Find your balance with The Structure of Peace & grab 30% off on first 50 orders!!
Find your balance with The Structure of Peace & grab 30% off on first 50 orders!!

Aanart Jha

Romance Classics Others

4.7  

Aanart Jha

Romance Classics Others

ढाई मील इश्क़

ढाई मील इश्क़

11 mins
24.9K


बेटा चलो जल्दी उठ जाओ तैयार होना है सुबह के 6:00 बज गए हैं यह आवाज  थी  विपुल की मां की, विपुल शर्मा, शर्मा आंटी का सबसे बड़ा बेटा बड़े नखरे वाला बड़ा ही जिद्दी और इससे भी आगे बड़ा  ही फैशनेबल हो भी क्यों ना है ही उम्र के उस पड़ाव पर जिस वक्त शरीर में हार्मोनल परिवर्तन होना चालू हो जाता हैं यानी सोलह की उम्र। विपुल भी सोलह सावन पार कर चुका है और यह दौर है नब्बे वाला।             

हां वही पागलपन वाला दौर, सच्चे प्यार वाला दौर वह दौर जो कभी भी प्यार के किस्सों को किसी भी मोहल्ले से रुखसत होने नहीं देता था वह दौर जब किसी को कोई एक झलक देख जिसको वो चाहता तो सपने के सच होने जैसा था क्योंकि यह वह दौर था जब कोई भी सूचनाओं का आदान-प्रदान कुछ क्षण में नहीं होता था अपने संदेश को भेजने के केवल तीन ही साधन होते थे उस वक्त पहला कि कोई खुद जाकर किसी को बता दे दूसरा किसी को कोई चिट्ठी पत्र लिखकर भेज दे और तीसरा जो सबसे ज्यादा प्रचलित था वह था कि किसी के मोहल्ले की किसी सीआईडी आंटी के कानों में बात पहुंचा दी जाए बाकी का काम वह कर देंगे हर एक के कान में बात खुद-ब-खुद पहुंच जाएगी अब आप सोच रहे होंगे कि मैं यह किधर पहुंच गया हां पर मुझे ऐसा लगता है इस कहानी की वास्तविकता को संवेदना को समझने के लिए उस दौर में पहुंचना जरूरी है।            

चलिए वापस चलते हैं विपुल की जिंदगी में विपुल की मां विपुल को उठा उठा कर थक गई और घड़ी की सुई टिक टिक करके आगे बढ़ी जा रही है अचानक से मां ने जोर से चिल्लाया और विपुल एक क्षण में बिस्तर से नीचे, विपुल का पढ़ाई में उतना मन नहीं लगता था पर स्कूल में उसका बड़ा मन लगता था और क्यों ना हो विपुल का पहला प्यार जिसको कि हम आज के दौर में कृष् कहते हैं उस दौर में प्यार की इतनी परिभाषा नहीं हुआ करती थी सिर्फ प्यार होता था और शायद वैसा ही कुछ था विपुल के स्कूल में खैर कुछ भी हो विपुल की मिथुन वाली हेयर स्टाइल और पैराशूट नारियल तेल और लाइफ ब्वॉय की तंदुरुस्ती का वक्त हो गया था यानी कि विपुल तैयार होने चला गया था।

पहले के दौर में सचमुच सबका जीवन छोटी-छोटी चीजों में था असीम आनंद और वैसे भी उस समय सोलह वर्ष के बाद वाला जीवन ऐसा ही होता था । विपुल तैयार हो चुका था स्कूल के लिए रिक्शावाला भी आकर घर के सामने खड़ा हो चुका था विपुल ने भी जल्दी में थोड़ा सा नाश्ता किया टिफिन लिया और मां को टाटा किया, अब आप सोच रहे होंगे टाटा क्या होता है इस दौर में जो जगह बाय-बाय ने ले रखी है वही जगह थी टाटा की नब्बे के दौर में।

विपुल अपने स्कूल पहुंच चुका था और पहुंचते ही उसकी नजर अंजलि को खोजने लगी। अंजलि, विपुल का पहला वाला प्यार, अंजलि और विपुल एक ही स्कूल में थे

