भाई दूज
भाई दूज
दिवाली के भाई दोज पर्व के दिन हमारे एक रिवाज है।
एक पीला काटे वाला फूल होता है जिसे तोड़ कर मिट्टी के दिया के नीचे रखते थे, और मूसल से दिया सहित उस फूल को कुचल देते है, ये बोलते हुए - मेरे भाई के सारे दुख दर्द का नाश हो, दुश्मन का नाश हो, सारी बलाएं नजर को इस मूसल से कुचल कर खतम हो जाए।
जब मैं छोटी थी और एक बार गांव में थी भाई दूज के दिन इससे पहले मैने कभी यह रिवाज नही देखा था, ना किया था।पहली बार अपनी दीदी को देखा दीदी ने मुझे भी करने के लिए बोला की तुम भी भाई को टीका लगा कर दिया को कुचल दो।
फिर मैंने भी ऐसा ही किया, जब मैं दिया को मूसल मार रही थी तब दिया टूटने की बजाय पलट गया, मैने फिर से दिया उठा कर रखा और इस बार एक हाथ से दिया पकड़ा और दूसरे हाथ से मूसल मारा, मगर मूसल दिया के बजाय मेरे हाथ में लग गया और उंगली में चोट लग गई। मैं छोटी तो थीं तो अपने भैया से बोलने लगी - "आपकी वजह से मुझे लगा अब आप दिया फोड़ो।"
यह सुनकर सब लोग हंसने लगे, फिर मेरी बड़ी दीदी ने दिया फोड़कर पूजन संपन्न किया।
फिर मेरे भाई ने मेरी उंगली में बैंडेज बांधा, और दर्द से ध्यान हटवाने के लिए एक्स्ट्रा एक्स्ट्रा चॉकलेट दिलवाई भैया ने।