preeti k

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लाइब्रेरी का श्री राम

लाइब्रेरी का श्री राम

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लाइब्रेरी का श्रीराम ये शीर्षक थोड़ा अजीब लगे शायद पर उसकी शालीनता और शिष्टता देखकर यही सबसे पहले मेरे दिमाग में आया। वैसे तो श्रीराम के गुणों की व्याख्या करना मुश्किल है पर उसे एक अजीब सी कला आती है जो मुझे अक्सर हैरान कर देती है।


वो दिनभर बैठ कर अपनी किताब में देखते हुए बगल में बैठी लड़की के क्रियाकलापों को तिरछी नज़र से देख सकता है। उसकी बेमिसाल प्रतिभा की तारीफ तो बनती ही है। वो उस लड़की से बात करने की कोशिश भी करता है कभी पानी के बहाने तो कभी नोट्स के बहाने।


श्रीराम की काफी उम्र भी हो चुकी है, पर बिना इसकी परवाह करते हुए वो पूरा दिन बगल में बैठी किसी लड़की की किताब में देखते हुए गुजार देने का हुनर रखता है। यह उसके त्याग की भावना ही है जिसने मुझे इस कलयुग के ज़माने में उसका नाम श्रीराम रखने पर मजबूर कर दिया। वो इतने भोलेपन से अपनी कुर्सी लड़की की कुर्सी के करीब करके बैठता है मानो उस पर गिर पड़ेगा।


पर श्रीराम की कला तो देखो वो इस चीज़ का भी एहसास नहीं होने देता है। बात यही नहीं ख़तम होती श्रीराम का भोलापन यहीं ख़तम नहीं होता है वो कैंटीन पर भी जाता है लड़की के पीछे पीछे। पर इसमें वो अकेला नहीं है आज भी लक्ष्मण जैसा दोस्त उसके साथ है। लक्ष्मण की उम्र ज्यादा नहीं है, अभी तो उसके पढ़ने के दिन है मगर त्याग की भावना से पूर्ण निस्वार्थ भाव से अपनी पढाई त्याग कर उसके साथ जाता है।


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