"चौथे स्तंभ की गरिमा"
"चौथे स्तंभ की गरिमा"
भारतीय संविधान में मिडिया चौथा स्तंभ हैं।
अब मिडिया कि गरिमा खंडित हो गई।
क्योंकि मिडिया तो गोदी मिडिया बन गया हैं।
स्वतन्त्रता सेनानीयों नेअपना बलिदान दिया।
देश कोआजादी दिलाई।
शायद देश में बैरोजगारी भूखमरी भ्रष्टाचार
मिटाने में मिडिया योगदान देेेगा।
देश में ठप हुए विकास कार्यों कि बैरोजगारीभूूखमरी
भ्रष्टाचार पर सरकार से सवाल जबाव नहीं होता हैं।
हद करता हैं गोदी मिडिया विपक्ष से सवाल पूछता हैं।
क्या विदेश से कालाधन वापिसआया।
नहींआया तो क्यों नहींआया।
मिडिया सरकार से सवाल नहीं पुछता हैं
यह सब बातें पुरानी हो चुकी हैं।
सभी झुठे वादे जुमले बाज़ी के भेंट चढ़ गयें।
बोकस बातों पर सेमिनारेेंआयोजित होती हैं।
टी वी चैनल्स पर बोकस डिबेट्स हों रहें हैं।
अपशब्दों से ईज्जतदारों कि मौतें हो रही हैं।
देश में न्यायिक व्यवस्था छिन्न-भिन्न हो गई।
अपराधियों को पकड़ने में भी पक्षपात हों रहा है।
किसी का एनकाउंटर किसी को खुली छूट हैं।
आपराधिक राजनैतिक गठजोड़ हों चुका हैं।
कानुन व्यवस्था पुर्ण रूप से पंगु हो चुकी हैं।
देश में जंगल राज कायम हों चुका हैं।
जंगन्यअपराधिक गतिविधियां बढ़ रही हैं।
महिलाओं परअत्याचार बलात्कार हत्या
जैसे जंगन्यआपराधिक मामले बढ़ रहे हैं।
कहीं पर भी कोई सुनवाई नहीं हो रही हैं।
किसानों मजदूरों युवाओं महिलाओं कि मांगों
पर सहानुभूतिपूर्वक विचार नहीं होता हैं।
जिसकी लाठी उसकी भैंस हों गई हैं।
देश का विकास अवरूद्ध हो चुका हैं।
देश किआर्थिक स्थिति ख़राब हो चुकी हैं।
चौथा स्तंभअपना कर्तव्य फ़र्ज़
अदा नहीं कर पक्षपाती हों गया हैं।
चौथा स्तंभ पुर्ण रूप से धराशाई हो चुका हैं।
