Vibha Rani Shrivastava

Action

3  

Vibha Rani Shrivastava

Action

दाँव का गणित

दाँव का गणित

2 mins
203


यादें बिसर गया ठूँठ सँवर गया

वक्त गुज़र गया.. दुःख मुकर गया

सम्पूर्ण क्रान्ति और पर्यावरण दिवस मधु जी के आवास पर नमन कार्यक्रम और काव्य गोष्ठी लोकनायक जयप्रकाश विश्व शान्ति प्रतिष्ठान द्वारा मध्याह्न में आयोजित की गई थी। भट्ठी बने भुवन में मेघोत्प्लावित देखकर भी परिंदे छिपे हुए थे। लम्बी प्रतीक्षा के बाद इ रिक्शा युवा चालक के संग दिखा। सौ की जगह दो सौ लेकर पहुँचाने के लिए तैयार होता हुआ बोला, "आप आंटी माँ जैसी हैं इसलिए इतने कम में पहुँचा दे रहा हूँ।"

"अगर सवारी कोई युवती होती तो शायद मुफ़्त में पहुँचा देते तीन सौ लेकर।" मेरी बात सुनकर चालक छलछला आये पसीना पोंछने लगा।

कार्यक्रम समाप्ति कर घर लौटने में अन्धेरा और हड़बड़ी उबर कार का पिछला गेट खोलकर ज्यों उतरना चाही त्यों पीछे से आता साइकिल सवार गेट से टकरा गया। बगल में ठेला था जिसको साइकिल सवार पकड़ लिया और वह गिरने से बच गया तथा चोट नहीं लगी। फिर भी वह उत्तेजित होना चाहा लेकिन मुझे देखकर आगे बढ़ने लगा लेकिन सामने से गलत दिशा में आती महिला जोर से बोलने लगी "गाड़ी वाले बड़े लोग रास्ते पर चलने वाले को कुछ समझते ही नहीं हैं। बस अपने जल्दी में सबको कुचलकर आगे बढ़ना चाहते हैं।"

महिला को बोलते देखकर सामने खड़े मजदूरों की भीड़ से एक बोलने लगा "दायें-बायें देखकर गाड़ी रोकना और उतरना चाहिए। इल्जाम बड़े लोग पर ही लगता है। गनीमत है कि भीड़ नहीं जुटी नहीं तो अभी पता चल ही जाता।"

"आपदा में अवसर देख लेते हो आपलोग। परबचन-परोपदेश देना जरूरी लगा। पीछे से आने वाले को नहीं दिखी कि सामने गाड़ी रुकी है और उसमें से कोई उतरेगा। उतरने वाले को पीछे से आता सवार दिख जाना चाहिए। वर्तुल घूमने वाला गर्दन होता।"

 असमंजस में थे विरोध धर्मी

मिट रही थी उनकी बेशर्मी


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Action