चंदा का फौजी
चंदा का फौजी
बेहद सुंदर सूरत और उससे भी सुंदर सीरत ऐसी थी चंदा। कभी किसी से फालतू घुलते मिलते नहीं देखा हमने उसको कॉलेज में और सड़क पर तो आंखें ऐसे गड़ा के रखती थी कि जैसे बजरी गिन रही हो की कितनी बजरी डली हैं सड़क बनने में। जाने कितने चंदा के चांद बनने की ख्वाहिश पाले हुए थे, पर वो इन सब से बेखबर अपनी पढ़ाई और खुद में व्यस्त रहती और ना हम जैसी सहेलियों के साथ गप्पेबाजी का शौक था उसे। पढ़ाई में अव्वल, शक्लो सूरत में उसका कोई सानी नहीं, कढ़ाई बुनाई में निपुण, नेकदिल और खुशमिजाज और क्या ही चाहिए एक इंसान में। सांचे में ढली और नाजों में पली चंदा।
इसी सब में चंदा के ब्याह की खबर आई, हम सब सहेलियां बेहद खुश हुए। उसकेे ब्याह में हम सब ने खूब धमाल किया और चंदा खुशी खुशी ससुराल चली गई।
चंदा के पति फौजी अफसर थे। खूब मजेे से जिंदगी कट रही थी उन दोनो की, अचानक कारगिल युद्ध शुरू हो गया और चंदा के पति कैप्टन सुनील को फ्रंट पे जाना पड़ गया, चंदा का एक एक पल भगवान के मंदिर में माथा टिकाए बीत रहा था हर पल वो सुनील जी की सलामती की प्रार्थना करती। एक दिन खबर आती है की सुनील जी अस्पताल में भर्ती हैं बदहवास सी चंदा अस्पताल पहुंचती है और जा के देखती है की उनके दोनो पैर काटे जा चुके हैं, युद्ध में उनके पैरों में गोली लगी थी और खून काफी बह गया था पर जहर फैलने लगा था शरीर में तो मजबूरन कैप्टन सुनील के पांव काटने पड़े ताकि उनका जीवन बचाया जा सके। खैर चंदा ने जी जान से सेवा की और कैप्टन घर आ गए। एक हट्टे कट्टे इंसान का एक दम यूं हर वक्त के किसी ना किसी के सहारे पे आ जाना उसको तोड़ देता है। सुनील भी बेहद चिड़चिड़े हो गए, उनको हर वक्त चंदा को चिंता लगी रहती थी की दो साल की ब्याहता ने अभी क्या सुख देखा था जो ये विपदा आन पड़ी। सुनील का बेहद खयाल रखती चंदा और खुद को भूलती जा रही थी, प्रेम करने वाले दिल से चंदा को ऐसे नही देखा जा रहा था, सुनील को लगने लगा था की उनकी वजह से चंदा का जीवन कष्टदायक हो गया है।
सुनील बहाने बना बना कर चंदा से झगड़ने लगे, हर काम में खोट निकालते, बार बार चंदा का तिरस्कार करते, चंदा शांत रहती वो सब समझती की सुनील परेशान हैं इसलिए ऐसा कर रहे हैं।
तो वो सुनील से विमुख हो ही नही रही थी। ऐसे में सुनील ने एक दांव और खेला जो कोई भी औरत झेल नहीं सकती, सुनील ने अपनी एक पुरानी दोस्त से बातचीत शुरू कर दी वो घर पर भी आ आ के रहने लगी। श्रुति नाम था उसका, श्रुति के आते ही सुनील कमरा बंद कर लेते और दोनों म्यूजिक की रिहर्सल करते, सुनील ने इन हालातों में रह कर गाना भी सीख लिया था, श्रुति म्यूजिक सिखाती थी और सुनील की दोस्त भी थी तो कभी चंदा ने शक भी नहीं किया पर एक दिन चंदा सुनील की आवाज सुनती है वो श्रुति को कह रहा होता है श्रुति तुमने मुझमें जान डाली है, अब मेरी जिंदगी में आई हो तो लौटना मत, मैं .............. इसके आगे चंदा कुछ सुन भी ना पाई और बाहर बगीचे में भाग आई। ऐसा लगा जैसे आसमान टूट पड़ा हो, सब बिखर गया हो, वो टूट गई पर उसको खुद को टूटने नहीं देना था क्योंकि वो मां बनने वाली थी यही खुशखबरी देने वो सुनील के कमरे में जा रही थी पर वहां की बातें सुन वो जड़वत रह गई।