पर कक्षा अलग-अलग, यानी पास होकर भी दूर होने वाली परिस्थिति। खैर स्कूल की प्रेयर का वक्त हो गया एक यही वक्त होता था जब अंजली से मुलाकात होती थी और वह भी आंखों से आंखों में मिलने तक प्रेयर से कुछ देर पहले और बाद में और दूसरी मुलाकात होती थी स्कूल में लंच के वक्त और तीसरी मुलाकात होती थी स्कूल के छुट्टे समय जब तक कि अंजली अपने रिक्शे में ना बैठ जाए या फिर विपुल अपने रिक्शे में ना बैठ जाए और यह वह दौर है जिसमें किसी को जल्दी नहीं है फिर से याद दिला देता हूं यह नब्बे का दौर है सचमुच कुछ अलग सा प्यार, अंजलि से मुलाकात मतलब आंखों से आंख वाली बात करते-करते दो साल हो चुके थे

और शायद इस प्यार को जिंदा रखने के लिए इतना ही काफी था इस प्यार की खबर अंजलि को नहीं थी, थी तो सिर्फ विपुल के सबसे खास दोस्त आनंद को , आनंद ने विपुल को बहुत बार कहा कि भाई तू अंजलि से बात कर ले उसको अपने दिल की बात बता दे पर विपुल हिम्मत नहीं जुटा पाता था विपुल और अंजली दोनों ही 10 क्लास की तैयारी में लगे थे वैसे भी ठीक था और अंजलि पढ़ने मैं होशियार, स्कूल में अव्वल आने वाली । तो जरूर शायद एक सच यह भी हो सकता था कि यह प्यार एक तरफा हो पर धीरे-धीरे नजरों का मिलना और निगाहों का टकराना अंजलि को भी कुछ समझा रहा था पर फिर भी अंजलि को इससे ज्यादा फर्क नहीं पड़ता था जब कभी उसे ऐसा एहसास भी होता तो वह अपनी पढ़ाई की तरफ ध्यान लगाने लगती पर जो भी हो प्यार क्या होता है उसका धीमा धीमा एहसास उसके दिल में घर कर चुका था और यूं ही नजरें मिलते और नजरों को चुराते दो साल तीन महीने हो चुके थे और

अब ऐसा लग रहा था कि जैसे प्यार अब दोनों तरफ से है पर फिर भी उस वक्त यह सहज नहीं होता था कि जो आपके दिल में हो वह सामने वाले से बेझिझक कह दो, खैर जैसे भी हो विपुल ने हिम्मत जुटाई और दिल की बात को कुछ पन्नों पर लिख कर रख दिया यह सोच कर कि अब जो भी हो मैं अपने दिल की बात अंजलि को बता कर रहूंगा उसने रात भर मेहनत करके अपने सारे जज्बातों को पन्नों में उड़ेल दिया अपने उन लव लेटर को संभाल कर जेब में रखते हुए वह स्कूल पहुंच गया मगर इतनी हिम्मत करके उसने जज्बातों को लिखा और देने की   प्रतिज्ञा तो ली पर जैसे ही उसकी नजर स्कूल के माहौल और अंजलि की ओर गई सब आशाएं धूमिल हो गई।

उसकी हिम्मत नहीं हो सकी कि वह अंजलि से कुछ कह पाए या फिर अपने पत्र उसको दे पाए आखिर उसने उन पत्रों को वापस से बैग में रख दिया और रोज की तरह अंजलि को निगाहों से देखा और अपने घर की ओर चल दिया । पर जब आज वह घर पहुंचा तो उसे एक अजीब सी बेचैनी ने जकड़ रखा था उसे ऐसा महसूस हो रहा था जैसे कि वह किसी मौके को छोड़ कर आ गया है पर उसने हार नहीं मानी उसने अपने पत्र लिखने का सिलसिला लगातार चालू रखा पर विपुल की हिम्मत फिर भी नहीं हुई कि यह लेटर जाकर अंजलि को दे । इसी बीच परीक्षा का वक्त नजदीक आ गया और किस्मत के सितारों ने एक बार फिर से विपुल को मौका दिया परीक्षा में आगे की सीट अंजलि को मिली और उसके पीछे की सीट विपुल की थी मगर फिर भी किस्मत कुछ ऐसी थी इन दोनों के प्यार का मिलना भी होता था तो वक्त परीक्षा को देते देते ही गुजर जाता था इन तीन घंटों में बिल्कुल भी बात नहीं हो सकती थी।

