Richa Baijal

Inspirational

4.0  

Richa Baijal

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डिअर डायरी : डे 13

डिअर डायरी : डे 13

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डिअर डायरी : डे 13 06.04.2020


लॉक डाउन का आज तेरहवाँ दिन है . अब घर से न निकलने की आदत हो गयी है . सुबह की शुरुआत होती है एक कप चाय से . उसके बाद 10 मिनट में टी .वी . बता देता है कि कोरोना के केसेस कितने हैं . फिलहाल 4000 हैं , 1500 के लगभग तब्लिकी जमात ने बढ़ाये हैं . 


सुबह की शुरुआत एक कप चाय से नहीं होती है ; हाथ धोने से होती है वैसे . ये बताना इसलिए ज़रूरी था कि अब आलस की जगह नहीं है ज़िन्दगी में ,यहाँ चूके तो गए फिर .उसके बाद कपड़े वाशिंग मशीन में लगाने के साथ ही बर्तन और झाड़ू पोंछे का काम होता है . फिर तसल्ली से बैठ के ये सोचना होता है कि आज क्या करना है . उसके बाद नहाना और खाने की तैयारी ; अब इस सब में दोपहर के 12 या 1 बज ही जाता है .



अगर आज मूवी देखने का प्लान है नेटफ्लिक्स पर , तो फिर 3 -4 तो ऐसे ही बज जायेंगे . फिर थोड़ा सा रेस्ट और शाम के खाने की तैयारी . रामायण के वो सुकून पहुँचाने वाले एपिसोड और फिर तारक मेहता का उल्टा चश्मा के एपिसोड्स . वैसे रामायण देखते वक्त एक बात नोट करी है आप लोगों ने ? सिर्फ राक्षस ही अशांत रहते थे . बाकी लोग प्रेम और परस्पर सद्भाव से रहते थे . मेरा कहने का मतलब है की चीख - चिल्लाहट रावण के खेमे में ही रहती है , बाकी ओर तो बस मुस्कुराहट रहती है . ये फर्क है , इसको समझ लिया तो आज के इस जीवन में भागना छोड़ दोगे आप सभी . 



आप ऑनलाइन लूडो खेल सकते हो , रमी खेल सकते हो ,तीन पत्ती खेल सकते हो ; जो सोचो वो कर सकते हो .अच्छा , एक और बात थी ;कुछ लोग कहते हैं कि वो वर्कहोलिक हैं ; मतलब जिसको काम करना बहुत अच्छा लगता हो . उनकी सोच पर हंसी आती है जब वो कहते हैं कि घर पर कोई काम ही नहीं है , और ऑफिस की बहुत याद आ रही है . अगर आप अपने आस -पास देखो न मैडम /सर ; तो काम की कमी नहीं है ; वार्डरॉब जमाने से लेकर किचन की कुकिंग तक ;काम कि कमी नहीं है . आलू की सब्जी १० दिन १० नए तरीके से बनाओ न यार , मज़ा आ जाएगा लाइफ का . उसके बाद घर की सफाई करो , अपने कागज़ देखो ; जो फालतू हैं उनको फेंक दो . ये जो आपको अच्छा नहीं लग रहा है न , वही सबसे अच्छा है .



अपनी "घर में रहने की आदत " से प्यार कर लो . कभी परेशान नहीं होना पड़ेगा फिर . कहाँ जाना है और क्यों जाना है ? हाँ , राशन ज़रूरी है . लेकिन वो तो आपके पास होगा ही . वैसे मैंने चॉकलेट का स्टॉक नहीं किया था , एंड आई वांट तो मिस दैट. जिन्होंने दारू का स्टॉक नहीं किया है , वो भी चलने दो ; क्या पता फिर ये आदत ही न रहे आपको . बहुत साडी चीज़ें हैं यार , जो इस वक्त नहीं हैं . उनके 'नहीं होने ' से आप उदास होना ही छोड़ दो . कल मेरी एक दोस्त कह रही थी , कैनवास और कलर्स ख़तम हो गए हैं ,अब क्या करूँ ? मैंने उससे कहा कि फ़िलहाल पेन और पेंसिल से स्केचिंग कर के रखो , रंग बाद में भर लेना . ऐसी बहुत सी चीज़ें हैं , जो समझनी पड़ेंगी हम सभी को . 

लॉक डाउन का मतलब ये नहीं है कि पास की दुकान खुली है , जाकर दूध तो ले ही आता हूँ ... कुछ नहीं होगा . लॉक डाउन का मतलब ये है कि कोशिश की जाए कि आप 4 - 5 दिन में एक बार अपने घर से बहार निकलो ; वो भी बस ज़रूरी सामान के लिए . क्यूंकि जो लोग ये कह रहे हैं कि कुछ नहीं होता , डरो मत ; उनसे उनके हालत 14 दिन बाद पूछियेगा . क्या होता है जब अपने इलाके की एक किलोमीटर की परिधि में एक कोरोना पॉजिटिव मिल जाता है ? .....मुझे लगता है ये तो बताने की ज़रूरत नहीं है अब .


घर पर रहिये , सुरक्षित रहिये .

आज के लिए इतना ही , 

मेरी प्यारी डायरी .


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