Anil Jaswal

Inspirational

5.0  

Anil Jaswal

Inspirational

धरती पे स्वर्ग।

धरती पे स्वर्ग।

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नकु एक विज्ञानिक है। उसकी पत्नी कसु एक समाजसेवी हैं। उनका बेटा बकु शहर के प्रतिष्ठित स्कुल में ग्यारहवीं कक्षा का छात्र है। और बेटी रकी उसी स्कुल में दसवीं की छात्रा है। काफी हंसमुख परिवार है। सब पढ़ें लिखे होने के कारण हर घटना व दुर्घटना पे गहरी नज़र रखते हैं। घर और बाहर समकालीन विषयों में काफी वाद-विवाद भी करते हैं। फिर सब अपने-अपने निष्कर्ष निकालते हैं। यही नहीं उन निष्कर्षों को अमल में लाने की कोशिश भी करते हैं।

पिता नकु को अचानक परियावरण संबंधित इंटरनैशनल कांन्फ्रेंस में जनेवा जाने का मौका मिलता है। वो जैसे ही ये बात अपनी पत्नी कसु और बेटा बकु बेटी रकी को बताता है। सब बहुत खुश होते हैं। बच्चे इस विषय पर अपने माता पिता और सहपाठियों से खुब वार्तालाप करते हैं। आखिर उनके पिता जेनेवा कांन्फ्रेंस के लिए जाते हैं। बच्चे बहुत जिज्ञासु दिमाग के होते हैं। तो वो हर रोज पिता नकु से कांन्फ्रेंस की सारी जानकारी हासिल करते हैं। वो बात बाद में सहपाठियों और दोस्तों में भी पहुँचती है। कुछ दिनों बाद पिता नकु कांन्फ्रेंस से वापिस आ जाते हैं। तो बच्चे पूछते हैं। कि कांन्फ्रेंस का परिणाम क्या निकला। तो पिता नकु उनको बताते हैं। कि कोई भी देश अपनी जिम्मेदारी नहीं निभाना चाहता। जो महाशक्तियां हैं वो बस अपना अपना लाभ देख रही हैं। वो आज मैं जी रही हैं। लेकिन जो भविष्य इस अंधाधुंध तरक्की के कारण अंधकारमय होगा। खास करके हमारी अगली पीढ़ी का। शायद उसकी किसी को प्रवाह नहीं है। हमने तो कई प्रस्ताव रखे। जिसमें हमने कहा कि अब परियावरण नाज़ुक दौर से गुजर रहा है। और अधिक देर करना न्याय संगत नहीं है। तुरंत युएनओ की अध्यक्षता में सख़्त कानून बनाए जाएं। और उन्हें कड़ाई से पालन करवाया जाए। तभी इस आने वाले महाविनाश से बचा जा सकता है। लेकिन क्या करें। इस अंधाधुंध तरक्की को दौड़ में भला समझदारी की बात कौन सुनता है। उतनी देर में पत्नी कसु ने आवाज़ लगाई। खाना तैयार है। खाओ और फिर सो जाओ। सुबह स्कूल भी जाना है। पापा नकु को आराम करने दो। बहुत लम्बी हवाई यात्रा के बाद आएं हैं। नकु खाना खाकर अपने कमरे में चला गया। और थका होने के कारण गहरी नींद में सो गया। बच्चे भी अपने कमरे में जाकर लेट गये। परंतु उन दोनों को नींद नहीं आ रही थी। दोनों यही सोचते जा रहे थे। कि हमारे बड़े कितने स्वार्थी हैं। अपना सुख भोगने के लिए हम सब बच्चों का भविष्य दांव पे लगा रहे हैं। आखिर बकु ने बोला रकी से देखो इस मामले में हम लोगों को कुछ करना पड़ेगा। वरना हमारी पृथ्वी का परियावरण नष्ट हो जाएगा। और अगर परियावरण नष्ट हुआ। तो‌ पृथ्वी रहने लायक नहीं रहेगी। खैर सुबह कुछ करते हैं। ये कहकर बकु और रकी गहरी नींद में सो गये।

सुबह जैसे ही घड़ी का अलार्म बजा। बकु और रकी तुरंत उठे। और तुरंत फेसबुक खोला। तो अपने तमाम दोस्तों को इस बारे में बताया। उनके फेसबुक पे दोस्त भिन्न भिन्न देशों में थे। सबने एक साथ मिलकर कुछ करने को योजना बना डाली। इसमें हर रोज एक-दूसरे को अपडेट करते रहने का निर्णय किया। आखिर नकु ने सुझाव दिया। कि सब लोग मिलकर अपने अपने देश के मुखिया को पत्र लिखेंगे। और कहेंगे। कि तुरंत सारे देश मिलकर एक ऐसा कानून बनाएं। जिसका जो भी उल्लंघन करेगा। उसको जो भी नुकसान होगा। उसकी भरपाई करनी होगी। सारा विश्व इस कानून को लागू करवाने में मदद करेगा। जब ये पत्र हर बच्चे के देश के मुखियाओं के पास पहुंचे। तो वो थोड़ा विचलित हुए। हर देश ने अपने-अपने परियावरण मंत्री को बुलाया। और एक मीटिंग रखने का फैसला किया। और इस मीटिंग में इन तमाम बच्चों को भी बुलाया। जिन्होंने पर्यावरण जागरण अभियान चलाया था। ये मीटींग दिल्ली तालकतोरा स्टेडियम में रखी गई।

आखिर सब मंत्रियों और बच्चों ने यूएन को एक कानून बनाकर भेजा। युनाईटेड नेशनज परिवैनशन आफ कलाईमेट चेंज(यूएनपीआसीसी)। इस कानून को तुरंत लागू किया गया। और पृथ्वी फिर से स्वर्ग बनने की और अग्रसर हुई। इन सब बच्चों को परियावरण अमवैंसडरज हर देश की तरफ से कहा जाने लगा। इनको ये शक्ति दी गई। कि अगर कहीं पे भी पर्यावरण के विरुद्ध कुछ हो। तो तुरंत होटलाईन द्वारा यूएन को बताया जाए। और नुकसान की भरपाई की जाए।


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