मदद
मदद
चेतन सबके साथ समान व्यवहार रखने की कोशिश करता रहता परन्तु फिर चाह कर भी ऐसा न कर पाता क्योंकि सबका दृष्टिकोण उसके प्रति अलग अलग था।अपनी तटस्थ भूमिका की वजह से कभी कभी परिवार और दोस्तो के कोप का शिकार बन जाता।उसके दोस्त उसे बहुत सलाह देते परन्तु कुछ काम वह जानबूझकर भी गलत करता।उसे गलती करना और उन गलतियो से सीखना अच्छा लगता।निर्णय लेने में देरी करना उसे पसन्द नहीं था,हालांकि वह निर्णय सोच समझकर लेता था।
एक बार उसके एक मित्र ने कुछ रूपये उधार लिए और उसे महीनो तक वापस नहीं दिए परन्तु फिर भी नाराज नहीं था क्योंकि उसने जरूरत पड़ने पर किसी की मदद की थी।उसे पता लग चुका था कि जिस मित्र ने उससे रूपये उधार लिए है दरअसल उसने झूठ बोला था कि वह किसी मुसीबत में है परन्तु फिर भी वह सन्तुष्ट था।आठ हजार रूपये में से हालांकि पांच हजार रूपये वापस उसके मित्र ने कर दिए थे परन्तु तीन हजार रूपये उसका मित्र देना नहीं चाहता था।चेतन ने उससे मांगना ही छोड़ दिया क्योंकि बार बार कहने में उसे खुद ग्लानि का अनुभव होता था।आज चेतन सोच रहा था कि अगर ऐसे ही सब मित्र हो गए तो कोई किसी की मदद नहीं कर पाएगा।