और फिर एक दिन आज पेपर था गणित का और आखरी पेपर वैसे भी गणित विपुल की सबसे बड़ी कमजोर ही थी पर आज किस्मत मेहरबान थी कि सामने अंजलि थी जोकि गणित की स्कूल टॉपर थी और इस बार पेपर भी कुछ ऐसा आया कुछ सवाल तो विपुल ने कर लिए पर तीसरे पर जाकर वह उलझ गया उसने पूरी हिम्मत जुटाकर धीरे से अंजलि को आवाज लगाई" अंजलि" तीसरे सवाल का उत्तर क्या है, अंजलि ने सुना पर ना सुनने का नाटक करने लगी विपुल ने एक बार फिर टीचर की तरफ देखा फिर धीरे से आवाज लगाई,

"अंजलि" बताओ ना, इस बार धीरे से अंजलि ने टीचर की तरफ निगाहें की और विपुल को बोला नीचे हाथ करो फिर धीरे विपुल के हाथ में पेपर को दे दिया जिसमें सवाल का जवाब था इसी बीच पेपर लेते वक्त विपुल का हाथ अंजलि के हाथ से पहली बार टकराया था विपुल एक अलग ही दुनिया में जा चुका था एक अलग सी सिरहन पैदा हुई थी कि तभी टीचर ने आवाज लगाई शोर क्यों हो रहा है सब अपने पेपर में ध्यान लगाए आधा घंटा और बचे हैं 1 मिनट का वक्त भी नहीं मिलेगा । तुरंत विपुल का ध्यान टूटा और उसका ध्यान तुरंत पेपर की तरफ गया और उसने उत्तर को जल्दी में लिखना चालू कर दिया, उसका मन भीतर ही भीतर सोच रहा था कि आज वह अंजलि से बात करके ही रहेगा और उधर अंजलि ने अपनी कॉपी टीचर को दी और बाहर की ओर जाने लगी विपुल ने भी हड़बड़ाहट में अपनी कॉपी टीचर को दी और अंजलि के पीछे दौड़ लगा दी और वह जैसे ही क्लास से बाहर निकला तब तक अंजलि उसकी आंखों से ओझल हो चुकी थी।

हड़बड़ाहट में वह इधर से उधर दौड़ने लगा उसकी नजरें हैं अंजलि को खोज रही थी पर वह कहीं नजर नहीं आ रही थी कि अचानक उसकी नजर मेन गेट की ओर गई अंजलि वहां खड़ी हुई थी और ऐसा नहीं था आज किस सिर्फ विपुल की आंखें अंजलि को खोज रही थी आज अंजली की आंखें भी विपुल को खोज रहे थे अंजलि ने जैसे ही विपुल को देखा सहम सी गई धीरे से अपने को संभाला और आज दोनों एक साथ खड़े थे और यह दोनों के लिए ही सपने के सच होने जैसा था ज्यादातर लोग जा चुके थे स्कूल में कुछ ही लोग थे दोनों की आंखों से आंखें इतने करीब से पहली बार मिल रही थी उस वक्त मौसम कुछ अलग ही रंग में था हवाओं में एक अजीब सी खुशबू फैल रही थी दोनों के जज्बात आपस में टकराने को बेचैन थे, विपुल ने खुद को संभाला और धीरे से बोला" थैंक्यू अंजलि" अंजलि ने धीरे से जवाब दिया थैंक यू किस बात का विपुल बोला तुमने जवाब बता दिया वरना मैं इस एग्जाम में तो फेल ही हो जाता अब दोनों थोड़ा सहज हो गए थे अंजलि भी थोड़ा सहज होते हुए बोली हम दोस्त है ना और दोस्ती में इतना तो बनता है।

