Rekha Verma

Drama Inspirational

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Rekha Verma

Drama Inspirational

नया सवेरा

नया सवेरा

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यह कहानी शुरू होती है एक छोटे से गांव मधुपुर से। बहुत ही प्यारा मनभावन सा गांव है , यहां प्रकृति से भरपूर नजारे हैं जो हर किसी को बरबस अपनी और आकर्षित किए बिना नहीं रह सकते। मैं भी उस छोटे से गांव में अपने परिवार के साथ रहती थी। हमारे पड़ोस में श्यामचरण जी रहते थे। काफी मिलनसार व हसमुख स्वभाव के इंसान थे। गांव में हर कोई उनकी इज्जत करता था। हमारे गांव में वे बड़े बाउजी नाम से पहचाने जाते थे। इसी तरह का नेचर उनकी धर्म पत्नी श्यामली जी का था। उनसे मिलकर अपनेपन का एहसास होता था।

शादी के 20 साल तक श्याम चरण जी के यहां कोई संतान नहीं हुई थी। काफी देवी और देवताओं को ढोकने व मन्नत मुरादों के बाद उनके यहां पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई। नाम रखा था कुलदीप। काफी लाड प्यार में पला था। और पले भी क्यों ना वह श्याम चरण जी का इकलौता जो बेटा था। श्याम चरण जी ने अपने बेटे की शिक्षा दीक्षा में कोई कमी नहीं छोड़ी थी। उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए उसको अमेरिका भेजा था।

श्याम चरण जी चाहते थे की जो कुछ उनको नहीं मिला वह सब उनके बेटे को मिले। पढ़ाई पूरी करने के बाद वह घर लौट रहा था। रामचरण जी काफी खुश थे। बेटे की लौटने की खुशी में पूरे घर को दुल्हन की तरह सजाया गया था । घर में कुछ खास मेहमान भी आए हुए थे। मैं भी उनकी खुशी में शामिल थी। श्याम चरण जी अपनी संबंधियों के साथ रेलवे स्टेशन पहुंचे और अपने बेटे का कातर भरी नजरों से ढूंढने लगे।

रेलवे स्टेशन पर काफी चहल-पहल थी। जैसे ही कुलदीप रेलवे कंपाउंड से बाहर अपनी सरजमीन पर पैर रखा उसकी आंखें अपने गांव की जन्मभूमि को देख कर छल छला गई। श्याम चरण जी ने अपने बेटे को देखा और उसको कस कर अपनी बांहों में भर लिया। खुशी के मारे श्याम चरण जी के मुख से बोल नहीं निकल पा रहे थे। केवल इतना ही कह पाए कैसे हो बेटा ?

और बेटे को देखकर आंखें छल छला गई थी जल्दी वह घर पहुंच गए श्यामली काकी ने अपने बेटे को गले लगा लिया। और उसको दुआएं देती चली गई। कुलदीप की एक अच्छी कंपनी में जॉब लग गई थी। कमाई भी काफी अच्छी थी। शीघ्र ही कुलदीप के लिए रिश्ते आने लगे। श्याम चरण जी अपने बेटे के लिए एक पढ़ी-लिखी, सुंदर सुशील, गृह कार्य में दक्ष लड़की की कल्पना दिल में संजोए हुए थे। शीघ्र ही उनकी यह मुराद पूरी हो गई और अंजलि घर में बहू बनकर आ गई।

श्याम चरण जी और श्यामली जी बहुत खुश थी मानो उनको ऐसा लग रहा था जैसे सारी खुशियां उनकी झोली में आन पड़ी हो। कुलदीप भी अंजलि जैसी लड़की को पाकर बहुत खुश था। उस समय तक तो सब कुछ ठीक-ठाक चलता रहा। अचानक अंजलि का रवैया अपने सास-ससुर के प्रति बदलने लगा।

अंजलि को अपने सास-ससुर फूटी आंख भी नहीं सुहाते थे अब कोई भी दिन ऐसा नहीं जाता की अंजलि घर में महाभारत ना कराए। रामचरण जी अंजलि के इस रवैया से बहुत टूट चुके थे। और कुलदीप भी परेशान रहने लगा था। श्यामली जी तो रोज-रोज के झगड़े से बीमार रहने लगी थी।

