धन्यवाद
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अंततः, 16 वर्षों की असीम प्रताड़ना, मानसिक अत्याचार के बाद वसुधा ने अपने पति से अलग होने का निर्णय कर ही लिया।
पर ये सब एक स्त्री के लिए इतना सरल भी नहीं। उसके स्त्रीत्व को ललकारा था, उसके पति की उस व्यंगात्मक हंसी ने, ससुराल वालों के कटाक्ष ने।
उन सब का उत्तर देकर वह उन्हें निरुत्तर करना चाहती थी।
कुछ ही समय में अपने कठिन परिश्रम के बल पर उसने स्वयं को आर्थिक रूप से मजबूत किया और अपने बच्चों को भी उच्च शिक्षा के योग्य बनाया। पर कहीं न कहीं वह परोक्ष रूप से उन परिस्थितियों का धन्यवाद भी करती है जिसने उसके आत्म बल को आगे बढ़ने के लिए ललकारा।
