देश का भविष्य

देश का भविष्य

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सुशील राशन का सामान लेकर दुकान से निकला ही था कि कानों में "चोर ! चोर ! " की आवाजें सुनाई पड़ी। उसने आवाज़ वाली दिशा में देखा तो देखता है कि एक घिसी हुई निकर और मैली कुचैली शर्ट पहने एक दस बारह साल का लड़का भागा हुआ उसी की ओर आ रहा है और उसके पीछे कम से कम पचास लोगों की भीड़ है जो जोर - जोर से चोर-चोर चिल्लाते हुए उसके पीछे हैं। लड़के ने शायद मुट्ठी में कुछ दबाया भी हुआ है।

जैसे ही वो लड़का सुशील के पास भागते हुए पहुंचता है, सुशील उसे दबोच लेता है। वो लड़का छूटने की बड़ी कोशिश करता है पर वो सुशील की मज़बूत पकड़ से नहीं निकल पाता। वो सुशील के सामने खुद को छोड़ने के लिए गिड़गिड़ाने लगता है पर सुशील फिर भी उसे नहीं छोड़ता।

तब तक पीछा करने वाले लोग भी वहां पहुंच जाते हैं। वो लोग सुशील को लड़के को उनके हवाले करने को कहते हैं क्योंकि वो लड़का सरे राह किसी के हाथ से मोबाइल छीन कर भाग रहा था। सुशील उसका हाथ आगे लता है तो उसमें वाकई एक मोबाइल होता है।

वो लड़का सुशील के सामने हाथ जोड़ कर कहता है कि ये मोबाइल ले लो पर मुझे इस भीड़ से बचा लो। उस लड़के की आंखों से लाचारी और बेबसी साफ झलक रही होती है।

सुशील मोबाइल लेकर भीड़ से पूछता है कि ये मोबाइल किसका है। भीड़ में से एक औरत निकाल कर आगे आ जाती है। सुशील मोबाइल उन्हें वापस कर देता है। भीड़ सुशील को कहती है कि लड़के को उनके हवाले कर दे ताकि पहले वो मार मार कर उसे सबक सिखा सकें और बाद में पुलिस के हवाले कर दें। वो लड़का भीड़ की बातें सुनकर सहम जाता है और उसकी आंखों से आंसू बहने लगते हैं।

सुशील उन्हें जेब से अपना आई कार्ड निकालकर सबको दिखाता है और कहता है कि मैं एक इंसपेक्टर हूं जैसा कि आप सब देख सकते हैं। मेरे होते हुए आप लोग कानून अपने हाथ में नहीं ले सकते। मोबाइल मैंने वापस दिला दिया है और रही बात इस लड़के की तो मैं खुद इसे हवालात में बंद करूंगा। आप लोग अपना समय व्यर्थ ना करें।

ये सब सुनकर भीड़ तितर बितर हो जाती है और उस लड़के की तो घिग्गी बंध जाती है कि वो आज एक इंसपेक्टर के हत्थे चढ़ गया है। उसने पुलिस वालों की पिटाई के किस्से सुन रखे थे इसलिए उसे बहुत ज्यादा डर लगने लगा।

सुशील अब उस लड़के की ओर देखता है और उस से उसका नाम पूछता है। लड़का नाम बताने की बजाय जोर जोर से रोने लग जाता है। सुशील उसे डपट कर चुप होने को कहता है और फिर से नाम पूछता है। लड़का सुबकता हुए बोलता है - किशोर। सुशील उससे उसकी उम्र और घर में कौन कौन हैं ये पूछता है। किशोर बताता है कि उसकी उम्र ग्यारह साल है और घर में एक बीमार मां के अलावा कोई नहीं है।

सुशील किशोर से पूछता है कि उसने चोरी क्यों करी। तब किशोर बोलता है कि पहले मैं एक चायवाले की दुकान पर काम करता था पर फिर किसी ने उसकी शिकायत कर दी कि वो चौदह साल से छोटे बच्चे से काम ले रहा है। उसको पुलिस ले गई, वो बड़ी मुश्किल से जेल से बाहर आया। उसने किशोर को काम से निकाल दिया और अब उसका हाल देखकर कोई भी उसे काम देने को तैयार नहीं है।

किशोर सुशील को कहता है कि काम नहीं मिला तो धीरे धीरे घर में कुछ खाने को नहीं बचा। फिर उसके पास चोरी करने के अलावा कोई चारा नहीं बचा। काश जिसने उसके मालिक की शिकायत लगाई वो उसके पेट भरने का जुगाड़ भी कर देता। अब क्या वो चौदह साल का होने तक खाली पेट रहता। उसे अपनी बीमार मां की देखभाल भी तो करनी है।

सुशील की आंखों में पानी तैर गया। आज तक इतने लोगों से उसका पाला पड़ा था कि इंसान की परख उसके बोलने के लहजे और आंखों से ही लगा लेता था वो और किशोर की आंखों से बेबसी साफ झलक रही थी।

उसने किशोर को बोला कि मैं नहीं चाहता कि तेरी बंद मुठ्ठी में आज के बाद कभी भी चोरी का सामान आए। मैं तुझे पढ़ाने की जिम्मेदारी लेता हूं और साथ ही तुझे कुछ ऐसा काम भी सिखवा दूंगा जिससे तू थोड़े पैसे साइड में कमा सके। मेरे बच्चे, तेरे और तेरे जैसे सभी बच्चों की मुठ्ठी में तो हमारे देश की तरक्की की लकीरें लिखी हैं। अब इस मुट्ठी को मैं काबिल बनाऊंगा।

ये कहकर सुशील ने किशोर को गले से लगा लिया और अपने साथ ले चला उसका और देश का भविष्य संवारने।


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