कुलदीप ने अंजलि को सबक सिखाने के लिए तय कर लिया था कि वह अपने मां और बाउजी की ज्यादा अपमान नहीं होने देना चाहता था और वह तुरंत अंजलि के साथ एक नए घर के शिफ्ट हो गया अंजलि अब बहुत खुश थी क्योंकि उसके साथ उसके सास-ससुर जो नहीं रह रहे थे। 

अब अंजलि हर तरह के बंधन से स्वतंत्र थी लेकिन कुलदीप अंदर ही अंदर टूट चुका था। उसे अपने मां बाबूजी रह रह कर बहुत याद करता था। एक दिन श्याम चरण जी के पास कुलदीप का फोन आया की बाऊजी आप दादा और मां दादी जी बन गए हैं रामचरण जी कि खुशी का कोई ठिकाना ना रहा और पूरे गांव में उन्होंने मिठाइयां बटवाई।

" कहते हैं ना मूल से प्यारा उसका ब्याज होता है।" श्याम चरण जी अपनी पत्नी के साथ अपने पोते का मुंह देखने के लिए हॉस्पिटल गए पोते का मुंह देखकर श्याम चरण जी और उनकी पत्नी श्यामली जी निहाल हो गए। वह बार-बार अपने पोते और बहू की बल्लइया ले रहे थे। लेकिन अंजलि को अपने सास-ससुर को देखकर थोड़ी सी भी खुशी नहीं हो रही थी। और वह अपना मुंह पलट कर सो रही थी।

अचानक नर्स आकर बच्चे को रूटीन चेकअप के लिए ले गई काफी टाइम गुजरने के बाद भी वह बच्चे को नहीं लाई। जब पूछताछ की गई तो पता चला उस नाम की कोई नर्स नहीं थी। हॉस्पिटल प्रशासन के पूरी तरह से हाथ पैर फूल गए बच्चे का गायब होना हॉस्पिटल प्रशासन पर एक करारा प्रश्न बिंदु लगा रहा था। 

पुलिस में एफ आर आई दर्ज कराई गई इधर 24 घंटे बीत चुके थे। बच्चे का कोई अता पता नहीं था। अंजलि का तो रो रो कर बुरा हाल हो रहा था। और उसे अपने किए पर पछतावा भी हो रहा था वह किस तरह से कुलदीप को अपने माता-पिता से अलग करने का गुनाह जो किया था।

शायद भगवान उसी की सजा अंजलि को दे रहा था। तभी कुलदीप के मोबाइल की घंटी घन घना उठी फोन पुलिस स्टेशन से था। पुलिस ऑफिसर बोल रहे थे मिस्टर कुलदीप आपके लिए एक खुशखबरी है आपका मासूम बच्चा अब पुलिस की कस्टडी में आ चुका है आप अब रिलैक्स हो जाइए और वह औरत जो नर्स बन कर उसके मासूम बच्चे को चुराई थी। हमारी पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया है। अंजलि अपने बच्चे को गोद में लेकर बहुत खुश थी।और शायद अपनी करनी के लिए शर्मिंदा भी , उसने हाथ जोड़कर अपने सास-ससुर से माफी मांगी और कभी ऐसा ना करने का वायदा भी किया। श्याम चरण जी ने हंसते हुए कहा। तुम्हारे जैसे उम्र में नादानियां होना स्वाभाविक है लेकिन मेरे मन में एक विश्वास जरूर था कि अवश्य तुम्हारे में एक दिन अवश्य बुद्धि आएगी। और अपनों के बीच रूठना मनाना तो चलता ही रहता है। कोई बात नहीं देर आए दुरुस्त आए। और अगर " सुबह का भूला अगर शाम को घर आ जाए तो उसे भूला नहीं कहते "। श्याम चरण जी और उनकी पत्नी बहुत खुश थे उनका टूटा हुआ घर एक बार फिर मजबूत दीवारों के साथ फिर से उठ खड़ा हुआ था।

आज का सूर्य अपने पूरे आशीर्वाद के साथ श्याम चरण जी के परिवार पर खुशियों के किरणें बरसा रहा था

श्याम चरण जी के परिवार पर छाया अंधकार अब छठ चुका था।



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