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anuradha nazeer

Abstract

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anuradha nazeer

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बुजुर्ग

बुजुर्ग

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एक बेटा अपने पिता को बुजुर्ग के घर ले आया। उन्होंने और उनके पिता ने वहां सभी सुविधाएं देखीं। अगर वह अंदर जाता है और डैडी से कहता है, डैडी, आप एसी रूम ले लो। यही लागत है। फिर भी पैसे की कोई समस्या नहीं।

आप ठीक रहें। फिर उन्होंने भोजन, उसकी गुणवत्ता और क्या सुविधाएँ देखीं। तब दोनों पैसे बांधने के लिए कुर्सी पर बैठे थे। तभी वृद्धा के घर का मालिक आया और उसके पिता को बाहर ले गया। बेटा तब अपनी कार से पिताजी के कपड़े और सामान लेने गया था।

उसका सेल फोन बजा जब वह अपनी पत्नी से बात करता है, तो वह अपने पिता के बुजुर्ग  और सब कुछ कहता है।

फिर वह दीपावली पोंगल के  वक्त पिता आने का ज़रूरत नही पड़ता कहती है।उसने कहा कि यह यहाँ से बहुत दूर था। फिर डैडी के पास आए और उनसे पूछा कि क्या आप इस बुजुर्ग के घर में बड़े को जानते हैं। तब वृद्धा के घर के मालिक ने कहा कि इस लड़के को अकेले ले जाता। जब आप चार साल के बच्चे थे तब आपको एक अनाथालय से गोद लिया गया था।

मैं आज उसे कई सालों बाद देख रहा हूं। मैं बस इसके बारे में बात कर रहा था। दिल में किसी ने उसे यह बताने के लिए जम कर सुना कि वह बुरा था। वह एक अनाथ का समर्थक था। लेकिन जो सहायक होने वाला था, उसने उसे एक अनाथ बना दिया और एक बुजुर्ग के घर में रख दिया 



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