Neeraj pal

Classics

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बुरी आदत से छुटकारा-एक उपाय

बुरी आदत से छुटकारा-एक उपाय

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एक बार एक चोर परम संत नानक साहब के पास पहुँचा,वह अपनी बुरी आदतो से छुटकारा पाना चाहता था ।उसने उनसे विनय पूर्वक निवेदन किया कि महाराज मैं अपने इस बुरे स्वभाव से किस प्रकार से छुटकारा पा सकता हूँ ।जो उपाय नानक साहब ने उसको बताये ,उससे नहीं हो पा रहे थे,सभी उपाय उससे विफल होते जा रहे थे ।इस प्रकार उपाय बदलते गए लेकिन उसका स्वभाव नहीं बदला ।

जब अधिक दिन व्यतीत हो गए तो नानक साहब ने उससे कहा कि तुम्हारे इस स्वभाव के बदलने का एक मात्र उपाय है कि अब तुम अपने पापों को सबके सामने प्रकट करने लगो ।उसने एसा ही किया,उसको अपने दोषों और पापों को दूसरों के सामने प्रकट करते -करते उसे स्वयं से घृणा होने लगी ।और इस प्रकार वह अपनी इस चोरी करने की बुरी आदत से घृणा होने लगी और यह आदत स्वतः ही छूट गई ।

अतः कहने का तात्पर्य यह हैं कि -दूसरों के दोषों को ढको और अपने दोषों को प्रकट करो ।वे स्वतः ही छूट जायेंगें।



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