इन बातों ने माहौल को थोड़ा सा हल्का कर दिया था इसके बाद विपुल कुछ और कह पाता पीछे से आवाज आई," अंजली बेटा" अंजलि ने जैसे ही आवाज सुनी तुरंत जवाब दिया हां पापा अंजलि के पापा अंजलि को लेने आ चुके थे पापा ने अंजलि से पूछा बेटा पेपर कैसा गया अंजलि ने पापा को जवाब दिया पापा बहुत अच्छा किया इन सबके बीच विपुल अंजलि से कुछ दूर जा चुका था क्योंकि धीरे से अंजलि ने इशारा किया था कि पापा है अभी जाओ तो बिल्कुल पीछे हट गया पीछे से एक और आवाज आई विपुल बेटा चलें, विपुल ने पीछे मुड़कर देखा है तो उसका रिक्शावाला भी आ चुका था, आज वैसे भी पेपर का आखिरी दिन था इसके बाद गर्मी की छुट्टियां चालू होने वाली थी पर इस बार की छुट्टियों ने एक अलग सा एहसास विपुल और अंजलि दोनों के दिल में जगा दिया था दोनों ही बेचैन थे इस बार पूरी गर्मी की छुट्टियां इसी इंतजार में कटने वाली थी कि जब मिलेंगे तो सारे जज्बात एक दूसरे को बता देंगे।

विपुल रोज अपने जज्बात को अपनी डायरी में लिखता अंजलि भी कुछ ऐसा ही कर रही थी पर इस दौर में विपुल और अंजलि जैसे बच्चों के लिए इंतजार के अलावा मिलने का कोई और तरीका भी नहीं होता है जैसे तैसे अप्रैल का महीना गुजर गया और फिर मई और जून भी सिर्फ यादों के सहारे कट गए। इसी बीच विपुल की डायरी के पन्ने भी भर गए क्योंकि डायरी भी शायद जानती थी इसके बाद से एक नई कहानी लिखी जाएगी, जुलाई का महीना आया स्कूल फिर से खुलने वाले थे जिससे विपुल बहुत खुश हुआ इस बार विपुल के नंबर भी अच्छे आए थे तो उसके पापा ने उसके लिए एक साइकिल लेकर दे दी थी अब वो डबल खुश था की सबसे पहले अंजलि को अपनी नई साइकिल दिखाएगा, दिल के सारे जज्बात बताएगा इसी कशमकश में तेजी से साइकिल के पेडल मारते हुए स्कूल पहुंच गया। 

प्रेयर का वक्त हो गया था उसके निगाहें तो केवल अंजलि को ढूंढ रही थी यहां से वहां पर अंजलि उसको कहीं नजर नहीं आ रही थी उसकी बेचैनी और बढ़ती चली जा रही थी, इसी बीच प्रेयर चालू हो गई पर उसकी निगाहें बेचैनी के साथ अंजलि को लगातार ढूंढ रही थी पर अंजलि कहीं नजर नहीं आई प्रेयर खत्म होते ही विपुल बदहवास सा हो गया अंजलि को ढूंढते हुए वह उसकी क्लास में जा पहुंचा उसने उसके दोस्तों से पूछा तो पता चला कि अंजलि अब स्कूल छोड़ कर जा चुकी है विपुल की तो पैरों तले जमीन सड़क चुकी थी उसने जो सपने सजा रखे थे जो अरमान पले थे जो जज्बात से जुड़े खत जो अपनी छुट्टियों पर लिखकर अपने बैग में रखे थे वह सारे अरमान टूट रहे थे।

बिखर रहे थे उसे पता चला कि उसके पापा का ट्रांसफर जयपुर हो गया है शायद पूरा परिवार वहीं जाकर शिफ्ट हो गए हैं खैर फिर भी विपुल रोज स्कूल जाता था प्रेयर के वक्त अंजलि को ढूंढता पर वह उसको कहा मिलने वाली थी उस दौर में कोई संपर्क के साधन नहीं थे। थी तो सिर्फ यादे और कुछ उसकी डायरी के पन्ने जिसे वह रोज पड़ता । अब वो अपनी डायरी के पन्नों को शायद कई बार पढ़ चुका था अब उसका स्कूल में मन नहीं लगता था आज उसके प्यार को ढाई साल हो चुके हैं वह प्यार जो अनोखा था यह विपुल और अंजलि का पहला प्यार था विपुल का प्यार ढाई मिल का रास्ता तय कर चुका था शायद इससे आगे जाना नियति को मंजूर नहीं था।


Rate this content
Log in

More hindi story from Aanart Jha

Similar hindi story from Romance