धुंधली रोशनी
धुंधली रोशनी
ताउते तूफान की वजह से दो दिन से जयपुर का मौसम बहुत बिगड़ा हुआ था दो दिन से लगातार बारिश आ रही थी बारिश रुकने का नाम नहीं ले रही थी अनुभा इस बात से परेशान थी कि वह नवीन के लिए कौन सी सब्जी बनाएंगी। क्योंकि जो सब्जियां घर में रखी थी वह करीब करीब सब खत्म हो चुकी थी। अनुभा के सामने यह समस्या थी कि वह आज किसकी सब्जी बनाएगी।
यह सोचकर उसने नवीन को आवाज लगाई
" नवीन ओ नवीन कहां हो तुम " अनुभा द्वारा एक बार आवाज लगाने पर नवीन ने उसकी आवाज को अवॉइड कर दिया और ऐसा बिहेव करने लगा जैसे उसने सुना नहीं।
अनुभा ने फिर से आवाज लगाई और कहां "नवीन कम से कम मेरी बात सुन भी लिया करो मैं क्या कहना चाहती हूं हर वक्त मुझे नजरअंदाज करते हो।"
नवीन ड्राइंग रूम से निकलकर अनुभा के पास आया और उससे बोला " बोलो क्या कहना चाहती हो " सुनो नवीन
अभी बारिश रुक गई है और तुम बाजार से जाकर अपनी पसंद की सब्जी ला दो फिर ना कहना अनुभा तुमने घर की सब्जी क्यों बना दी।
मैंने तुमको सारी बात बता दी है नवीन ने कहा ठीक अनुभा मेरा रेनकोट और बाइक की चाबी भी ला दो मैं अभी जाकर बाजार से सब्जी ले आता हूं। अनुभा ने रेनकोट और बाइक की चाबी लाकर नवीन को दे दी।
नवीन सब्जी लेने के लिए बाजार निकल गया। उसको पता था सब्जी को लेकर नाज नखरे वही करता है अनुभा तो बेचारी किसी भी तरह घर की सब्जी से खाना खा लेती हैं।
इतना सोचते सोचते वह सब्जी मार्केट आ गया घहरे बादलों के कारण काफी अंधेरा हो चुका था। नवीन ने ज्यादा देर करना मुनासिब न समझा क्योंकि वह जानता था कभी भी बारिश बहुत तेजी से आ सकती हैं।
पर उसने देखा खराब मौसम की वजह से सब्जी मार्केट आज लगा ही नहीं था बस एक कोने में वृद्धा सब्जीवाली अपनी सब्जियां लेकर इस आस से बैठी थी कि शायद कोई ग्राहक आए और उसके सब्जी खरीद ले।
नवीन ने झटपट उस सब्जी वाले के पास गया और उससे सब्जियां खरीदने लग गया उससे पूछा सारी सब्जी के कितने पैसे हुए। वृद्धा सब्जी वाली ने सब्जियों का हिसाब लगाते हुए नवीन को नब्बे रूपये बताएं नवीन ने अपने वॉलेट में से सो रुपए का नोट निकालकर उस सब्जी वाली को दे दिया रोड लाइट की मद्धिम रोशनी के कारण सब्जी वाली ने नवीन को दस रुपये के बजाए पचास रुपये का नोट दे दिया नवीन पचास रुपये का नोट देखकर चौक गया उसने अनुमान लगाया या तो सब्जीवाली को हिसाब करना नहीं आता या फिर मद्धम रोशनी के कारण उसको पचास रुपये के बजाय दस रुपये का नोट के उसको दे दिया।
नवीन ने उस सब्जी वाली से कहा अम्मा आपने मुझे गलती से दस रुपये की वजह पचास रुपये का नोट दे दिया है
सब्जी वाली ने कहा माफ करना बेटा नजरें बहुत धुंधला गई है और इस अंधेरे में मुझे ठीक से दिखाई नहीं दिया।
जो मैंने आपको पचास रुपये का नोट दे दिया।
नवीन ने उस सब्जी वाली से दस रुपये का नोट लेकर घर की ओर रवाना हो गया और मन ही मन सोच रहा था कि इस व्यवस्था में भी इंसान की कौन सी मजबूरियां हैं जो उसको काम करने के लिए धकेलती है।
