बस दो इंच की चिंता
बस दो इंच की चिंता
मेरी वजह से कोई चिंतित रहे, यह बात मुझे बड़ी तकलीफ देती है।
समझ नहीं आता सारा मौहल्ला, सारे नाते- रिश्तेदार क्यों इतने परेशान है। वैसे सच कहूं मुझे व्यक्तिगत तोर पर इस बात से कोई तकलीफ नहीं, असल में कई बार तो वाहे वाहे भी बटोरी है।
दरअसल मुद्दा ये है, लड़की की लम्बाई का शुद्ध पैमाना 5.2 और 5.4 के बीच रखा गया है। लम्बाई इससे काम होने पर खरीददार पक्ष के द्वारा कीमत बढ़ा दी जाती है। वैसे सही बात भी है, पांच फ़ीट की लड़की के पति के पद पे आसीन हो रहे है तो कीमत भी अच्छी होनी चाइये। भाई आखिर समाज में इज्जत का सवाल है। खेर रिश्तेदारों और मोहल्ले वालो को परेशान करने के पक्ष में तो में भी नहीं हूं।
यह लोग बेचारे बड़े ही भले लोग है, कभी में सीधे शब्दों में जाति तोर अपना दुःख नहीं जताते, बेचारे समाज के सहारे अपना मन शांत करते है, "कहते है समाज क्या कहेगा ? समाज नहीं स्वीकारेगा ? समाज में क्या मुँह दिखायेंगे ? एक ऐसे ही शुभचिंतक है, बेचारे बुजुर्ग है, कहने को तो बड़े सुखी है, घर में हंसती खेलती खूबसूरत बेटियाँ है, बहुएँ भी चुन चुन कर लाये है, सबकी हाइट पैमाने में एकदम फिट बैठती है , मगर अकसर चिंतित दिखते है।
असल में सामाजिक परेशानियों से घिरे हैऔर इसी में घुले जा रहे हैं। वैसे तो इस उम्र में इंसान अपनी बीवी को भी ढंग से नहीं देख पाते पर ये महानुभवी समाजसेवक सबकी बेटियों के रंग, रूप और हाइट का सटीक ब्यौरा रखते है। न जाने क्यों जब भी उन से मिलती हूं, मेरे लिए उनकी आँखों में चिंता झलक जाती है।