चिड़िया चुग गई खेत

चिड़िया चुग गई खेत

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आज मेघा सुबह से ही अपने बेटे रोहन का पसंदीदा खाना बनाने में व्यस्त है आख़िर तीन साल बाद रोहन ऑस्ट्रेलिया से अपनी पढाई पूरी करके आ रहा है, मेघा ने घड़ी में देखा बस एक ही घंटे में आ जाएगा थोड़ा घर ठीक किया, खुद तैयार हो गई ओर खाने की टेबल भी सजा ली की डोरबेल बजी, दरवाजा खोलते ही बेटे को देख कर आँखें भर आई रोहन मेघा को सिर्फ़ "हाय मॉम" बोलकर दौड़ता हुआ अपनी दादी के कमरे की ओर भागा कमरा बंद था तो खटखटाया, "दादी मेरी प्यारी दादी देखो तो आपका लाड़ला पोता आ गया ,आज खास आपके जन्मदिन के दिन दरवाजा खोलिए", पर अंदर से कोई जवाब नहीं मिला तो आहिस्ता से दरवाजे को धक्का देकर अंदर झाँका तो ना दादी माँ दिखी, ना ही उनका कोई सामान, ना ही कोई भी निशानी दिखी। दिल धड़क गया रोहन का " दादी बुआ के घर कुछ दिन रहने जाती थी पर इस बार क्या हंमेशा के लिए चली गई है या स्वर्ग सिधार गई जो कमरे में दादी की एक भी निशानी नहीं दिख रही।" 

मेघा पीछे खड़ी आँखें चुराती कुछ कहने की कोशिश कर रही थी कि रोहन ने पूछा "मॉम दादी माँ कहाँ है ?" मेधा थरथराती जुबाँ से बोली बेटा थका हारा आया है पहले खाना तो खालें बाद में बात करते हैं, रोहन को दाल में कुछ काला लगा तो मेघा को दोनों हाथों से झकझोरते हुए ऊँची आवाज़ में पूछा " प्लीज् मॉम गिव मी आंसर। क्या दादी को कुछ हो गया है ? औरर आपने मुझे बताया नहीं?"

मेघा आँखें झुकाए बोली "बेटा दादी को टी बी हो गई थी तो हम उसे पास ही में जो ओल्ड एज होम है वहाँ छोड़ आए हैं, तू फ़िक्र मत कर। वहाँ वो लोग बहुत अच्छी तरह रखते हैं दादी को और हम रेग्युलर वहाँ जाकर पैसे और जरूरी सामान दे आते हैं।

रोहन गुस्से में आगबबूला होता जाने लगा तो मेघा ने हाथ पकड़कर पूछा "आते ही कहाँ जा रहा है थोड़ा आराम तो कर ले खाना तो खा ले।" 

रोहन नम आँखों से बोला "मॉम आपके लिए ओल्ड एज होम में बुकिंग करवाने जा रहा हूँ क्या पता आपको भी आगे जाके कोई बीमारी हो ओर मुझे आपको वहाँ रखना पड़े तब शायद वहाँ जगह ना हो", रोहन मेघा का हाथ छुड़ाकर एक धिक्कार भरी नज़र मेघा पर ड़ालते चला गया। वरिद्धाश्रम में पैर रखते ही वृद्धों की हालत देखकर रोहन सिहर उठा, यहाँ कैसे रहती होगी मेरी दादी इन्क्वायरी ऑफिस में पता किया दादी का नाम बताया, मैं उनका पोता हूँ ओर उनको ले जाने के लिए आया हूँ।

पर मैनेजर ने अफ़सोस के साथ कहा "अभी-अभी आपकी दादी ने आख़री साँसे लेकर देह छोड़ा है उनकी जुबाँ पर आख़री नाम किसी रोहन का था", रोहन के हाथ से केक का बोक्स गिर गया आज जन्मदिन ही दादी का मरण दिन बन गया था। 

रोहन कुछ सोच कर उठा घर पर मेघा को फोन करके बताया "मेघा जी आज आपने मेरे मुँह से माँ सुनने का हक खो दिया है, आप बस खुशियाँ मनाओ ।दादी चल बसी हैं और आप मुझे ढूँढने की कोशिश मत करना मैं हंमेशा के लिए इंडिया छोड़ कर जा रहा हूँ।"

मेघा घड़ाम से सर पकड़ कर बैठ गई खुद की करनी पर पछताते पर अब पछताए क्या होत जब चिड़िया चुग गई खेत।।



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