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Poonam Bagadia

Inspirational

3.4  

Poonam Bagadia

Inspirational

बूढ़ा आत्मसम्मान

बूढ़ा आत्मसम्मान

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"सुनो जी प्राची के स्कूल बैग की चेन ठीक करा लाओ, वरना वो कल भी स्कूल नही जा पायेगी।

वाणी ने अखबार में खोये सरु की ओर बैग बढ़ाते हुऐ कहा।

यहाँ आस-पास में है कोई, जो इसे बना सके? सरु ने अखबार के पन्ने पलटते हुये पूछा।

अपनी सोसायटी के बाहर एक अंकल जी बैठे होंगे, वो कपडो को अल्टर और चेन ठीक करने का ही काम करते है।

कहती हुई वाणी रसोई की ओर चली गई।

सरु ने नीचे आकर सोसायटी के गेट से बाहर झाँक कर देखा। सोसायटी की दीवार से सट कर एक साठ पैसठ साल का बूढ़ा एक अजीब सी चेयर पर बैठा था चेयर उसके सामने लगी छोटी सी मेज पर रखी सिलाई मशीन के कारण ठीक से दिख नही पा रही थी।

सरु गेट से बाहर उस वृद्ध के समीप आ गया।

वृद्ध तन्मयता से सर झुका कर जीन्स की चेन ठीक करने में लगा था। 

थोड़ी देर बाद उसने सर उठा कर पास खड़ी महिला को देखते हुए कहा "बीस रुपये हो गये दोनों के ।" जीन्स और बैग उसकी ओर बढ़ा दिया।

नही। सिर्फ दस ही दूँगी दोनो के कहकर दस रुपये उस बूढ़े के सामने रख दिये।

बहन जी दस और दीजिये मेरी मेहनत का।

वृद्ध ने दबी आवाज़ में कहा

बस इतने ही दूँगी। हमेशा आपसे ही तो ठीक कराती हूँ।

ह्म्म्म और हमेशा आधे पैसे देती हो। वृद्ध फुसफुसाया।

तभी जमीन पर बैठे एक पच्चीस- तीस साल के फटेहाल युवक ने हाथ फैला कर याचना की 

दीदी सुबह से भूखा हूँ । दस बीस रुपये दे दो तो खाना खा लूँ।

उस महिला ने दया भरी नज़रों से उसे देखा फिर अपना पर्स खोल कर खुले पैसे टटोलने लगी।

शायद उस युवा भिखारी को देने के लिये।

सरु को कुछ अटपटा लगा, वृद्ध को उनकी मेहनत के पूरे पैसे न देकर एक युवा भिखारी को दान करना कहाँ तक न्याय संगत है?

महज़ कुछ झूठी दुआओ के लिए एक हट्टे कट्टे युवक को आलसी बनाने में कसर नही छोड़ते लोग।

वहीं मेहनत करने वालो का मेहनताना काट कर खुद को बेहद कुशल मनी सेवर समझते हैं।

अंकल जी ये लगा दीजिये

सरु ने बैग उस वृद्ध की ओर बढ़ाया और अपने सर को झटका दे कर उस विचार को विराम देने की कोशिश की।

वो वृद्ध बैग हाथ मे ले कर तन्मयता से अपने कार्य मे जुट गया।

तभी सरु ने वृद्ध की अजीब सी चेयर पर नज़र डाली तो वो जैसे जड़ सा हो गया।

वो वृद्ध विकलांग चेयर पर बैठा था।

दीदी आपका सुहाग बना रहे, बच्चे जीते रहे जैसी दुआएँ सरु के कानों से जैसे ही टकराई उसने सर उठा कर उस भिखारी की ओर देखा।

वो महिला उसे पैसे दे रही थी।

सरु से अब रहा नही गया उसने महिला को सम्बोधित कर कहा "आप जैसे लोगो की वजह से ही विकलांग और वृद्ध लोग भीख मांगने पर विवश हो जाते है, वरना आत्म सम्मान से जीना वो भी जानते है।

सरु की बातों का अर्थ समझ कर वो महिला शर्मिंदगी से भर उठी।


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