पढ़ाई का महत्व
पढ़ाई का महत्व
मुनिया अपनी मां बाबा के साथ शहर में रहती थी ।उसके बाबा 2 साल से बीमार थे ।मुनिया की मां ज्यादा पढ़ी-लिखी नहीं थी । मतलब अंगूठा टेक थी ।कुछ लिखना पढ़ना नहीं आता था ।और ना ही हिसाब किताब करना आता था ।हाँ सिलाई कढ़ाई के अंदर वह निपुण थी।
वही कोई कपड़ा फैक्ट्री थी। जोकि कपड़े सिलने का काम मुनिया की मां सीमा को देती थी।
एक बार सीमा सिलाई के कपड़े देने के लिए कपड़ा फैक्ट्री गई थी वहां के मुनीम में कपड़े की काउंटिंग करके सीमा को पैसे दे दिए
क्योंकि सीमा ज्यादा पढ़ी-लिखी नहीं थी इसलिए वह पैसे लेकर घर आ गई सोचा उसने मुनीम ने पैसे ठीक ही दिए होंगे । एक दिन की बात है । मुनिया की मां को सिले हुए कपड़े फैक्ट्री में देकर आने थे मुनिया ने जिद्द की कि वह भी उसके साथ चलेगी सो मुनिया भी अपनी मां के साथ कपड़ा देने के लिए फैक्ट्री चली आई फिर वही मुनीम में कपड़े काउंट करके मुनिया के मां को पैसे दे दिए। इस बार पैसे कम थे । इस बार मुनिया को थोड़ी शंका हुई उसने अपनी मां से कहा " मां जरा यह रुपए मुझे देना लगता है मुनिम ने आपका रुपए कम दिए हैं" सीमा ने वो रुपए अपनी बेटी मुनिया को दे दिए मुनिया नी उन रुपयों को गिना रुपए बहुत कम थी जितना पैसा सीमा का बन रहा था उससे कम पैसे मुनीम सीमा को दिए थे। मुनिया ने अपनी मां से कहा देखो माँ तुम्हारे अनपढ़ होने का नतीजा पता नहीं मुनीम कब से यह घफला तुम्हारे साथ कर रहा है और पता नहीं तुम कब से इतना कम पैसा उस मुनीम से लेती आ रही हो। सीमा ने कहा तुम ठीक कह रही हो बेटी लेकिन मैं क्या कर सकती हूं। सोनिया ने कहा ज्यादा तो नहीं मां लेकिन तुम हिसाब किताब लगाना और थोड़ा बहुत पढ़ना लिखना तो सीख सकती हो। सीमा ने कहा रहने दे बेटी इस उम्र में क्या पढ़ना और क्या लिखना अब तो अगले जन्म में ही पढ़ना लिखना होगा और वैसे भी मुझे पढ़ना लिखना कौन सिखाएगा। सोनिया ने कहा मां मैं हूं ना आपको हिसाब किताब में और पढ़ने लिखने में फ्रेंड कर दूंगी ठीक है। फिर कोई भी आपकी मजबुरी का फायदा नहीं उठा पाएगा। करीब एक महीने के बाद मुनिया की मेहनत रंग लाती है । और वह अपनी मां को अच्छे से पढ़ना लिखना और हिसाब करना सिखा देती हैं।
फिर सीमा सिले हुए कपड़े फैक्ट्री में देने जाती है ।और मुनीम कपड़े गिनकर सीमा को पैसा देता है ।सीमा इस बार मुनीम के झांसे में नहीं आती और वह मुनीम से कहती हैं मुनीमजी यह पैसा तो कम है । आप मुझे और पैसा दीजिए ।मुनीम अपनी गलती स्वीकार करते हुए उसे और पैसा दे देता है ।लेकिन मुनीम सीमा से कहता है क्यों री सीमा तुझे तो पढ़ना लिखना नहीं आता था ।फिर तूने हिसाब किताब लगाना कैसे सीख लिया। सीमा ने कहा यह सब मेरी बिटिया मुनिया के कारण संभव हो पाया है ।आप मुझे अब बेवकूफ नहीं बना सकते अब मुझे भी हिसाब किताब करना आ गया है।
इस तरह से मुनीम के द्वारा किए जाने वाले शोषण से सीमा को हमेशा हमेशा के लिए छुटकारा मिल जाता है ।
और उसे पढ़ाई लिखाई का महत्व समझ में आ जाता है।
