्थ हो जाने के बाद मुझे बताया था। तभी से मैं #मन_ही_मन, इन्हें प्यार करने लगी थी। 

इतना बताकर अनन्या मुस्कुराते हुए मुझे देखती है। तब हमारी आँखे मिलने से इंद्रधनुषी किरणें निकलती हैं। जो स्क्रीन के सामने दर्शक की ओर आती हैं। 

तब मैं कहता हूँ - 

मुझसे प्यार की अनन्या की अनुभूति से भी पहले, अनन्या से प्यार की #अनुभूति मुझे तब हुई थी जब, अस्पताल ले जाने के लिए, सड़क पर पड़ी गंभीर रूप से घायल अनन्या को मैंने, अपनी #बाँहों में उठा कर, अपनी कार में लिटाया था। 

कहकर #प्रेममय दृष्टि से मैं, अनन्या को देखता हूँ। फिर इंद्रधनुषी किरणें उत्सर्जित होती हैं। 

अब अनन्या कहती है - 

तब अचेत होने से मुझे, यह नहीं पता है कि इन्होंने, मुझे कभी अपनी बाँहों में उठाया था। इस घटना के बाद के तीन साल में हम 5 बार मिले थे। फिर अगले तीन साल तक हमने, जूनियर-सीनियर रहते हुए, मेडिकल कॉलेज में साथ शिक्षा प्राप्त की थी। इस तरह हमारा मिलना-जुलना निरंतर चलता रहा था। इस दौरान मैंने, नहीं देखा कि कभी इन्होंने, मुझे, किसी तरह से #स्पर्श भी किया हो। 

यह सुनने के साथ ही मैं, हँसता हूँ। तब अनन्या और मैं, प्यार से एक दूसरे को देखते हैं। पुनः हमारी आँखों से, इंद्रधनुषी किरणें उत्सर्जित होकर स्क्रीन से बाहर आती हैं। 

आगे मैं, कहता हूँ - 

अब, हम एक साथ हमारे क्लीनिक में रोगियों का #उपचार करते हैं। अब भी हम एक दूसरे का, #शारीरिक_स्पर्श नहीं जानते हैं। यह भी तब, जबकि कुछ महीनों में हम, आपस में अपना विवाह #सुनियोजित कर रहे हैं। 

यह कहकर मैं चुप हो जाता हूँ। इस बार की चर्चा विराम में, हम एक दूसरे को नहीं देखते हैं। 

अनन्या आगे कहती है - 

नौ बरस से हम निभाते रहे जिसे, उस प्यार की ऐसी #परिणति, आपको #स्वाभाविक लगेगी। इस वीडियो के #माध्यम से हम आपको यह बताना चाहते हैं कि - 

(कहते हुए अनन्या रूकती है, वह मुझे देखती है। इस बार दस सेकंड तक निरंतर मैं भी, अनन्या को #अपलक देखता हूँ। जिससे इंद्रधनुषी किरणें #प्रचुरता से उत्सर्जित होकर, एक “इंद्रधनुषी प्रकाश, #पुंज (बीम) रूप में” स्क्रीन से बाहर निकलता है।) 

अब हम साथ में, अपना स्वर मिलाते हुए कहते हैं - 

अगर हम, किसी परिस्थिति में आपस में विवाह नहीं भी कर पाते तब भी हमारा प्यार, हम में जीवन भर बना रहता। हमारा यह प्यार, एक दूसरे को सुखी देखने का #अभिलाषी है। 

हम में प्रेम की अनुभूति, हमारी आपसी अपेक्षाओं को निर्मल बनाती है। इसलिए हम इसे “निर्मल प्यार” का #विशेषण देते हैं। हम आशा करते हैं कि हमारे निर्मल प्यार को जानने के बाद, आप सभी भी, जिसे प्यार करते हैं, उसके लिए अपनी #भावनाएं ऐसे ही #निर्मल रखेंगे। 

फिर एक साथ खड़े होकर, हम हाथ जोड़ते हैं। और कहते हैं - #नमस्कार #धन्यवाद। 

वीडियो यहां पूरा हो जाता है। 

अगले एक महीने में हम, कुछ कलाकारों एवं #बहुभाषाविद की सशुल्क सेवा

लेते हैं। जिसकी सहायता से यह वीडियो, जापानी, इंग्लिश, रशियन, फ्रेंच भारत की सभी भाषाओं सहित विश्व की अन्य प्रमुख भाषा में डब कर लिया जाता है। 

अंततः इन सभी भाषाओं में डब्ड, यह तीन मिनट का वीडियो, हम नेट पर अपलोड करते हैं। 

“निर्मल प्यार” वायरल हो जाता है। यह वीडियो पूरे विश्व में देखा जाने लगता है। तब इंद्रधनुषी किरणें अपना #अपेक्षित #प्रभाव करने लगती हैं। #दर्शक_दृष्टि निर्मल होते जाती है। 

विश्व में नारी पर से, सभी तरह के अत्याचार के खतरे, लगभग नगण्य रह जाते हैं। कई, वीडियो देखने वाले, हमें एप्रोच करके पूछते हैं -

आपने, यह कौन सी तकनीक का #आविष्कार किया है जिससे, इंद्रधनुषी किरण आप दोनों की आँखों से सिर्फ उत्सर्जित ही नहीं होती अपितु स्क्रीन के बाहर आकर दर्शक की आँखों में प्रविष्ट हो जाती हैं। 

दिव्य शक्ति का हममें रहना हमें, झूठ बोलने या कोई बहाना करने नहीं देता है। हम उन्हें #सत्य बताते हैं - 

यह कोई खोजी गई तकनीक नहीं है बल्कि यह #सृष्टि के #प्रारब्ध से ही #अस्तित्व में रही, #दिव्य_शक्ति के हमारे साथ आ जाने से हुआ है। यह दिव्य शक्ति अब, हमारा साथ छोड़कर जाने वाली है। 

संपूर्ण #मानव_प्रजाति निर्मल प्यार वीडियो देखते हुए, #अविश्वसनीय इस सच को #स्वमेव #अनुभव करती है। 

तब अगले कुछ दिनों में हमारी आँखों से निकलते इंद्रधनुषी रंग, क्रमशः हल्के होने लगते हैं। 

एक दिन यह आता है कि हमारे आपस में देखने से इंद्रधनुषी किरणें नहीं निकलती हैं, हमारी दृष्टि के बीच, #श्वेत_धवल_प्रकाश सामान्य तरह से व्यस्त रहता है। 

यह #दिव्य_संकेत होता है कि अब अनन्या और मैं, पवित्र #परिणय_सूत्र में #आबद्ध होकर अपना #वैवाहिक_जीवन आरंभ करें। 

अब अनन्या और मैंने विवाह कर लिया हैं। हमारा क्लीनिक अभी अस्तित्व में है। साथ ही हमारा #नारी_सुरक्षा_एवं_सम्मान_रक्षा एनजीओ भी भलीभाँति चल रहा है।


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