कपट
कपट
सामान्य भाषा में कहें तो कपट का अर्थ छिपाना होता है परन्तु कुछ बाते छिपाने योग्य होती हैं और कुछ को बताना बहुत आवश्यक होता है। कपटी व्यक्ति छिपाने योग्य बातों को प्रायः बताते हैं और बताने योग्य बातों को छिपाते हैं। ऐसा करने से सामान्यतौर पर वे स्वयं इसे चतुराई समझ बैठते हैं। तत्वदर्शी लोग छल कपट को मूर्खो द्वारा किए जाने वाला काम समझकर अपने द्वारा सटीक तथ्य और प्रमाणिक बातो को सदैव उद्घाटित करते रहते हैं। जब हम कोई विचार मन में लाते हैं तो उसका भी प्रभाव हमारे मन और वातावरण पर पड़ता है और यदि शब्द हमारी वाणी पर आते हैं तो उसका प्रभाव को कालान्तर तक पड़ता है। कुछ ऐसा ही हुआ था चेतन के साथ।
जब चेतन ने किसी काम को करने में असमर्थता जताई तो फैक्ट्री के प्रबन्धक ने उसके साथ कपट की निती अपनायी। प्रबन्धक की मुर्खता ने उसे इतना अन्धा कर दिया कि चेतन के द्वारा किए जाने वाले अच्छे कार्यो का भी उसे भान नहीं रहा। चेतन अपने काम को ईमानदारी से करता रहा जो कि उसकी सबसे बड़ी ताकत थी। फैक्ट्री मालिक को जब पूरी घटना की जानकारी मिली तो प्रबन्धक के कुचक्र की पोल खुल चुकी थी। प्रबन्धक को अपने कृत्यो के लिए शर्मसार होना पड़ा। कुल मिलाकर कपट का सहारा हमेशा कमजोर लोग लेते है। शक्तिशाली सदैव सच के रास्ते पर चलते हैं, भले ही श्रेय मार्ग पर कितने ही अवरोध क्यों न हो।