छठी इंद्रीय
छठी इंद्रीय
कभी-कभी समय पर छठी इंद्रिय जागृत हो जाती है तो बहुत सारी अनहोनी घटनाएं घटना, घटने से रुक जाती है।
ऐसा ही हमारे साथ मेरे साथ को हुआ। सुबह का टाइम था मेरे यहां मेरे पुत्र की शादी का प्रोग्राम जारी था। बहुत सारे मेहमान घर में ही रुके हुए थे। और मैंने रसोई में इस तरह की व्यवस्था करी हुई थी, कि एक तरफ खाना बनता रहे। और दूसरी तरफ एक गैस चाय के लिए लगा दी थी। सब अपनी इच्छा से मन हो तब चाय बनाकर पी सकें, और खाना बनाने वाली बहन को कोई डिस्टर्ब ना हो। तो सुबह करीब नौ बजे की बात है, मैं वहां गैस के पास गई चाय बनाने के लिए, अभी तो मैंने उस पर हाथ भी नहीं लगाया था की, जोर से ब्लास्ट होने जैसी आवाज आई। मैं एकदम से घबराई क्या हो रहा है। गैस का जो सिलेंडर है वह हमारा स्टोर में रहता था।
और इलेक्ट्रिक प्लेटफार्म पर एक पाइप के जरिए उसका पाइप बाहर निकलता था। बाहर दूसरी गैस पर खाना बन रहा था। मैं एकदम से स्टोर में गई तो मैंने देखा की गैस का रेगुलेटर एकदम फट गया है। मेरी छठी इंद्री एकदम जागृत हो गई, और और मैंने आव ना देखा ताव ना देखा जाकर अपनी हथेली सीधी गैस सिलेंडर के ऊपर दबा दी, जहां से गैस निकल रही थी वहां पर। और फिर आजू बाजू देखकर के एक स्टॉपर मिला। उसको ऊपर लगाया। गैस मेरे बहुत सारी अंदर चली गई थी इसलिए मेरे को बेहोशी की आने लगी थी। एकदम से बाहर आकर के और कुर्सी पर बेहोश सी हो गई। जब तक सब लोग आ गए क्या हुआ, क्या हुआ, बाद में मैंने उन लोगों को बताया, कि ऐसा हुआ कि चाय बना रही थी, और अंदर गैस का रेगुलेटर फट गया। अगर मैं हल्ला मचाती तो और समय सूचक ता से काम नहीं लेती तो हमारे घर में बहुत बड़ी दुर्घटना हो जाती। और शायद मैं आप लोगों के साथ अपनी बात सुनाने के लिए नहीं होती। बहुत सारे लोग आए हुए थे। और बहुत बड़ी बिल्डिंग थी आग लग सकती थी। मगर समय पर छठी इंद्री जागृत होने से दुर्घटना टल गई। मेरे को गैस का असर तो दो-तीन दिन तक रहा। उसके बाद में ठीक हुआ मगर यह घटना जब भी याद आती है तो एकदम रोंगटे खड़े हो जाते हैं। हम सबका नसीब अच्छा था इतना बड़ा प्रोग्राम हो रहा था घर में। 50 जने से ज्यादा लोग थे। पता नहीं क्या हो सकता था। भगवान ने हमारी लाज रखी। इसलिए कहानी रूप में लिख रही हूं। आशा है आप लोगों को पसंद आएगी यह सच्ची घटना है। और मेरे घर में मेरे साथ ही हुई है।
