धोखा

धोखा

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गुंजन के गाल पर पड़े तमाचे से घर गूँज उठा। राकेश ने ज़ोर से डांट कर कहा कि “शर्म आनी चाहिए तुम्हें अपनी दादी के बारे में ऐसा सोचते हुए, कितना प्यार करती हैं वो तुम्हें, तुम भी दिन भर दादी-दादी करके पीछे पड़ी रहती हो। तुम्हारी वो मांगें भी जो मैं और रमा पूरी नहीं करते वो तुम्हारी दादी पूरी करती हैं। और तुम उनके बारे में ऐसा गन्दा सोचती हो?” बाकी सब लोग भी दौड़ कर वहां आ गए जहाँ घर के मंदिर के सामने सात साल की रूही अपने पापा के सामने अपराधी सी खड़ी थी। दौड़ कर दादी ने रूही को गोद में उठा लिया और डांटते हुए राकेश से कहा “ख़बरदार जो बच्ची पर हाथ उठाया” राकेश भुनभुनाते हुए बोला “माँ आपको पता नहीं है इसने किया है, पता चलेगा तो आपका सारा प्यार काफूर हो जायेगा, ये देखिये आपकी इस लाडली ने ये चिट्ठी भगवान के सामने लिखकर रखी है।” चिट्ठी पढकर दादी की आँखों के कोर गीले हो आये चिट्ठी में लिखा था “भगवान जी मेरी दादी बहुत बुरी हैं, उन्हें कोई पसंद नहीं करता, मैं तो उनसे नफरत करती हूँ वो हमारे घर का बोझ हैं। उन्हें जल्दी उठा लो” दादी ने बड़े प्यार से रूही का गाल सहलाते हुए पूछा “रूही मैं इतनी बुरी हूँ बेटा? रूही दादी के गले से चिपक कर फूट फूट कर रोने लगी, “नहीं दादी आप को बहुत प्यार करती हूँ मैं, आप दुनिया की सबसे अच्छी दादी हैं, मैं आपके बिना नहीं रह सकती। कल जब अंकल आये थे तो पापा कह रहे थे ना कि भगवान अच्छे लोगों को जल्दी ऊपर बुला लेते हैं। मैं आपको खोना नहीं चाहती दादी, इसीलिए भगवान जी को धोखा देना चाह रही थी कि आप बुरी हैं।”


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