पवन कुमार

Abstract

2.1  

पवन कुमार

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छोटा बड़ा

छोटा बड़ा

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चेतन के जीवन में कभी किसी के प्रति प्रेम की भावनाएं नहीं उमड़ी। परिवार के लोग अक्सर उसे निष्ठुर कहते थे। उसका प्रेम एक व्यक्ति तक केन्द्रित नहीं था जबकि सबसे समभाव रहने की कोशिश करते हुए चेतन अपने अनुभव जोड़ता रहता। उसकी नजरो में एक साधारण मानवी की भी उतनी ही अहमियत थी जितनी समाज के उच्च पायदान पर बैठे व्यक्ति की।

धन दौलत पाने और पुरस्कार सम्मान पाने वालो की अन्धी दौड़ में अन्धे लोगो से चेतन दूरी बनाकर चलता। उसके काम की कभी आलोचना होती तो चेतन को अच्छा लगता। उसे चर्चा में रहना पसन्द था परन्तु उसका दृढ़ विश्वास था कि उसके द्वारा कोई कार्य गलत न हो। चेतन कभी भी सूखी लकड़ी की तरह व्यवहार नहीं करता था,उसका मत था कि लचीलापन व्यक्ति को समायोजित करने में मदद करता है। अपनी बात को बड़ा रखना,उसे कतई पसंद नहीं था जबकि उसे अपनी बात को छोटा रखना पसन्द था। पक्षपात करना और तुलना करने से उसने हमेशा परहेज किया।


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