Priyanka Gupta

Inspirational

4.6  

Priyanka Gupta

Inspirational

दिल से एक दूसरे के पास

दिल से एक दूसरे के पास

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"अरे वाह ,बेटा आप तो बहुत अच्छा डांस कर रहे हो। ",रिद्धिमा ने अपने पाँच वर्षीय बेटे अरिन्दम से कहा। 

"और क्या -क्या सीखा आज की क्लास में ?",अरिन्दम के पापा प्रखर ने पूछा। 

"आज तो बस डेज ही सीखे। एक वीक में सेवन डेज होते हैं। ",अरिन्दम ने मासूमियत से कहा। 

"अरे वाह ,हमारा बेटा तो बहुत होशियार हो गया। वैरी गुड बेटा। ",रिद्धिमा और प्रखर ने कहा। 

वीडियो कॉल ख़त्म करने के बाद रिद्धिमा ने अपनी पलकों तक लुढ़क आये ,आँसू पोंछ डाले थे। वह इतनी कमजोर थोड़े न हो सकती है। 

रिद्धिमा एक डॉक्टर है और उसके पति प्रखर पुलिस अफसर। रिद्धिमा की कोरोना वार्ड में ड्यूटी लगी हुई है ;वहीँ प्रखर भी लॉक डाउन को सफल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। अपने फ़र्ज़ के खातिर दोनों ने अपने 5 वर्षीय बेटे अरिंदम को उसके दादा -दादी के पास भेज दिया है। 

वाकई में , प्रखर और रिद्धिमा भी एक ही घर में रहते हुए ;एक -दूसरे से फ़ोन पर ही बात करते हैं। प्रखर ग्राउंड फ्लोर पर अकेले ही रह रहा है और रिद्धिमा फर्स्ट फ्लोर पर। दोनों एक दूसरे से सोशल डिस्टैन्सिंग मेन्टेन कर रहे हैं। 

अपने कार्य की प्रकृति के कारण दोनों किसी भी डोमेस्टिक हेल्प को अपने घर नहीं बुला रहे हैं। वह अपने कारण किसी और को मुसीबत में नहीं डाल सकते हैं। प्रखर कभी दलिया ,कभी खिचड़ी ,कभी नूडल्स ,कभी ब्रेड खाकर अपना काम चला रहा है। कई बार बर्तन झूठे होने कारण दूध और केला खाकर ही ड्यूटी पर निकल जाता है। 

एक दिन प्रखर रात को काफी देर से घर आया । वह थककर चूर था ,पेट में चूहे कूद रहे थे  हमेशा तो रिद्धिमा उसके लिए उसका पसंदीदा केसर दूध बनाकर रखती थी दूध पीते ही वह तरोताज़ा महसूस करता था । वह किचेन में गया सोचा कि सब सब्जियाँ डालकर 

खिचड़ी बना लेगा । बर्तनों स भरा हुआ सिंक ,उसे चिढ़ा रहा था । खिचड़ी बनाने के लिए कोई बर्तन साफ़ नहीं था । उसकी बर्तन साफ़ करने की हिम्मत नहीं थी । उसने फ्रिज खोलकर दूध निकाला और जैसे -तैसे दूध -कॉर्नफ्लेक्स खाकर अपना पेट भरा । 

प्रखर का फ़ोन घनघना उठा था ,"उफ़ क्या नौकरी है ?रात को भी चैन नहीं ।उसने बड़बड़ाते हुए अपना फ़ोन चेक किया । स्क्रीन पर रिद्धिमा का नाम चमक रहा था । 

"हेलो ,डिनर किया ?",प्रखर क फ़ोन उठाते ही उधर से आवाज़ आयी । 

"हाँ ,बस अभी फिनिश ही किया है । ",प्रखर न कहा । 

"क्या खाया ?",रिद्धिमा ने पूछा । 

"दूध -कॉर्न फ्लेक्स । ",प्रखर ने कहा । 

प्रखर को दूध कॉर्न फ्लेक्स बिलकुल पसंद नहीं थाकिन हालात और वक़्त इंसान से वह सब कुछ करवा लेते हैं ,जो वह कभी करना नहीं चाहते । 

"बहुत हो गया यार ,तुम नौकरी छोड़ दो । ",प्रखर ने चिढ़ कर रिद्धिमा से नौकरी छोड़ने के लिए कहा ।

तब रिद्धिमा ने उसे समझाते हुए कहा कि ,"प्रखर ,आज जब डॉक्टर्स की इतनी जरूरत है ;तब मैं कैसे अपने फ़र्ज़ से मुँह मोड़ लूँ। अगर आज मैंने अपने फ़र्ज़ को नहीं निभाया तो ताउम्र अपने आप से नज़रें नहीं मिला पाऊँगी। लोग जब हमारे पास आते हैं ,तब उनकी आँखों में दिखने वाली उम्मीद की किरण मुझे अपना फ़र्ज़ निभाने की नयी प्रेरणा देती है। "

"तुम मेरे साथ नहीं हो ;अरिंदम भी नहीं है ;हमारा परिवार तो बिखर गया है। ",प्रखर ने दुःखी होकर कहा । 

"परिवार है तो सही ;चाहे बिखरा हुआ ही हो।तुमसे कुछ छिपा हुआ थोड़े न है। मैं अपनी आँखों लोगों को अपना परिवार खोते हुए देख रही हूँ। हम लोग चाहे साथ नहीं हैं ;लेकिन दिल से एक दूसरे के पास हैं। हम चाहे एक -दूसरे को छू नहीं सकते ;लेकिन एक दूसरे को देख सकते हैं और सुन तो सकते हैं। ",रिद्धिमा ने उसे समझाया। 

"हाँ ,रिद्धिमा तुम सही कह रही हो। यह हम सबकी परीक्षा की घड़ी है। हमें इस समय मायूस नहीं होना। हम लोगों की उम्मीद नहीं तोड़ सकते। देखना हमारे हिम्मत और हौंसले से यह बीमारी भी हार जायेगी और सब कुछ पहले जैसा हो जाएगा। ",प्रखर ने कहा। 

"हाँ ,प्रखर ;वह सुबह कभी तो आएगी। सब अच्छा ही होगा। हम अपने बच्चों बेहतर दुनिया छोड़कर जायेंगे। ",रिद्धिमा ने कहा।

दोनों फिर अपने कर्तव्य पालन हेतु निकल पड़े । दोस्तों यह सिर्फ कहानी नहीं ;कई जोड़ों की सच्ची दास्ताँ है । आज हम सभी अपन प्रियों से मिल नहीं पा रहे ,लेकिन जल्द ही सब कुछ पहले जैसा हो जाएगा । जो लोग आपके दिल के पास हैं ,उनका साथ पाने के लिए धैर्य के साथ लॉक डाउन का पालन कीजिये ।

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