डरावने एहसास
डरावने एहसास
स्थान - मध्य प्रदेश के जबलपुर जिला खमरिया
सच्ची घटना पे आधारित
एक नए घर में रहने आए मिस्टर राजपूत अपने पूरे परिवार के साथ रहते थे । मिसेज राजपूत , रिनी उनकी बेटी और रॉनी उनका बेटा।
कुछ दिन बाद रिनी को एहसास हुआ कि इस घर में उनके अलावा कोई और भी रहता है , वो अकेले नहीं है।
एक दिन रिनी डायनिंग रूम में बैठी हुई थी, उसने महसूस किया कि दरवाजे से कोई झांक रहा है। यह पहली बार था इसलिए उसे लगा शायद यह आंखों का धोखा हो और उसने ध्यान नहीं दिया। फिर उसके अगले दिन से उसे रोज ऐसा दिखना लगा जैसे दरवाजे से कोई झांक रहा हो।
घर के एक दूसरे कमरे में अलमारी रखी हुई थी जिसपर कांच लगा हुआ था, एक दिन रिनी की मां वहां बैठ कर पूजा कर रही थी , उनके उठ कर जाने के बाद रिनी वहां से गुजरी और उसने देखा कि कोई वहां बैठा हुआ है उसे लगा मम्मी है शायद मगर जब उसने सामने से मम्मी को आते हुए देखा तो तो थोड़ा घबरा गई , उसने वापस पलट कर अन्दर देखा तो वहां कोई नहीं था। उसके बाद रिनी ने कई बार वैसे देखा तो अब वो डरने लगी थी।
एक दिन रात में वो अपने कमरे में सो रही थी तब भी उसने महसूस किया कि कोई पर्दे के पीछे से उसे देख रहा है , एक दिन एक रात में पानी लेने किचन कि तरफ गई तब उसने डायनिंग रूम की खिड़की से उसे झांकते हुए देखा। रात में अकेले जाना भी बंद कर दिया फिर रिनी ने अपनी मम्मी को सारी बातें बताई तो - उन्होंने बोला ऐसा कुछ नहीं है भ्रम होगा तुम्हारा।
एक दिन रिनी अपनी मम्मी के साथ बाजार गई हुई थी और रॉनी घर पे अकेला था। तो रॉनी डायनिंग टेबल पर बैठ कर खेल रहा था, थोड़ी देर बाद उसे लगा कोई दरवाजे के पास से झांक रहा है , रॉनी को लगा उसका दोस्त आया है, जब थोड़ी देर तक वो अंदर नहीं आया तो उसने बाहर जा के देखा तो वहां कोई था ही नहीं। रॉनी ने बाहर सब जगह जाके देखा मगर उसे कोई नहीं दिखा तो वो वापस अंदर आ गया।
थोड़ी देर बाद जब रिनी और मम्मी घर लौट के आए जैसे ही रिनी अंदर आई तो रॉनी उसे देख कर डर गया , रिनी ने पूछा - क्या हुआ भैय्यू , तो रॉनी ने बोला कोई दरवाजे से झांक रहा था मुझे लगा मेरा दोस्त मोनू आया है मैं बाहर गया तो वहां कोई नहीं था। उनके घर में एक पालतू कुत्ता था एक दिन अचानक से कुत्ता नींद में से उठ कर भौकते हुए उसी दरवाजे के तरफ दौड़ लगा दिया , और एक दिन ऐसा ही बैठे बैठे दरवाजे कि तरफ देख कर भौंकने लगा रिनी को लगा शायद कोई दिखा होगा इसलिए भौंका मगर वहां कोई नहीं था।
उस दिन रात में जब रिनी और रॉनी अपने कमरे में सो रहे थे तब रात ने अचानक से रिनी की नींद खुली उसे लगा कोई पर्दे के पीछे खड़ा है , तो बाजू वाले पलंग में देखा तो वहां रॉनी नहीं था तो वो और घबरा गई और उसे ढूंढने के लिए बाहर अाई ,तो उसने देखा कि रॉनी डायनिंग रूम के दरवाजे के पास जा रहा है कुछ बड़बड़ाते हुए यह देख कर रिनी इतना डर गई कि वो अपने भैय्यू को आवाज भी नहीं दे पा रही थी। फिर जैसे ही रॉनी पलटा रिनी ने पूछा - क्या हुआ भैय्यू कहा जा रहे हो? तो रॉनी बोला - पता नहीं कोई बहुत देर से हंसे जा रहा है और मुझे नींद नहीं आ रही है वहीं देखने आया था। फिर रिनी ने भैय्यू को बोला तुमने सपना देखा होगा चलो सो जाओ ।
फिर अगले दिन सुबह दोनों ने रात वाली सारी बात मम्मी को बताई , तब मम्मी ने किसी पंडित वास्तु देखने वाले से बात की, उनने घर में आकर देखा तो बोले - इस डायनिंग वाले कमरे के दरवाजे का वास्तु सही नहीं है , फिर रिनी की मम्मी ने हनुमानजी की प्रतिमा दोनों दरवाजे के सामने लगवा दी और बाहर आंगन में जहां डायनिंग रूम की खिड़की थी शिव जी का मंदिर बनवा दिया , उसके बाद वहां जो भी था जो महसूस होता था वो दुबारा नहीं दिखा। मगर वो क्या था , कौन था ....... यह सवाल रिनी और रॉनी दोनों सोचते रहते थे।

