चॉकलेट
चॉकलेट
मैं चॉकलेट की प्रशंसक तो नहीं हूं।पर मुझे किसी की वफा मोहब्बत ने इससे जोड़ जरूर दिया है। मैं वह थी जो कभी मीठा ना के बराबर खाती थी लेकिन उसकी पहली बार वो भी पहली मोहब्बत में दी हुई वह डेरी मिल्क मुझे न जाने क्यों इस तरह कायल कर गई की मैने उसका कागज आज भी संभाल कर रखा हुआ है ।और जिसे आठ साल हो गए हैं मेरी डायरी में पड़े हुए। उसका बैंगनी और सुनहरा रंग का कागज मुझे आज मेरी नाकाम मोहब्बत की दर्द भरी यादें दिलाता रहता है।और मैं उसे देखती रह फिर से बड़े प्यार से संभाल देती हूं और न जाने कब तक रहेगा।
दूसरी बार तब दीवानी हुई जब घर अपनो से बाहर अकेली शहर में नौकरी करने गई थी सब अनजान थे ना किसी से कोई मतलब था। लेकिन सबकी जिंदगी में ऐसा इंसान जरूर होता है जिसकी जीवनकथा में एक पड़ोसी शब्द जरूर होता है । ऐसा ही अध्याय एक मेरी जिंदगी में है जो आज भी नए गद्यांश जोड़ते रहता है वह पड़ोसी मेरे एक भाई और दो दोस्त हैं जिन्हे आज मैं कोड शब्द तीन चॉकलेट्स के नाम से ही बुलाती हूं। जिनमें एक डेरी मिल्क दूसरा किट कैट है और भाई डेरी सिल्क हैं। और जब भी मिलना होता है ये अलग अलग चॉकलेट उपहार के रूप में देनी होती है।
