प्रेम सहयोग
प्रेम सहयोग
पिछले कई जन्मों की धूमिल स्मृतियां उसके मन मस्तिष्क में ताजा थी। इस जन्म में एक साधारण परिवार में जन्मे चेतन के मन में आत्मविश्वास असाधारण था। उसने इस जीवन में असाधारण उपलब्धि हासिल कर ली थी। वह किसी भी जनान्दोलन का हिस्सा नहीं बनता था क्योंकि उसे पता था कि जनान्दोलन में भाग लेने वाले व्यक्तिगत स्वार्थी है। वह स्वयं क्या कर सकता है? कैसे कर सकता है ? इस बात पर उसका अधिकतम ध्यान रहता। वह अपने आसपास के सभी लोगों का सहयोग करता। उसका विचार था कि उसे केवल सहयोग देना है बल्कि किसी का सहयोग नहीं लेना है फिर भी लोग उससे प्रेम पूर्वक जुड़ते और सहयोग करते। उसकी व्यापक सोच से सभी प्रभावित रहते थे। एक दिन चेतन बीमार पड़ गया। उसकी हालत बहुत खराब थी। वह अपने किए गए कार्यों से संतुष्ट था। अपने बिस्तर पर लेटे, वह ईश्वर से प्रार्थना कर रहा था कि भगवान उसे फिर से ऐसे स्थान पर भेजे, जहां पर उसका जीवन संघर्षों से भरा हो ताकि समाज में शून्य से शिखर की जैसी यात्रा यहां पर पूर्ण हो रही है, ऐसी ही स्वेदयुक्त और श्रम युक्त यात्रा फिर से प्रारम्भ हो। चेतन के आत्मविश्वास और निडरता ने उसे फिर से नव जीवन प्रदान किया। उसकी तबीयत अब ठीक थी और पुनः वह अपने दैनिक कार्यों में लग गया था। प्रेम और सहयोग की उसकी यात्रा फिर से नई उड़ान भरने लगी।