बुरी औरत
बुरी औरत
कल के प्रोग्राम में एक 25 तीस साल की युवती कह रही थी, कि हाँ मैं बुरी औरत हूँ। हाँ मुझे बहुत बढ़िया लगा काहे साहस तो है अपनी बात रखने का।कौन कितना साहस चाहिये समाज के बंधनों को तोड़ने का। हाँ बहुत साहस था, उस महिला में, बस की बात चीत के अंश को ही आप लोगो के सामने रखते है।
कहानी के रूप में पिरो कर। अब आगे बढ़ते है। वह कह रही थी कि पहली बार मारा भाई ने जब वह देर से घर आयी, पर उसने उसको वहीं रोक दिया कि पहला और आखिरी है, उसके बाद जिसको चाहा जिसके साथ जीवन बिताने के सपने देखे उसने भी मारा, काहे कि वह अपने हिसाब से जीवन जीना चाहती थी, पर वह पहला और आखिरी था। कुल मिला वह लड़की जिस का नाम नाज था, बड़ी साहसी लगी कम से कम जो गलत हो रहा है उसका विरोध तो कर रही है और उसको रोक कर हौसले के साथ आगे बढ़ रही है। हाँ यही कोशिश भी कर रही है कहने का कि गलत सही का अंतर करके जीवन में आगे बढ़ना चाहिये।