Rekha Verma

Inspirational

3.9  

Rekha Verma

Inspirational

अभागी से सुभागी लक्ष्मी

अभागी से सुभागी लक्ष्मी

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आज अदिति सुबह से परेशान थी। उसकी परेशानी का कारण था वर्षा जो सुबह से लगातार हो रही थी। अदिति का मन घर में घुटे जा रहा था । क्योंकि अदिति को घर में रहना पसंद नहीं था । आदित्य अपने बिजनेस में बिजी रहते थे आदित्य जोकि अदिति के पति थे। आदित्य के पास अदिति के लिए समय नहीं था। इसलिए अदिति बाहर घूम फिर कर अपना टाइम व्यतीत करती थी ।

और सुबह से बारिश बहुत तेजी से हो रही थी अदिति अपने घर का कामकाज निपटा के बालकनी में आकर बारिश का लुफ्त उठाने लगी। अचानक उसके मस्तिष्क में 25 साल पुरानी घटना चलचित्र की भांति संजीव हो उठी । 25 साल पहले ऐसे ही बारिश वाली रात थी । अदिति रसोई का काम निपटा कर बेडरूम में आदित्य के पास जा रही थी।

 अचानक दरवाजे पर किसी ने दस्तक दी । अदिति का मन घबरा उठा इस घनघोर बारिश में रात्रि के समय कौन आ सकता है । यह सब कुछ अदिति की सोच ही रही थी तभी आदित्य की शयन कक्ष में से आवाज आई "कौन है अदिति जो दरवाजे को इतनी जोर जोर से कौन पीट रहा है।" अदिति ने जवाब दिया "मैं क्या जानू मैंने देखा थोडे ही है। जो मुझे पता चले कि दरवाजे पर कौन हैं।"," सुनो अदिति ऐसे ही गेट मत खोल देना आजकल जमाना बड़ा ही खराब है। रुको मैं आता हूं और सुनो वह किचन में जो डंडा रखा है वह भी साथ में ले लो अगर कोई असामाजिक तत्व हुआ तो हम उसकी पिटाई कर देंगे।" 

"ठीक है जी" अदिति ने कहा जब गेट खोला तो एक 25 साल की एक महिला खड़ी थी उसके गोद में करीब 6 माह का बच्चा था और उंगली में ढाई साल की एक लड़की थी वह पूरी तरह से बारिश में भीग चुकी थी और ठंड से थर थर कांप रही थी। आदित्य बोले कौन हो तुम हम तो तुमको नहीं जानते हैं और इस तरह से दरवाजा पीटने का क्या अर्थ है । वह कुछ नहीं बोली। अदिति को उसके ऊपर बहुत दया आ रही थी। 

 उसने आदित्य से कहा " तुम रुको " मैं उस से पूछती हूं उसने उस महिला से पूछा तुम कौन हो और इन मासूम बच्चों के साथ बारिश में क्यों भीग रही हो।" बड़े डरते हुए उस महिला ने कहा "मेरा नाम लक्ष्मी है ।मेरे ससुराल वालों ने मुझे धक्का देकर घर से बाहर निकाल दिया क्योंकि मैंने दूसरी बार भी बेटी को जन्म दिया।उनको तो अपना वंश चलाने के लिए बेटा चाहिए था।" मैंने पूरी बातें उसकी बड़े ध्यान से सुनी। पता नहीं क्यों मेरा मन उसकी हर एक बात पर विश्वास करने को कह रहा था।

 मैंने आदित्य से बात की और उसको रात बिताने के लिए जगह दे दी । जब सुबह हुई तो लक्ष्मी जाने के लिए तैयार हो गई । पता नहीं क्यों मेरा मन उसको रोकने के लिए आतुर था । मैंने उससे कहा "तुम कहां जाओगी तो उसने कहा जहां ईश्वर लेके जाएंगे मैंने उससे कहा क्यों ना तुम यहीं पर रुक जाओ मेरे घर के काम में हाथ हटा देना । और मेरा दिल पर लगा रहेगा और तुम्हारी बेटियों की परवरिश भी हो जाएगी बदले में मैं तुम्हें वेतन भी दूंगी।" कुछ देर तक लक्ष्मी सोचती रही फिर उसने हां में अपनी सहमति जता दी  और वह वहीं पर रुक गई।

अदिति को पता चला कि वह सिलाई कढ़ाई बुनाई में प्रवीण है तो उसने उसके लिए एक सिलाई मशीन खरीद दी। अड़ोस पड़ोस लोग उससे कपड़े  सिलवाने आने लगे । धीरे धीरे उसने दुकान लेकर अपना बिजनेस प्रोफेशनल रुप से शुरू कर दिया और उसका बिजनेस बढ़ने लगा। अबे लक्ष्मी के पास इतना पैसा इकट्ठा हो गया कि उसने अपना छोटा-मोटा घर ले लिया । और दोनों लड़कियों को अच्छे स्कूल में दाखिला दिला दिया वक्त का पंछी पंख लगा के उड़ने लगा । लक्ष्मी की मेहनत रंग लाई और लक्ष्मी की दोनों बेटियां डॉक्टर बन गई थी।

 एक दिन बाजार में लक्ष्मी के मुलाकात अदिति से हो गई अदिति तो लक्ष्मी को पहचान नहीं पाई थी लेकिन लक्ष्मी ने बिना देर लगाए अदिति को पहचान लिया और अदिति का हाल खबर पूछने लगी ।

"अदिति बोली लक्ष्मी मैं तो तुमको पहचाने नहीं पाई तुम कितना बदल गई हो और तुम्हारी बेटियां कैसी है" लक्ष्मी ने खुश होकर बोला "दीदी जी वह दोनों डॉक्टर बन गई है सब अपनी लाइफ में बिजी हो गई है ।"  

अदिति ने कहा "यह तो बहुत अच्छी बात है यह सब तुम्हारी मेहनत का नतीजा है" लक्ष्मी ने कहा "नहीं दीदी जी यह सब आप के कारण ही हुआ है उस तूफानी रात में आप मुझे सहारा नहीं देती और मुझे आगे बढ़ने के लिए हिम्मत नहीं बधाती तो मेरी किस्मत मे ये दिन कभी भी नहीं आते आप मेरे लिए किसी ईश्वर से कम नहीं अगर इस दुनिया में ईश्वर होगा तो वह बिल्कुल आप के जैसा होगा।" ,"अरे नहीं रे पगली मुझे तो तू इंसान ही रहने दे भगवान का दर्जा देने के मैं लायक नहीं हूं मैं एक इंसान हूं और एक मुसीबत में पड़े इंसान की मैंने मदद की है और एक इंसानियत का फर्ज अदा किया है बाकी तो सब तेरी मेहनत का परिणाम है ।" इस तरह से अभागी लक्ष्मी सुभागी लक्ष्मी में बदल गई और अपनी मेहनत व अदिति के सहयोग से अपनी जिंदगी को खुशहाली में बदल दिया।

WRITTEN  STORY BY

REKHA VERMA 


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