छिपकली माता

छिपकली माता

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पता नहीं ये रमा की लापरवाही थी या पारुल की, कि अब तक दो चैप्टर तो पारुल ने देखे ही नहीं थे और कल सुबह पारुल का टेस्ट था। मुझे गुस्सा बहुत आया दोनों पर, लेकिन पारुल को इस वक़्त डांटना ठीक नहीं था, वो होपलेस हो जाती। मगर मौका देखकर मैंने रमा को बहुत सुनाई “क्या करती हो रमा लापरवाही की हद होती है कल टेस्ट है बच्ची का और अभी तक कोर्स कम्लीट नहीं” रमा भी बिफर पड़ी,“हाँ सिर्फ मेरी ही ज़िम्मेदारी है पहले आफिस सम्भालूं, फिर घर और फिर पारुल की पढ़ाई। प्रकाश तुम भी इसी घर में रहते हो तुम्हे क्यूँ नहीं पता कि कोर्स कम्प्लीट हुआ या नहीं? इस वक़्त रमा से बहस करने से ज्यादा मैंने ज़रूरी समझा कि बाक़ी बचे दोनों चैप्टर किसी भी तरह कम्प्लीट करा दिए जायं। रमा भी जल्दी से काम निपटा कर पारुल को पढ़ाने में लग गयी। आखिर देर रात तक पूरी शिद्दत से मेहनत करके पारुल के दोनों चैप्टर कम्लीट करा ही दिए हम दोनों ने। सुबह उसे जल्दी जगाकर एक बार फिर से रिवाइज़ करा दिया। मैं पारुल को लेकर जैसे ही घर से निकला अचानक पारुल ख़ुशी से चहक उठी, “यस टुडे आई विल रॉक पापा” मैंने कहा ज़रूर बेटा तुमने मेहनत ही इतनी ज्यादा की है तुम ज़रूर अच्छा करोगी आज परीक्षा में। पारुल ने कहा, “वो तो है ही पापा लेकिन मुझे जिस दिन भी घर से निकलते ही ये छिपकली दिख जाती है उस दिन मेरा पेपर हमेशा अच्छा ही जाता है।” पारुल ने इशारे से लिफ्ट के पास वाले पाइप से चिपकी छिपकली मुझे दिखाते हुए कहा और हाथ जोड़कर छिपकली को सर झुका दिया “जय छिपकली माता।”

 

शाम को पारुल चहक चहक के बता रही थी कि उसे सुबह ही पता चल गया था कि छिपकली माता के आशीर्वाद से आज उसका पेपर बहुत अच्छा जायेगा और वही हुआ उसने सारे सवाल हल कर दिए। अब तो ये बात एक दम पक्की हो चुकी थी कि छिपकली माता के दर्शन शुभ होते हैं। अब वो हमेशा दर्शन करके ही घर से निकला करेगी और अपने सब दोस्तों को भी बताएगी कि छिपकली माता के दर्शन शुभ होते हैं। मैं अवाक सा खड़ा उसकी बाते सुन रहा था और अपनी और रमा की रात दो बजे तक की गयी मेहनत को, एक छिपकली से हारते देख रहा था। मैंने ऊपर वाले की तरफ देखकर कहा “हैप्पी बर्थ डे, एक और माता का जन्म हो गया।


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