उसने अपना अपमान भी सहा, डांट भी सही सब झेला पर उसका अंतर्मन कह रहा था की सुनील अब अकेला नहीं है तू यहां से कहीं चली जा, चंदा अपना थोड़ा समान लेकर निकल जाती है अपने घर से उस घरौंदे से जहां उसने अपना आशियां सजाया था बहुत प्यार से।
एक औरत तो टूट कर बिखर सकती है पर एक मां को बिखरने का हक नहीं होता, वो खुद को समेट कर नई जिंदगी शुरू करती है, सुनील के शहर से दूर वो एक पहाड़ पर बोर्डिंग स्कूल में नौकरी पकड़ लेती है और अपने बेटे के साथ वहीं बस जाती है।
कुछ सालों के बाद उसके स्कूल के ही एक साथी उसे शादी के लिए प्रस्ताव रखते हैं, चंदा ने कभी सोचा ही नहीं था इस बारे में। वो अजय को कहती है की मुझे थोड़ा वक्त दीजिए, अजय कहता है मुझे कोई जल्दी नहीं। अजय एक बेहद अच्छा इंसान है और वहीं बोर्डिंग में गणित का अध्यापक है और बहुत ही हंसी मजाक करने वाला है। चंदा को भी अजय पसंद था पर उसने ऐसे शादी वगैरा के बारे में सोचा ही नहीं, उसके जेहन में तो आज भी बस सुनील है।
चंदा की कुलीग भी उसको समझाने लगी की कर लो शादी कब तक अतीत को ले कर बैठी रहोगी।
अजय से उसने उसके परिवार के बारे में पूछा तो अजय ने बताया कि मेरी बहन है वो आ रही है तुमसे मिलने, माता पिता दोनो हैं नहीं।
रविवार की सुबह सब काम निबटा कर चंदा और उसका बेटा नील किताबें पढ़ रहे थे की घर की घंटी बजती है, चंदा उठ कर दरवाजा खोलने जाती है तो देखती है अजय हैं और ये क्या उनके साथ श्रुति है, श्रुति भी चंदा को देख कर चौंक जाती है, इतने में अजय उनका परिचय करवाते हैं एक दूसरे से और दोनो के चेहरे पे आते जाते भावों को पढ़ कर पूछते हैं अरे क्या हुआ दोनो को ?
चंदा कुछ कहती नहीं पर अजीब सी हो जाती है अजय कहते हैं तुम दोनो बात बताओगी मुझे या मैं यूं ही असमंजस में खड़ा रहूं ?
श्रुति कहती है अजय तुम बैठो मैं बताती हूं, चंदा मेरे दोस्त कैप्टन सुनील की पत्नी हैं और ये एक दिन बिना कुछ कहे बताए उसका घर छोड़ आई थी, कोई नही जानता की क्यों ?
चंदा हैरत भरी नजरों से श्रुति को देखती है। श्रुति समझने की कोशिश करती है और पूछती है कि चंदा आपको क्या सवाल परेशान कर रहा है ? आप बताएं मुझे ? चंदा पूछती है सुनील कैसे हैं ? क्या आप दोनो ने ब्याह कर लिया ? श्रुति आश्चर्यचकित रह जाती है और कहती है चंदा आप क्या सोच रही हैं हम दोनों तो अच्छे दोस्त हैं हमेशा से और मेरी शादी कब की हो चुकी मेरे पति भी आने वाले होंगे आपसे मिलने।
चंदा पूछती है सुनील कैसे हैं ? श्रुति बोलती है उन्होंने खुद को समाज के प्रति समर्पित कर दिया है पर आपको मिस करते हैं, हमेशा एक बात कहते हैं कि वो जहां भी होगी खुश होगी यहां रहती तो कभी खुश नहीं रह पाती। चंदा श्रुति को पूरी बात बताती है की कैसे क्या हुआ था और क्यों किन हालातों में घर छोड़ा था। श्रुति तुरंत सुनील को फोन लगाती है और लोकेशन भेज कर सुनील को जल्द से जल्द पहुंचने को कहती है, इन सब के बीच अजय अवाक सा खड़ा इन दोनों को देख रहा है।
एक घंटे में सुनील पहुंचता है और वो भी चल के, सुनील नकली पैर लगवा चुका होता है। सुनील जैसे ही चंदा को देखता है एकदम सरप्राइज़ हो जाता है।
श्रुति अजय को कहती है भाई अब हम चलते हैं इन दोनों को अपनी बात सुलझाने दीजिए।
शिकायतों का दौर शुरू हो जाता है चंदा की आंखों से पानी का बहना नहीं रुक पाता, सुनील को चंदा नील से मिलवाती है, सुनील माफी मांगता है। और फिर से दोनो को कस कर अपनी बाहों में जकड़ कर दोनो का माथा चूमता है।
परिवार फिर से एक हो जाता है।

