न जाने क्या- क्या खरी खोटी सुनातीं इस मिसेज़ वीर को। न जाने क्या समझती है अपने आप को ? न जाने क्या- क्या खरी खोटी सुनातीं इस मिसेज़ वीर को। न जाने क्या समझती है अपने आ...
एक कहानी जो हमे धर्म के आधार पर भेद भाव न करने को कहती है। एक कहानी जो हमे किसी भी रिश्ते को शक किस ... एक कहानी जो हमे धर्म के आधार पर भेद भाव न करने को कहती है। एक कहानी जो हमे किसी ...
एक रोशन झरोखा जिसमे से झांक सके एक रौशनी भर एक रोशन झरोखा जिसमे से झांक सके एक रौशनी भर
"दोस्त अब आज की रात तो क़त्ल की रात जैसी है। "दोस्त अब आज की रात तो क़त्ल की रात जैसी है।
गैस मेरे बहुत सारी अंदर चली गई थी इसलिए मेरे को बेहोशी की आने लगी थी गैस मेरे बहुत सारी अंदर चली गई थी इसलिए मेरे को बेहोशी की आने लगी थी
लेखक: धीराविट पी. नात्थगार्न ; अनुवाद : आ. चारुमति रामदास लेखक: धीराविट पी. नात्थगार्न ; अनुवाद : आ. चारुमति रामदास