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Savita Gupta

Inspirational

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Savita Gupta

Inspirational

दहशत

दहशत

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सुबह -सुबह दादी को बेहद घबराए हुए देखकर पूछ बैठी,"क्या हुआ दादी?"

दादी लगभग रोते हुए बोली;"अरे बाप रे बाप अब हम नहीं बचेंगे।"

"मतलब,अचानक क्या हो गया आपको?"मैंने पूछा ।

"देख न निगोड़ी ‘कोरोना ‘महामारी बन कर पूरी दुनिया को खा रही है;पेपर में लिखा है बुजुर्ग लोगों को यहआसानी से जकड़ ले रही है सब बुढ़े लोग को यह छूत की बिमारी लग रही है और कोई दवा भी नहीं निकला है अब तक इसका ,जिसके कारण बिना इलाज के सब मर रहे हैं ।अभी तो तुम्हारी शादी देखनी थी।एक बार हरिद्वार जाकर गंगा नहाना था..."

दादी की लम्बी लिस्ट ख़त्म होने का नाम नहीं ले रही थी जिसे पूरा करना था इसलिए शायद चिंतित थी ,या हर कोई जीना चाहता है सब को जान प्यारी होती है ।यह स्वाभाविक प्रवृत्ति है ;मनुष्य का कि जब तक ज़िन्दा रहता है खुश और स्वस्थ रहना चाहता है।बीमारी ,दुख ,चिंता या कोई अनहोनी न हो जाए ;से सदैव चिंतित रहता है दादी भी रात दिन 

कोरोना के ख़बर सुन सुन कर घबरा गई थी ।

"नहीं ,दादी आपके पास तो कोरोना फटक भी नहीं सकती;आप इतना साफ़ सफ़ाई रखती हैं ।कहीं बाहर भी आना जाना नहीं है आपको 

हम लोग भी मम्मी ,पापा,भैया सब लोग कहीं बाहर नहीं निकल रहे।बार -बार हाथ धो रहे हैं ।कामवाली दीदी को भी घर में घुसने के पहले हाथ धोकर अंदर बुलाते हैं ।बस साफ़ सफ़ाई रखना है ,दादी ;और आपको तो अगर कोई सफ़ाई प्रतियोगिता होगी तो उसमे फ़र्स्ट प्राइज़ मिल जाएगा ।आप इतनी सफ़ाई पसंद जो हो ,हा हा ..." हँसते हुए मैंने दादी को सामान्य करना चाहा ।जिसमें मैं कामयाब हुई।दादी अपनी बड़ाई सुन ख़ुश हो गई 

मम्मी भी मुस्कुराते हुए मुझे दूर से थम्स अप कर रही थी ।


      


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