दादी को प्यार की जादू की झप्पी
दादी को प्यार की जादू की झप्पी
आज सुबह-सुबह दादी पोते में किसी बात पर बहस हो गई।
दोनों साथ में खेल रहे थे।
खेलते खेलते दादी जीतने लगी तो पोते ने थोड़ी तिकड़म भिड़ाई और वो जीत गया।
दादी को खेल में चीटिंग से बहुत प्रॉब्लम थी।
जब भी चीटिंग होती तो वह बहुत नाराज होती, और उन्हें पता लग जाता।
मगर खेल तो खेल है एक बड़े उम्र की दादी और छोटा सा पोता,
बच्चों को तो किसी भी तरह से जीतना है बस जीतना ही है।
आज कुछ ज्यादा हो गया।
दादी बहुत नाराज, वे सुबह से मुंह फुला कर नाराज होकर अपनी कुर्सी पर जाकर बैठ गए अपने कमरे में। और गुस्से में माला हाथ में लेकर के राम-राम करने लगे।
नाश्ता भी नहीं करा।
चाय भी नहीं पिया।
अब पोते को लगा वास्तव में दादी नाराज हो गई है, कुछ तो करना पड़ेगा।
गाना गाया डांस किया कान पकड़ा मगर दादी तो देखे ही नहीं उसकी तरफ।
एक आंख बंद करके और जरा सा देख कर और वापस दूसरी तरफ मुंह कर लेती।
एक बार उसने ऐसा करते देख लिया अब पोते को समझ में आया। दादी को मनाने लगूंगा तो मान जाएंगे।
गाना गाया तो भी कुछ नहीं उनके सामने कान भी पकड़ लिए, डांस भी कर लिया,
फिर एकदम से उनको पीछे से आकर कस के पकड़ के एक जादू की झप्पी दे दी।
बस दादी पिघल गई और उसको वापस प्यार करने लग गई।
और उसके सिर पर टप ली मारकर बोलते हैं अब आगे से ऐसा करा तो मैं तेरे साथ कभी खेलूंगी नहीं।
मगर वह पोता है बदमाश शैतान उसके लिए तो अभी तो दादी मान गई अभी खुश हो गई और क्या चाहिए। सिर हिला दिया, बोला कुछ नहीं और नाचने लगा,
मैंने दादी को जादू की झप्पी दी और दादी खुश हो गई।
चलो दादी आ जाओ अब मेरे साथ नाश्ता कर लो।
फिर अपन खेलेंगे खेलने में तो हार जीत चलती रहती है।
और आप को हराने के लिए मुझे चिटिंग करनी पड़ी तो करूंगा ना और हंसने लग गया।
बोलता है फिर वापस मना लूंगा, जादू की झप्पी असर कर जाएगी ।
और हंस करके एक हाथ पकड़ करके उनको बाहर लेकर आया और उनके साथ में नाश्ता करने के लिए बैठ गया जादू की झप्पी का असर।
