अभी नयी नयी है

अभी नयी नयी है

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नयी जगह नयी कहानी लेकिन मैं तो अब हो गयी पुरानी, पर आयी है अब गांव से एक और लड़की दीवानी। मुझ सी है वो, मुझ से ज्यादा सवाल है उसके मन में शायद बदलाव भी मुझ से ज्यादा आएंगे।


वो भी जकड़ी है उन बंदिशों में जो उसके दुनिया में आने से पहले ही बना दी गयी, उसके मासूम सवाल से यह जंजीरे नहीं खुलेंगी, ये वो नहीं जानती। वो तो बस चाहती है सब उसी की तरह नादान हो जाये, ताकि जिंदगी कुछ आसान हो जाये।


आज़ादी की तलब उसे भी है, पर विरोध करने से डरती है, वो पसंद तो करती है मगर प्यार करने से डरती है चाहती तो है पर इज़हार करने से डरती है। डर का दौर अभी लम्बा चलेगा, वो गिरेगी उठेगी फिर गिरेगी उठेगी फिर चलेगी फिर गिरेगी फिर दौड़ेगी।


उसके ख़याली मनगढ़त दुनिया से बिलकुल अलग है आज के दौर की हकीकत। वो जानती तो है पर मानने से डरती है वो चलने तो लगी है मगर उड़ने से अभी डरती है।


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