Priyanka Gupta

Drama Inspirational Others

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Priyanka Gupta

Drama Inspirational Others

ढाल day-1

ढाल day-1

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"शुक्रिया प्राची।" उन्नति ने प्राची के गले लगते हुए कहा।

उन्नति के भीगे हुए नयन उसकी मन की दशा को व्यक्त कर रहे थे। उसके आँसू की हर एक बूँद प्राची के प्रति कृतज्ञता व्यक्त कर रही थी। किसी बहुत अज़ीज़ के समक्ष ही हमारे होंठों पर मुस्कान और आँखों में अश्रु दोनों एक साथ होते हैं। जब हमारा हृदय गदगद होता है , दिल सकारात्मक भावनाओं से ओतप्रोत होता है, तब ही अश्रु और मुस्कान एक साथ नज़र आते हैं। उन्नति शब्दों के माध्यम से अपने हृदय की दशा अभिव्यक्त नहीं कर पा रही थी: लेकिन उसके आँसुओं ने उसकी भावनाओं को अच्छे से अभिव्यक्त कर दिया था।

प्राची ,उन्नति की भावनाओं को अच्छे से समझ रही थी। वैसे भी दोनों ही एक दूसरे की अनकही बातों को अच्छे से समझने की अभ्यस्त थीं। उन्नति और प्राची दोनों बहुत ही अच्छी सखियाँ थीं। अच्छे -बुरे वक़्त में दोनों हमेशा एक - दूसरे के साथ खड़ी रहती थीं। दोनों दोस्त मात्र नहीं थीं ,बल्कि एक -दूसरे के लिए परिवार बन गयी थीं। कहते भी हैं कि जिस इंसान का परिवार उसका दोस्त बन जाए और दोस्त उसका परिवार बन जाए , उससे अधिक ख़ुश क़िस्मत कोई नहीं होता।

कॉलेज के समय प्राची एक शादीशुदा आदमी के प्यार में पड़ गयी थी, तब उन्नति ने उस आदमी की असलियत प्राची के सामने उजागर कर उसे कोई भी गलत कदम उठाने से रोका था। तब उन्नति को कई बार प्राची की नाराज़गी का भी सामना करना पड़ा था। वैसे भी प्यार अँधा होता है , लेकिन उन्नति ने एक सच्चे दोस्त का फ़र्ज़ निभाया और अपने दोस्त की ज़िन्दगी बर्बाद होने से बचाने के लिए अपनी दोस्ती तक को दाँव पर लगा दिया था।

पढ़ाई -लिखाई पूरी होते-होते प्राची और उन्नति दोनों की ही शादी हो गयी थी। किस्मत से दोनों दोस्त शादी के बाद भी एक ही शहर में रही, दोनों का ससुराल जो एक ही शहर में था। दोनों अपनी शादीशुदा ज़िन्दगी में खुश थीं , तब ही उन्नति के जीवन में एक हादसा हुआ। शादी के दो साल बाद ही उन्नति ने अपने पति को एक दुर्घटना में खो दिया। पति की मृत्यु के समय उन्नति गर्भवती थी , ऐसे हालात में प्राची ने उन्नति को सम्हाला।

प्राची जब भी उन्नति से मिलने आती , उन्नति कहती कि, "मैं अभागन हूँ । मेरे साये से भी दूर रहो। "

प्राची कहती कि,"कैसी बेकार की बातें करती है ? इस हादसे में तेरा कोई दोष नहीं है। जब पुरुष विधुर होकर अभागा नहीं होता तो तू कैसे हो सकती है? तूने अपने जीवन साथी को खोया है , इसका दुःख है , लेकिन इससे तू अभागी नहीं होती। मृत्यु तो एक अटल सत्य है, जिसे कोई बदल नहीं सकता। आज नहीं तो कल सभी को आनी है। तू अपने आने वाले बच्चे के बारे में सोच , उसके और अपने भविष्य के बारे में सोच। तेरे सामने पूरी ज़िन्दगी पड़ी है। तेरे मुँह से ऐसी बातें अच्छी नहीं लगती। "

पति की मृत्यु के बाद ससुराल में उन्नति की स्थिति एक नौकरानी से भी बदतर हो गयी थी, तब प्राची के समझाने पर उन्नति अपने पीहर लौट आयी थी। कुछ समय बाद ही उन्नति ने अपने पीहर में ही अपने बेटे को जन्म दिया।

बेटे के जन्म के कुछ समय बाद ही उन्नति ने नौकरी की तलाश शुरू की , तब प्राची ही उसके साथ जाती थी। कई बार प्राची उसके बेटे को भी सम्हालती थी। प्राची उसे बार -बार समझाती थी ,"आत्मसम्मान के साथ जीने के लिए आत्मनिर्भर होना बहुत जरूरी है। बेटे के बेहतर भविष्य के लिए तुझे एक अच्छी नौकरी ढूंढनी ही होगी। "

उन्नति को जल्द ही एक कंपनी में रिसेप्शनिस्ट की नौकरी मिल गयी थी। धीरे -धीरे उन्नति की ज़िन्दगी पटरी पर आने लगी थी। इसी बीच प्राची भी एक बेटे की माँ बन गयी थी। अपने बेटे के नामकरण संस्कार पर प्राची ने उन्नति को भी निमंत्रित किया था। उन्नति अपने बेटे को लेकर आयी। तब उन्नति के पहनावे और साज -श्रृंगार को लेकर प्राची की सास ने कहा कि "इसको देखकर तो लगता है नहीं कि इसको अपने पति की मृत्यु का कोई दुःख भी है। विधवा होकर भी कितना सज-सँवरकर रहती है। "

उन्नति के कुछ बोलने से पहले ही प्राची ने कहा कि ,"मम्मी जी ,वह एक इंसान भी है। पति के जाने के साथ , उसकी ज़िन्दगी ख़त्म नहीं हुई है। जैसे चाहे कितना ही बड़ा सुख हो ,आपको पूरी ज़िन्दगी खुश नहीं रख सकता , वैसे चाहे कितना ही बड़ा दुःख हो आपको पूरी ज़िन्दगी उदास नहीं रख सकता। आपको ही नहीं बल्कि हम सबको उन्नति से मजबूत और आत्मनिर्भर होकर आत्मसम्मान के साथ कैसे जीना चाहिए ?यह सीखना चाहिए। "

प्राची की सास कुछ बोलती ,उससे पहले ही उसके ससुर बोले कि ,"प्राची सही तो कह रही है। जब पुरुष पूरी ज़िन्दगी विधुर होने का शोक नहीं मनाता तो स्त्री क्यों पूरी ज़िन्दगी वैधव्य को ओढ़कर घूमे। " 

"यह उन्नति की ज़िन्दगी है , वह जैसे चाहे वैसे ही रहेगी। अगर आप उसकी मदद नहीं कर सकते तो उसकी मुसीबतों का कारण भी मत बनिए।" प्राची ने उन्नति की तरफ देखते हुए कहा।

उन्नति, प्राची के गले लग गयी थी। प्राची आज फिर उसकी ढाल बनकर खड़ी थी।


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