Rekha Verma

Inspirational

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Rekha Verma

Inspirational

सावरी

सावरी

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रूपाली के तीन बच्चे थे बेटा राहुल और बेटी रिंकी जो रूपाली की तरह गौर वर्ण के थे लेकिन बेटी सावरी श्याम वर्णय थी। इसलिए रूपाली का सारा प्यार बेटे राहुल और बेटी ने रिंकी पर ही उमडा कराता था।

बेटी सावरी से वह ज्यादा स्नेह नही करती। रूपाली के पति तरुण ने उसको बहुत समझाने का प्रयास किया देखो रूपाली अपने बच्चों में इस तरह का भेदभाव नहीं करते। सांवरी अगर सांवले रंग की है तो उसमें उसका क्या कसूर है। देखो तुम इस तरह से बच्चों में भेदभाव करने का नजरिया बदल लो नहीं तो आगे तुमको बहुत परेशानी होगी। लेकिन रूपाली पर तरुण की बातों का कहां असर होने वाला था। रिंकी बात बात पर अपनी छोटी बहन सावरी पर अपनी सुंदरता का रोब झाडती रहती थी। हर बात में उसको नीचा दिखाने का प्रयास करती थी।

तरुण कितनी बार समझाते थे। देखो रिंकी बात बात पर सांवरी का मजाक नहीं उड़ाया करते। वह तुम्हारी बहन है तुम उसके साथ अच्छे से रहा करो। लेकिन रिंकी में तो अपनी मम्मी का एटीट्यूड था। वह सब बातों को कैसे मान सकती थी। पापा तरुण सावरी से बेहद प्यार करते थे। और वह उस को समझाते थे। देखो बेटा अपनी मम्मी और अपनी बहन की बातों का तुम बुरा मत माना करो उनकी तो आदत ही ऐसी है। मैंने उनको कितनी बार समझाया लेकिन वह मेरी एक बात ही नहीं सुनती। सावरी ने कहा पापा आप क्यों परेशान होते हो मैं उनकी बातों का तनिक भी बुरा नहीं मानती। 

वैसे सावरी बहुत ही शांत स्वभाव की लड़की थी। स्कूल में भी वह सभी टीचरों की प्रिय छात्रा थी। पढ़ाई में होशियार थी। और बड़ों का आदर करना उसके स्वभाव में ही था।

दसवीं क्लास की वह छात्रा थी। और अच्छे से पढ़ाई करती थी। स्कूल के बच्चे उसके सावले रंग के कारण उसकी मजाक उड़ाते थे। लेकिन सावरी बहुत धैर्यवान लड़की थी। वो किसी की भी बातों का बुरा नहीं मानती थी। और स्कूल में भी जरूरतमंद बच्चों की मदद किया करती थी। सांवरी की बड़ी बहन रिंकी 12वीं क्लास मे पढ़ती थी। और राहुल छठी क्लास में पढ़ता था। रिंकी और सावरी के बोर्ड के एग्जाम थे। साबरी जब भी वक्त मिलता वह पढ़ाई करने में बिजी रहती और रिंकी को तो पढ़ाई से जैसे कोई मतलब ही नहीं था। वह दिन रात आईने के सामने अपनी सुंदरता को निहारा करती और सारा टाइम सजने सवरने में लगा देती।

 रुपाली भी रिंकी को कुछ भी नहीं कहती और पढ़ाई करती हुई सावरी को उठाकर घर के काम में लगा देती लेकिन सावरी रातों को जाग कर पढ़ाई करती। अब बोर्ड की परीक्षाएं नजदीक आ गई और वह दिन भी आ गया रिजल्ट आने वाला था। रिंकी बहुत डरी हुई थी। क्योंकि वह जानती थी उसके 12वीं के पेपर ठीक से नहीं हुए हैं। और प्रतिशत भी कुछ अच्छा नहीं बनेगा। जबकि सावरी को कोई चिंता फिक्र नहीं थी।क्योंकि उसके सारे परचे बहुत अच्छे से हुए थे। 

तभी रिंकी और सांवरी के स्कूल प्रिंसिपल उनके घर आ गए। साथ में कुछ टीचर और मीडिया वाले भी थे। सावरी व सावरी के पापा यह समझ में नहीं आया कि यह मीडिया वाले उनके घर में क्यों आए हैं प्रिंसिपल ने सावरी को बधाई दी और मुंह मीठा करवाया सावरी को यह सब कुछ समझ में नहीं आ रहा था तभी प्रिंसिपल सर ने बताया कि सांवरी का मेरिट में पहला स्थान आया है।मीडिया वालों ने सांवरी का इंटरव्यू लिया और उसके उज्जवल जीवन की बधाई दी। रुपाली को अपनी गलती का एहसास हो गया जिस बेटी से वह नफरत करती थी आज उसी बेटी ने उसको बड़ा ही गौरवपूर्ण सम्मान दिलाया था रिंकी के सेकंड डिवीजन से ही पास हो पाई थी। आज सावरी ने अपनी बहन और अपनी मां की गलतफहमी हमेशा के लिए दूर कर दी थी। 

रूपाली ने अपनी बेटी सावरी को अपने सीने से लगा लिया और अपने गलत व्यवहार के लिए उससे माफी मांगने लगी साबरी ने कहा मां जो भी होता है अच्छे के लिए ही होता है मुझे इस बात की खुशी है कि मुझे मेरी प्यार करने वाली मां मिल गई। सभी की आंखों में खुशी व भावना के आंसू थे।


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